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बिहार में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने अपना नया क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने की स्वीकृति दे दी है। यह कार्यालय पटना में कार्य करेगा और राज्य के किसानों, एफपीओ (Farmer Producer Organizations) तथा निर्यातकों को प्रमाणन, प्रशिक्षण और अन्य निर्यात संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। बिहार सरकार का उद्देश्य है कि आगामी तीन वर्षों में कृषि निर्यात को वर्तमान स्तर से तीन गुना बढ़ाया जाए, ताकि राज्य के कृषि और बागवानी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर मूल्य मिल सके।

बिहार किसानों के लिए नई उम्मीद (New Hope for Bihar Farmers)
बिहार के किसानों और कृषि उद्यमियों के लिए एक सुनहरा अवसर सामने आया है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने बिहार में अपना स्वतंत्र क्षेत्रीय कार्यालय (Regional Office) खोलने की मंजूरी दे दी है। यह कार्यालय पटना के मीठापुर स्थित कृषि भवन परिसर में खोला जाएगा।
यह कदम किसानों, FPO (Farmer Producer Organizations), प्रसंस्करणकर्ताओं और कृषि निर्यातकों के लिए प्रमाणन (Certification), प्रशिक्षण (Training), पैकेजिंग (Packaging) और मानकीकरण (Standardization) जैसी सुविधाओं को आसानी से उपलब्ध कराएगा। इसका सीधा असर बिहार के कृषि उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच और उनकी कीमत बढ़ाने पर होगा।
बिहार के किसानों की बदलेगी तकदीर: पटना में एपीडा (APEDA) की दस्तक, अब दुनिया चखेगी बिहारी फसलों का स्वाद
बिहार, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, अब अपनी कृषि क्षमता को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए एक ऐतिहासिक छलांग लगा रहा है। राज्य सरकार के अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्था, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा/APEDA), ने राज्य की राजधानी पटना में अपना पहला स्वतंत्र क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने को मंजूरी दे दी है।
यह घोषणा बिहार के लाखों किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), और कृषि उद्यमियों के लिए एक नए युग का सूत्रपात है। पटना के मीठापुर स्थित कृषि भवन परिसर में खुलने वाला यह कार्यालय केवल एक प्रशासनिक इकाई नहीं, बल्कि उस सपने को साकार करने का एक माध्यम है, जहाँ बिहार की मिट्टी में उपजी फसलें दुनिया भर के बाजारों में अपनी पहचान बनाएंगी और किसानों के जीवन में समृद्धि लाएंगी। यह कदम राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने और बिहार को भारत के कृषि निर्यात मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है।
APEDA क्या है और क्यों है ज़रूरी? (What is APEDA and Why is it Important?)
APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) की स्थापना 1985 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय कृषि और बागवानी उत्पादों को वैश्विक मानकों (Global Standards) के अनुसार प्रमाणित करना और उन्हें निर्यात योग्य बनाना है।
कृषि निर्यात की दुनिया में “एपीडा (APEDA)” एक बहुत महत्वपूर्ण नाम है। इसका पूरा नाम कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) है। इसकी स्थापना दिसंबर 1985 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम के तहत की गई थी और इसने 1986 से वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन काम करना शुरू किया। एपीडा (APEDA) का मुख्य उद्देश्य भारत से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना है।
यह संस्था किसानों और निर्यातकों के लिए कई तरह से एक सेतु का काम करती है:
- गुणवत्ता मानक और प्रमाणन: अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में किसी भी उत्पाद को बेचने के लिए कुछ सख्त गुणवत्ता मानकों का पालन करना पड़ता है। एपीडा यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय उत्पाद इन वैश्विक मानकों पर खरे उतरें। यह जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) से लेकर उत्पादों की ट्रेसबिलिटी (Traceability) यानी यह पता लगाने तक कि उत्पाद किस खेत से आया है, तक की प्रक्रियाओं में मदद करता है।
- वित्तीय सहायता: एपीडा (APEDA) निर्यात-उन्मुख उत्पादन, अवसंरचना विकास और गुणवत्ता सुधार के लिए विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाएं चलाता है। इसमें नए पैकहाउस बनाने, कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने और परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सब्सिडी शामिल है।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: एपीडा (APEDA) किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार की माँगों, पैकेजिंग तकनीकों, स्वच्छता मानकों और निर्यात प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षित करता है।
- बाजार विकास: यह वैश्विक प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों में भारतीय निर्यातकों की भागीदारी को सुगम बनाता है, जिससे उन्हें नए खरीदार खोजने और नए बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलती है।
- नीतिगत समर्थन: यह कृषि निर्यात से संबंधित नीतियों के निर्माण में सरकार को सलाह देता है ताकि निर्यातकों के लिए प्रक्रियाएं सरल और अधिक अनुकूल हो सकें।
बिहार में अब तक एपीडा (APEDA) का कोई सीधा कार्यालय नहीं था, जिससे किसानों और उद्यमियों को इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कोलकाता या दिल्ली जैसे अन्य शहरों पर निर्भर रहना पड़ता था। पटना में क्षेत्रीय कार्यालय खुलने का सीधा मतलब है कि यह सभी विश्व स्तरीय सुविधाएं अब बिहार के किसानों के दरवाजे पर उपलब्ध होंगी।
- गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control)
- प्रमाणन और ट्रेसेबिलिटी (Certification & Traceability)
- पैकहाउस और स्टोरेज सुविधा (Packhouse & Storage Facility)
- निर्यात बाजार की पहचान (Export Market Identification)
बिहार में नया एपीडा (APEDA) क्षेत्रीय कार्यालय खुलने से अब किसानों को दिल्ली या दूसरे राज्यों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सारे काम यहीं पटना से हो सकेंगे।
बिहार की कृषि क्षमता – आंकड़ों में ताकत (Agricultural Potential of Bihar – In Numbers)
बिहार की भूमि और जलवायु इसे कृषि के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। राज्य पहले से ही कई प्रमुख फसलों के उत्पादन में देश का नेतृत्व करता है, लेकिन इसकी वास्तविक क्षमता का अभी तक पूरी तरह से उपयोग नहीं किया गया है।
- शाही लीची (Shahi Litchi): बिहार देश के कुल शाही लीची उत्पादन में लगभग 71% का योगदान देता है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची को अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए भौगोलिक संकेत (GI) टैग भी प्राप्त है। इसके बावजूद, उचित प्रसंस्करण और निर्यात चैनलों की कमी के कारण, इसका बड़ा हिस्सा स्थानीय बाजारों में ही सीमित रह जाता है।
- मखाना (Makhana): मखाना, जिसे ‘फॉक्स नट’ भी कहा जाता है, एक सुपरफूड है जिसकी दुनिया भर में मांग बढ़ रही है। बिहार इस पौष्टिक उत्पाद के वैश्विक उत्पादन का लगभग 85% हिस्सा पैदा करता है। यह मिथिलांचल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ है। एपीडा की मदद से मखाना को एक ब्रांडेड, प्रोसेस्ड उत्पाद के रूप में निर्यात करने की अपार संभावनाएं हैं।
- सब्जियां (Vegetables): राज्य देश के कुल सब्जी उत्पादन में 9% का योगदान देता है। यहाँ आलू, प्याज, टमाटर, गोभी, बैंगन और कई अन्य सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। सही कोल्ड चेन और लॉजिस्टिक्स के साथ, इन ताज़ी सब्जियों को मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के बाजारों में पहुंचाया जा सकता है।
- मक्का (Maize): बिहार देश का एक प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य है, जो कुल उत्पादन का 7% हिस्सा है। यहाँ की उत्पादकता दर भी देश में सबसे अच्छी में से एक है। इसका उपयोग पशु आहार से लेकर इथेनॉल उत्पादन तक में होता है, और इसके निर्यात की भी अच्छी संभावनाएं हैं।
इनके अलावा, बिहार में जर्दालु आम (GI टैग प्राप्त), कतरनी चावल (GI टैग प्राप्त), और कई अन्य बागवानी उत्पाद हैं जिनमें अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में धूम मचाने की क्षमता है। वर्ष 2023 में राज्य का कृषि-बागवानी निर्यात मात्र 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो इस विशाल क्षमता के सामने एक नगण्य आंकड़ा है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एक उत्प्रेरक की कमी थी, और एपीडा (APEDA) का कार्यालय उसी कमी को पूरा करने जा रहा है।
- शाही लीची (Shahi Litchi): भारत में 71% उत्पादन
- मखाना (Fox Nut): 85% उत्पादन
- सब्जियां (Vegetables): 9% योगदान
- मक्का (Maize): 7% योगदान
इनके अलावा आलू, आम, गन्ना, और धान जैसे उत्पाद भी बिहार की पहचान हैं।
अब तक का निर्यात और चुनौतियां (Current Export and Challenges)
बिहार की कृषि क्षमता के बावजूद, निर्यात के मोर्चे पर इसके पिछड़ने के कई ठोस कारण थे। पटना में एपीडा (APEDA) कार्यालय की स्थापना इन बाधाओं को सीधे तौर पर संबोधित करने के लिए की गई है:
बिचौलियों पर निर्भरता: प्रत्यक्ष बाजार लिंक न होने के कारण, किसान अपनी उपज को स्थानीय बिचौलियों को कम कीमतों पर बेचने के लिए मजबूर थे, जिससे निर्यात से होने वाला अधिकांश लाभ उनकी जेब में नहीं पहुंच पाता था। 2023 में बिहार का कृषि-बागवानी निर्यात 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह आंकड़ा राज्य की वास्तविक क्षमता से काफी कम है।
जागरूकता और प्रशिक्षण का अभाव: अधिकांश किसानों और स्थानीय उद्यमियों को यह जानकारी ही नहीं थी कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की मांग क्या है, गुणवत्ता मानक क्या हैं, और निर्यात की प्रक्रिया कैसे काम करती है।
प्रमाणीकरण और ट्रेसबिलिटी की कमी: यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि उनका भोजन कहाँ से आया है और यह सुरक्षित है या नहीं। इसके लिए प्रमाणन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम की आवश्यकता होती है, जो बिहार में लगभग न के बराबर था।
अवसंरचना का अभाव: अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पैकहाउस, जहां उत्पादों की छंटाई, ग्रेडिंग, और पैकेजिंग की जाती है, और कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला का गंभीर अभाव था। इसके बिना, जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं जैसे फल और सब्जियों का निर्यात लगभग असंभव था।
लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी: उत्पादों को खेत से बंदरगाह या हवाई अड्डे तक जल्दी और सुरक्षित रूप से पहुंचाने के लिए एक मजबूत लॉजिस्टिक्स नेटवर्क की आवश्यकता होती है। बिहार में इस क्षेत्र में भी सुधार की बहुत गुंजाइश थी।
मुख्य चुनौतियां:
- प्रमाणन और पैकहाउस मानकों की कमी
- किसानों में निर्यात संबंधी जानकारी का अभाव
- ट्रेसेबिलिटी और गुणवत्ता नियंत्रण की समस्याएं
- अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे जुड़ाव का अभाव
नए क्षेत्रीय कार्यालय से मिलने वाले फायदे Benefits of New Regional Office
इन चुनौतियों को समझते हुए, उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री, श्री विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में बिहार सरकार ने राज्य में एपीडा (APEDA) का कार्यालय स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयास किए। यह सफलता अब बिहार के कृषि क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर बनने जा रही है। पटना के कृषि भवन में स्थित यह कार्यालय एक ‘वन-स्टॉप सॉल्यूशन’ केंद्र के रूप में काम करेगा।
अब किसानों और उद्यमियों को प्रमाणन, प्रशिक्षण या किसी अन्य सहायता के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी। एपीडा (APEDA) के विशेषज्ञ स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होंगे, जो किसानों को उनकी भाषा में समझाएंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। यह कार्यालय बिहार की विशिष्ट फसलों और जरूरतों के अनुरूप अपनी रणनीतियां बनाएगा, जिससे उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा।
पटना में APEDA कार्यालय खुलने के बाद किसानों को ये फायदे मिलेंगे:
- स्थानीय स्तर पर प्रमाणन सुविधा
- कृषि उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच आसान
- एफपीओ और किसानों को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन
- निर्यात पैकेजिंग और गुणवत्ता सुधार
- नए बाजारों में प्रवेश और आय में वृद्धि
लक्ष्य और योजनाएं – पहले साल में क्या होगा? Goals and Plans – First Year Targets
एपीडा (APEDA) और बिहार सरकार ने मिलकर एक स्पष्ट और महत्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है:
पहले वर्ष के लक्ष्य:
- 50 एफपीओ को शामिल करना: किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को सीधे निर्यात श्रृंखला से जोड़ा जाएगा। उन्हें संगठित होने, अपनी उपज को एकत्रित करने और बेहतर मूल्य पर बातचीत करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
- 20,000 किसानों को प्रशिक्षण: राज्य भर में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाएंगे, जहाँ किसानों को निर्यात योग्य फसलें उगाने, कीटनाशकों के सही उपयोग, और कटाई के बाद के प्रबंधन के बारे में सिखाया जाएगा।
- 10 पैकहाउस को प्रमाणित करना: राज्य में 10 आधुनिक पैकहाउसों को एपीडा मानकों के अनुसार प्रमाणित करने का लक्ष्य है, ताकि फल और सब्जियों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पैकेजिंग सुनिश्चित हो सके।
अगले तीन वर्षों का लक्ष्य:
- कृषि निर्यात को तीन गुना बढ़ाना: सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य अगले तीन वर्षों में बिहार के कृषि निर्यात को मौजूदा स्तर से कम से कम तीन गुना बढ़ाना है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में सैकड़ों करोड़ रुपये का योगदान देगा और हजारों रोजगार पैदा करेगा।
यह रोडमैप दर्शाता है कि यह पहल केवल एक घोषणा नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक सुविचारित योजना और ठोस लक्ष्य हैं, जिन्हें प्राप्त करने के लिए समयबद्ध तरीके से काम किया जाएगा।
- 50 एफपीओ को शामिल करना
- 20,000 किसानों को निर्यात प्रशिक्षण देना
- 10 पैकहाउस को प्रमाणित करना
अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
बिहार सरकार की भूमिका और प्रयास Role and Efforts of Bihar Government
बिहार सरकार लगातार कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह कदम किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
- किसानों की आय बढ़ेगी
- कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा
- बिहार की पहचान विश्व बाजार में मजबूत होगी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिहार का भविष्य Future of Bihar in Global Market
नए कार्यालय से बिहार के शाही लीची, मखाना, मक्का और सब्जियों जैसे उत्पाद दुनिया के बड़े बाजारों – यूरोप, मध्य एशिया, और खाड़ी देशों – तक पहुंच सकेंगे।
इससे:
- किसानों की आमदनी में वृद्धि
- नए निवेश और रोजगार के अवसर
- बिहार का वैश्विक कृषि हब के रूप में उदय
किसानों के लिए सुनहरा अवसर Golden Opportunity for Farmers
पटना में APEDA का क्षेत्रीय कार्यालय खुलना बिहार की कृषि के लिए ऐतिहासिक कदम है। यह न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि बिहार को वैश्विक कृषि मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगा।
अब समय है कि बिहार के किसान प्रमाणन, पैकेजिंग और निर्यात तकनीक का फायदा उठाकर अपनी फसल को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाएं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बिहार में APEDA का कार्यालय कहां खुलेगा?
पटना के मीठापुर स्थित कृषि भवन परिसर में।
इस कार्यालय से किसानों को क्या फायदा होगा?
प्रमाणन, पैकेजिंग, प्रशिक्षण और निर्यात संबंधी सेवाएं स्थानीय स्तर पर मिलेंगी।
बिहार कौन-कौन से उत्पाद निर्यात करता है?
शाही लीची, मखाना, सब्जियां, मक्का, आलू, आम और अन्य बागवानी उत्पाद।
क्या छोटे किसान भी लाभ उठा पाएंगे?
हां, एफपीओ और समूह खेती के माध्यम से छोटे किसान भी अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच पाएंगे।
बिहार के कृषि निर्यात का लक्ष्य क्या है?
अगले तीन वर्षों में निर्यात को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य।