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डिजिटल एग्रीकल्चर क्या है? (What is Digital Agriculture?) — किसानों के लिए पूरी गाइड

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Table of Contents

Digital Agriculture, डिजिटल एग्रीकल्चर,

किसान भाइयों, आज खेती पहले जैसी नहीं रही। पहले किसान मौसम, मिट्टी और अनुभव के आधार पर खेती करते थे, लेकिन अब समय बदल चुका है। अब खेती में Digital Agriculture (डिजिटल एग्रीकल्चर) का जमाना है—जहाँ मोबाइल ऐप, सेंसर, ड्रोन, उपग्रह डेटा, GPS और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस खेती को स्मार्ट बनाते हैं। डिजिटल कृषि की मदद से किसान कम खर्च में अधिक पैदावार, बेहतर गुणवत्ता और ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।

जब किसान डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) को अपनाते हैं तो कम खर्च में ज्यादा उत्पादन और बेहतर दाम मिलने लगते हैं। आज हमलोग Digital Agriculture (डिजिटल एग्रीकल्चर) की पूरी जानकारी को आसान भाषा में समझते हैं।

डिजिटल एग्रीकल्चर क्या है? (What is Digital Agriculture?)

Digital Agriculture (डिजिटल एग्रीकल्चर) का मतलब है—खेती में तकनीक (Technology) का इस्तेमाल करके खेती को आसान, सुरक्षित, कम लागत वाली और ज्यादा मुनाफ़े वाली बनाना। इसमें सेंसर, मोबाइल ऐप, डाटा एनालिसिस, ड्रोन, उपग्रह तस्वीरें (Satellite Images), GPS आधारित मशीनें, AI कृषि और IoT कृषि जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होती हैं। डिजिटल कृषि की मदद से किसान मौसम, मिट्टी, सिंचाई, खाद और रोग प्रबंधन जैसे फैसले पहले से ज्यादा सटीक तरीके से लेते हैं। इससे खेती का जोखिम घटता है और उत्पादन बढ़ता है।

डिजिटल एग्रीकल्चर क्यों ज़रूरी है? (Why is Digital Agriculture Necessary?)

आज के समय में जलवायु परिवर्तन (Climate Change), घटती उपजाऊ ज़मीन और लगातार बढ़ती आबादी की भोजन की ज़रूरतें एक बड़ी चुनौती हैं। पुराने तरीके अब वो नतीजे नहीं दे पा रहे हैं, जिनकी हमें ज़रूरत है। यहीं पर डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) एक मजबूत समाधान बनकर उभरता है।

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) हमें खेती को अधिक टिकाऊ (Sustainable) और कुशल बनाने में मदद करती है। जब हम डेटा (जानकारी) का इस्तेमाल करके फ़ैसला लेते हैं, तो पानी, खाद और कीटनाशकों की बर्बादी कम होती है। यह सीधे तौर पर हमारी लागत घटाता है और हमारे मुनाफे को बढ़ाता है। जो इस तकनीक को अपनाते हैं, वे अपने समय और संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं।

पुरानी खेतीडिजिटल एग्रीकल्चर (Smart Farming)
अनुमान पर आधारित खेतीडेटा और सेंसर पर आधारित सटीक खेती
पूरे खेत में एक समान खाद/पानीज़रूरत के हिसाब से जगह-जगह खाद/पानी
फ़सल खराब होने पर पता चलनाबीमारी शुरू होने से पहले ही अलर्ट

डिजिटल एग्रीकल्चर की जरूरत क्यों है? (Why Digital Agriculture is Needed?)

आज खेती में मौसम बदल रहा है, कीट तेजी से बढ़ रहे हैं और लागत भी बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) किसानों के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का स्मार्ट समाधान बनकर सामने आता है। डिजिटल तकनीक किसानों को मौसम की सही जानकारी, मिट्टी की स्थिति, सही खाद मात्रा, पानी की जरूरत और रोगों का शुरुआती पता लगाने में मदद करती है। इससे नुकसान कम होता है, उत्पादन बढ़ता है और खेती ज्यादा आसान होती है।

Bullet Points

डिजिटल एग्रीकल्चर कैसे काम करता है? (How Digital Agriculture Works?)

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) कई तकनीकों के माध्यम से खेती के हर कदम को स्मार्ट बनाता है। खेतों में लगे सेंसर मिट्टी की नमी, तापमान और पोषक तत्व बताते हैं। ड्रोन फसलों की स्थिति का वास्तविक समय वीडियो दिखाते हैं। मोबाइल ऐप मौसम, सिंचाई और खाद की सही सलाह देते हैं। AI मॉडल रोगों की पहचान करते हैं तो GPS मशीनें खेत की जुताई को सटीक बनाती हैं। इस तरह डिजिटल पद्धति पूरी खेती को डेटा आधारित और वैज्ञानिक बनाती है।

⭐ Table

तकनीकइस्तेमाललाभ
Droneफसल निरीक्षणरोग का जल्दी पता
Sensorमिट्टी की मॉनिटरिंगपानी की बचत
Mobile Appसलाहलागत कम
GPS Toolsमशीनरीसमय की बचत

डिजिटल एग्रीकल्चर के मुख्य उपकरण क्या हैं? (What are the Main Tools of Digital Agriculture?)

कई तरह के हाई-टेक उपकरणों का संगम है जो मिलकर काम करते हैं। इन उपकरणों में सबसे आगे हैं सेंसर (Sensors) और IoT कृषि (Internet of Things)। खेत में लगे ये छोटे सेंसर, मिट्टी की नमी (Moisture), तापमान और पोषक तत्वों (Nutrients) की जानकारी इकट्ठा करते हैं और इंटरनेट के माध्यम से आपके मोबाइल या कंप्यूटर तक भेजते हैं।

इसके अलावा, ड्रोन (Drones) का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। ड्रोन पूरे खेत का हवाई सर्वे करते हैं, जिससे पता चलता है कि किस हिस्से में पानी या खाद की ज़रूरत है। GPS और रोबोटिक्स जैसी तकनीक भी डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) को आसान और सटीक बना रही है। ये सभी उपकरण मिलकर स्मार्ट खेती/प्रेसिजिन खेती (Smart Farming/Precision Farming) को हकीकत बनाते हैं।

किसान अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से इनमें से कुछ या सभी तकनीकें अपना सकते हैं।

तकनीक (Technology)उपयोग (Use)लाभ (Benefit)
IoT सेंसर (IoT Sensors)मिट्टी की नमी, तापमान, नाइट्रोजन आदि मापनासटीक सिंचाई व खाद प्रबंधन, पानी-बिजली की बचत
ड्रोन (Drones)फसल की फोटो, वीडियोग्राफी, स्प्रेबड़े खेत की तेजी से निगरानी, रोग/कमी जल्दी पकड़ में
मोबाइल ऐप्स (Mobile Apps)मौसम, मंडी भाव, सलाहहर समय जेब में सलाहकार, कागज-किताब की जरूरत कम​
सैटेलाइट व जीपीएस (Satellite & GPS)खेत की मैपिंग, ज़ोन पहचानप्रिसिजन फार्मिंग, प्रति एकड़ योजना बेहतर
एआई व डेटा एनालिटिक्स (AI & Analytics)डेटा से पैटर्न व भविष्यवाणीरोग/कीट जोखिम की पहले से चेतावनी, निर्णय आसान

डिजिटल एग्रीकल्चर के फायदे (Benefits of Digital Agriculture)

स्मार्ट खेती/प्रेसिजिन खेती (Smart Farming/Precision Farming से खेती के लगभग हर क्षेत्र में सुधार होता है—पैदावार बढ़ती है, लागत घटती है, नुकसान कम होता है और खेती ज्यादा मुनाफ़े वाली बनती है। किसान मौसम परिवर्तन को समझ पाते हैं, फसल की बीमारी जल्दी पता चलती है और खाद-पानी की बर्बादी नहीं होती। डिजिटल तकनीक योजनाओं तक तेजी से पहुंच भी देती है।

⭐ Bullet Points

स्मार्ट खेती या प्रिसिशन खेती (Smart Farming or Precision Farming)

डिजिटल एग्रीकल्चर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है प्रिसिशन फार्मिंग या सटीक खेती। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसका मतलब है “सटीक” काम करना। पुरानी खेती में, हम पूरे खेत में एक समान मात्रा में खाद, पानी और कीटनाशक डालते थे, लेकिन सच्चाई यह है कि खेत का हर कोना एक जैसा नहीं होता। कहीं मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ होती है, तो कहीं कम।

स्मार्ट खेती/प्रेसिजिन खेती (Smart Farming/Precision Farming) में, हम GPS, ड्रोन और सेंसर से मिले डेटा का इस्तेमाल करके, सिर्फ़ उसी जगह पर संसाधन डालते हैं जहाँ उसकी ज़रूरत है। इससे न सिर्फ़ हमारे संसाधनों की बचत होती है, बल्कि फ़सल की क्वालिटी भी सुधरती है। यह तकनीक हर किसान के लिए वरदान है।

मोबाइल ऐप्स और इंटरनेट का उपयोग (Use of Mobile Apps and Internet)

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) को हर किसान की पहुँच में लाने में सबसे बड़ी भूमिका मोबाइल ऐप्स और इंटरनेट की है। आज ढेरों सरकारी और निजी ऐप्स उपलब्ध हैं जो किसानों को मौसम की सटीक जानकारी, मंडी के ताज़ा भाव (Price), फ़सल में लगने वाले रोग का निदान और उससे बचाव के तरीके बताते हैं। ये ऐप्स किसानों को विशेषज्ञ सलाहकारों से भी जोड़ते हैं।

उदाहरण के लिए, आप अपने खेत की तस्वीर खींचकर ऐप पर अपलोड कर सकते हैं, और ऐप तुरंत बता देगा कि आपकी फ़सल में क्या समस्या है। इंटरनेट की मदद से किसान अब दुनिया भर की नई खेती की तकनीकों के बारे में जान सकते हैं और अपनी उपज को सीधे ग्राहकों तक भी बेच सकते हैं, जिससे बीच के बिचौलिए खत्म होते हैं और मुनाफा बढ़ता है।

मोबाइल ऐप की सुविधाएँकिसान को लाभ
मौसम का 7 दिन का पूर्वानुमानबुआई और कटाई का सही समय तय करना
रोग और कीट निदान की फोटो अपलोडिंगसमय पर इलाज से फ़सल को बचाना
मंडी भाव अलर्टफ़सल बेचने का सही समय जानना
सरकारी योजनाओं की जानकारीसब्सिडी और लाभ का फायदा उठाना

Digital Agriculture में ड्रोन का कमाल (The Magic of Drones in Digital Agriculture)

कृषि में ड्रोन (Drones) का इस्तेमाल स्मार्ट खेती/प्रेसिजिन खेती (Smart Farming/Precision Farming) का एक ऐसा पहलू है जो तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। पहले, पूरे खेत में कीटनाशक का छिड़काव करने में कई दिन लगते थे और मज़दूरों को स्वास्थ्य जोखिम भी होता था। लेकिन अब, एक ड्रोन कुछ ही घंटों में 10 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर बेहद सटीक तरीके से छिड़काव कर सकता है।

ड्रोन (Drones) सिर्फ़ छिड़काव ही नहीं करते, बल्कि खेत की हाई-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेते हैं, जिससे “हेल्थ मैप” बनता है। इस मैप से पता चलता है कि किस पौधे को ज़्यादा पानी या खाद की ज़रूरत है और किस पौधे को बीमारी लग गई है। ड्रोन की मदद से किसान अपनी लागत को 30% तक कम कर सकते हैं और पूरी प्रक्रिया को बहुत तेज़ और ज़्यादा सुरक्षित बना सकते हैं।

कृषि प्रौद्योगिकी (Agricultural Technology)

कृषि प्रौद्योगिकी (Agricultural Technology) आज खेती को तेज, आसान और अधिक लाभदायक बनाने का सबसे बड़ा साधन बन चुकी है। किसान भाई अब आधुनिक मशीनों, ड्रिप सिंचाई सिस्टम, सेंसर-आधारित स्मार्ट खेती, ड्रोन स्प्रे, मोबाइल ऐप्स और मौसम पूर्वानुमान जैसी तकनीकों का उपयोग करके फसल उत्पादन बढ़ा रहे हैं। इन तकनीकों से पानी की बचत होती है, उर्वरकों का सही उपयोग होता है, कीट-रोग नियंत्रण आसान होता है और समय की भी बचत होती है। कृषि प्रौद्योगिकी (Agricultural Technology) की मदद से किसान बेहतर निर्णय ले पाते हैं और कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त करते हैं, जिससे आय भी बढ़ती है।

किसानों के सामने चुनौतियां और समाधान (Challenges and Solutions for Farmers)

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) करने में बहुत फायदा है, लेकिन इसे अपनाने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, खासकर हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में। सबसे बड़ी चुनौती है इन तकनीकों की शुरुआती लागत। सेंसर और ड्रोन महंगे होते हैं, जो छोटे किसानों के लिए मुश्किल पैदा करते हैं। दूसरी बड़ी चुनौती है, इंटरनेट कनेक्टिविटी (Internet Connectivity) और बिजली की कमी, क्योंकि ये सभी उपकरण इंटरनेट पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा, इन उपकरणों को चलाने और डेटा को समझने के लिए तकनीकी ज्ञान (Technical Knowledge) की भी ज़रूरत होती है।

समाधान: सरकार को सब्सिडी (Subsidy) देनी चाहिए, जिससे छोटे किसान भी उपकरण खरीद सकें। “कस्टम हायरिंग सेंटर” (Custom Hiring Centers) बनाए जा सकते हैं जहाँ किसान किराये पर ड्रोन और सेंसर ले सकें। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली की व्यवस्था सुधारने और किसानों को आसान भाषा में ट्रेनिंग देने पर ज़ोर देना चाहिए।

सरकार की डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन और योजनाएं (Government Digital Agriculture Mission & Schemes)

भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया के साथ-साथ कृषि में भी डिजिटलीकरण (Digitalization) को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन शुरू किया है। इस मिशन के तहत किसानों का डिजिटल डेटाबेस (Digital Database), स्मार्ट सलाह (Smart Advice), ड्रोन उपयोग (Drone Use), रिमोट सेंसिंग (Remote Sensing) और डिजिटल क्रॉप मॉनिटरिंग (Digital Crop Monitoring) जैसी सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं।​

डिजिटल एग्रीकल्चर का भविष्य (Future of Digital Agriculture in India)

डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ खेती पूरी तरह से ऑटोमेटिक (Automated) हो जाएगी। आने वाले समय में हमें ऐसे रोबोट देखने को मिलेंगे जो न सिर्फ़ बुआई और कटाई करेंगे, बल्कि हर एक खरपतवार (Weed) को पहचानकर उसे हटाएँगे। \

डेटा एनालिटिक्स (Data Analytics) इतना एडवांस हो जाएगा कि मिट्टी और मौसम के आधार पर, फ़सल उगाने के लिए सबसे सटीक फॉर्मूला कंप्यूटर खुद तय करेगा। यह सब स्मार्ट खेती को एक नए स्तर पर ले जाएगा। यह तकनीक आने वाली पीढ़ियों के लिए खेती को एक आकर्षक और उच्च-आय वाला व्यवसाय बना देगी।

भारत तेजी से नए तकनीक से खेती की ओर बढ़ रहा है। सरकार भी ड्रोन लाइसेंस, कृषि ऐप, ई-नाम (eNAM), किसान कॉल सेंटर और डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) को बढ़ावा दे रही है। आने वाले समय में हर खेत में IoT सेंसर, GPS मशीनें, ड्रोन और AI मॉडल आम बात होगी। इससे किसानों की कमाई दोगुनी होने की संभावना बढ़ेगी और देश की कृषि व्यवस्था और मजबूत होगी।

किसान भाइयों, यह साफ है कि डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) महज़ एक शब्द नहीं है; यह हमारे खेती के भविष्य की नींव है। यह तकनीक हमें सिर्फ़ ज़्यादा फ़सल पैदा करने में ही मदद नहीं करती, बल्कि खेती को ज़्यादा स्मार्ट, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल (Eco-friendly) बनाती है। शुरुआती चुनौतियाँ ज़रूर हैं, लेकिन जैसे-जैसे इसकी लागत कम होगी और जागरूकता बढ़ेगी, हर किसान डिजिटल (Kisan Digital) क्रांति का हिस्सा बन पाएगा।

अब समय आ गया है कि हम अपनी पारंपरिक बुद्धिमत्ता को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ें और खेती को एक नई ऊँचाई दें। स्मार्ट खेती/प्रेसिजिन खेती (Smart Farming/Precision Farming) को अपनाएँ और आने वाले वर्षों में अपनी आय को कई गुना बढ़ाएँ। यह आपके और पूरे देश के लिए जीत की स्थिति है।

सरकारी योजनाएँ और किसान क्रेडिट कार्ड (Government Schemes and KCC)

खेती में मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए किसान सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएँ खेती की लागत को कम करने और पूंजी (Capital) की व्यवस्था करने में मदद करती हैं।

भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएँ हैं, जो किसानों को सब्ज़ी और बागवानी (Horticulture) फसलों के लिए सब्सिडी (Subsidy) देती हैं।

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस योजना के तहत, आलू की खेती के लिए उन्नत बीज, प्लांटर मशीन, कोल्ड स्टोरेज बनाने और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम लगाने पर सब्सिडी मिल सकती है।
  2. प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): यह योजना सीधे किसानों के खाते में सालाना ₹6,000 की वित्तीय सहायता देती है, जिसका उपयोग किसान खेती के छोटे-मोटे ख़र्चों के लिए कर सकते हैं।

सबसे ज़रूरी है किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)। केसीसी के ज़रिए किसान बहुत कम ब्याज दर पर (लगभग 4% प्रति वर्ष) खेती के लिए लोन (Loan) ले सकते हैं। इस पैसे का उपयोग आलू के बीज, खाद, कीटनाशक खरीदने या बुवाई के ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे किसान को तुरंत पैसा उधार लेने या अपनी बचत को ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। किसान को हमेशा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क करके नवीनतम योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी लेते रहना चाहिए।

FAQs: डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture)पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) अपनाने में कितना खर्चा आता है और यह छोटे किसानों के लिए कैसे उपयोगी है?

शुरुआती लागत ज़्यादा हो सकती है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि आप एक बार में सब कुछ खरीदें। आप सबसे पहले मोबाइल ऐप्स और सरकारी डेटा का इस्तेमाल करें, जो मुफ़्त हैं। छोटे किसान कस्टम हायरिंग सेंटर से ड्रोन और सेंसर किराए पर ले सकते हैं। सरकारी सब्सिडी और सामूहिक (Co-operative) खरीद से लागत कम हो सकती है, और लंबे समय में, यह तकनीक लागत को कम करके और उपज बढ़ाकर मुनाफे को बढ़ाती है।

सटीक खेती’ (Precision Farming) से खाद और पानी की कितनी बचत हो सकती है?

सटीक खेती (Precision Farming) से खाद और पानी की बर्बादी 20% से 35% तक कम हो सकती है। सेंसर और डेटा के इस्तेमाल से आप उतना ही पानी और खाद डालते हैं, जितना फ़सल को चाहिए, जिससे न सिर्फ़ पैसा बचता है, बल्कि पर्यावरण को भी कम नुकसान होता है।

क्या डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) के लिए किसान का पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी है?

बिल्कुल नहीं। अब ऐप्स और उपकरण इतने आसान हो गए हैं कि उन्हें चलाने के लिए ज़्यादा शिक्षा की ज़रूरत नहीं है। सरकार और निजी कंपनियाँ किसानों को आसान हिंदी में ट्रेनिंग और सहायता देती हैं। सबसे ज़रूरी है सीखने की इच्छा और थोड़े अभ्यास से हर किसान डिजिटल बन सकता है।

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) क्या है और यह पारंपरिक खेती से कैसे अलग है?

डिजिटल एग्रीकल्चर वह तरीका है जिसमें मोबाइल ऐप, सेंसर, ड्रोन, सैटेलाइट और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके फसल की योजना, सिंचाई, खाद, दवा और कटाई जैसे फैसले वैज्ञानिक तरीके से लिए जाते हैं, जबकि पारंपरिक खेती में फैसले अधिकतर अनुभव और अनुमान के आधार पर होते हैं।

छोटे किसान कम बजट में डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) कैसे शुरू कर सकते हैं?

छोटे किसान पहले स्मार्टफोन से सरकारी व विश्वसनीय कृषि ऐप डाउनलोड कर मौसम, मंडी भाव, फसल सलाह और स्कीम की जानकारी ले सकते हैं, फिर जरूरत के अनुसार मिट्टी परीक्षण, साधारण नमी सेंसर या एफपीओ/कंपनी की सलाह आधारित सेवाओं से धीरे-धीरे आगे बढ़ सकते हैं।

Digital Agriculture से किसान की आमदनी कैसे बढ़ती है?

डेटा आधारित सिंचाई और खाद प्रबंधन से पानी, उर्वरक और डीज़ल की बचत होती है, रोग-कीट का पहले पता चलने से नुकसान कम होता है और डिजिटल मार्केटप्लेस के जरिए बेहतर दाम मिलते हैं, जिससे कुल मिलाकर प्रति एकड़ मुनाफा बढ़ जाता है।

भारत में Digital Agriculture के लिए सरकार कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है?

भारत सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, किसान डेटाबेस, ड्रोन सब्सिडी, ई-नेम, कृषि ऐप और डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम के जरिए फसल सलाह, बाजार जुड़ाव, सब्सिडी और स्कीम की ऑनलाइन पहुंच बढ़ा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान तकनीक से जुड़ सकें।

डिजिटल फार्मिंग (Digital Farming) में डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा का क्या महत्व है?

किसान का खेत, पैदावार और वित्तीय डेटा अगर सुरक्षित न रहे तो कंपनियां या अन्य पक्ष उसका गलत उपयोग कर सकते हैं, इसलिए किसी भी डिजिटल सेवा को अपनाने से पहले डेटा प्राइवेसी पॉलिसी पढ़ना, सिर्फ भरोसेमंद प्लेटफॉर्म चुनना और जरूरत से ज्यादा निजी जानकारी शेयर न करना बहुत जरूरी है।

ड्रोन खेती कितनी फायदेमंद है?

ड्रोन से कीट नियंत्रण, स्प्रेइंग, सर्वे और फसल निरीक्षण आसान होता है जिससे लागत 30% तक घटती है।

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