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किसान भाइयों, अगर आप अदरक की खेती करते हैं तो आपको पता होगा कि यह फसल जितनी फायदेमंद है, उतनी ही संवेदनशील भी है। अदरक (Ginger) भारत की एक महत्वपूर्ण नकदी और मसाला फसल है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। अदरक की खेती में सबसे बड़ी चुनौती है अदरक के रोग (Ginger Diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम को समझना और सही समय पर प्रभावी उपाय करना। यदि सही समय पर इन समस्याओं पर ध्यान न दिया जाए, तो यह आपकी पूरी मेहनत और निवेश को बर्बाद कर सकता है।
Ginger Diseases: अच्छी पैदावार के लिए इसकी फसल को बीमारियों और कीटों से बचाना बहुत जरूरी है। अदरक में कई तरह के रोग, कीट और पोषक तत्वों की कमी देखने को मिलती है। समय रहते पहचान और सही रोकथाम न होने पर उत्पादन आधा भी हो सकता है। इस विस्तृत लेख में, हम अदरक को नुकसान पहुँचाने वाले प्रमुख अदरक के रोग (Ginger Diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम की पहचान करेंगे, उनके लक्षणों को समझेंगे और उनकी रोकथाम के लिए वैज्ञानिक और ऑर्गेनिक तरीके जानेंगे। ताकि आपकी फसल सुरक्षित रहे और लागत भी कम हो। और अदरक की फसल को स्वस्थ रखकर ही हम उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
अदरक की फसल का महत्व: क्यों है इसे बचाना जरूरी (Importance of Ginger Crop)
(Ginger Diseases/Adrak Rog): अदरक सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली औषधीय पौधा भी है, जिसकी वैश्विक बाजार में हमेशा उच्च मांग रहती है। इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है।
| महत्वपूर्ण पहलू (Aspect) | विवरण (Description) |
| आर्थिक लाभ (Economic Benefit) | यह एक प्रमुख नकदी फसल है। अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में इसकी उत्तम मांग है। |
| औषधीय उपयोग (Medicinal Use) | अदरक पाचन, सर्दी-खांसी और सूजन जैसी समस्याओं के लिए एक असरदार घरेलू उपचार है। |
| खाद्य उद्योग (Food Industry) | यह कई प्रकार के व्यंजनों, पेय पदार्थों (चाय), अचार और कन्फेक्शनरी उत्पादों का एक अविभाज्य हिस्सा है। |
| मिट्टी सुधार (Soil Improvement) | फसल चक्र (Crop Rotation) में शामिल करने से मिट्टी की उर्वरता और बनावट बेहतर होती है। |
| रोजगार सृजन (Employment) | कटाई, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा रोजगार मिलता है। |
अदरक के प्रमुख रोग, लक्षण और उनकी रोकथाम (Major Ginger Diseases, Symptoms, and Control)
(Ginger Diseases): अदरक की फसल में कई रोग अचानक आ जाते हैं और पौधों को सड़ाने लगते हैं। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान सड़न, झुलसा रोग और पत्ती धब्बा करते हैं। यह रोग मुख्य रूप से फफूंदी (fungal), जीवाणु (bacterial) या मिट्टी में मौजूद खराब जीवाणुओं की वजह से होते हैं। ज़्यादातर रोग नमी ज्यादा होने, गंदी खाद, संक्रमित बीज, लगातार बारिश और खराब ड्रेनेज सिस्टम के कारण फैलते हैं। अगर रोग शुरुआत में पहचान लिए जाएं, तो फसल को 90% तक बचाया जा सकता है। इसलिए रोगों के लक्षण समझना बहुत जरूरी है।
1. अदरक का सॉफ्ट रॉट / मुलायम सड़न (Soft Rot Disease)
(Ginger Diseases): यह अदरक में सबसे खतरनाक और तेज़ फैलने वाला रोग है। इसे किसान “गला रोग” भी कहते हैं। कंद गलन रोग (Soft Rot) अदरक की फसल का सबसे विनाशकारी रोग है। इस बीमारी में तना और कंद मुलायम होकर गलने लगते हैं। पौधों की पत्तियाँ पीली होकर झुक जाती हैं। नीचे का हिस्सा दबाने पर पानी जैसा रस निकलता है। यह रोग पानी रुकने, संक्रमित बीज और लगातार नमी के कारण तेजी से फैलता है। यह मुख्य रूप से पाइथियम (Pythium) और फाइटोफ्थोरा (Phytophthora) नामक फफूंद के कारण होता है। इस रोग के लक्षण आमतौर पर अत्यधिक बारिश या जलभराव वाली स्थितियों में दिखाई देते हैं।
लक्षण (Symptoms)
लक्षण के तौर पर, सबसे पहले निचले पत्ते पीले पड़ना शुरू होते हैं, फिर तना मुरझा जाता है। प्रभावित प्रकंद (कंद) पानी से भरे और भूरे-काले रंग के हो जाते हैं, और छूने पर आसानी से टूट जाते हैं। इससे एक अप्रिय, सड़ी हुई गंध भी आती है।
- पत्तियों का तेजी से पीला पड़ना
- पौधा एक ही तरफ झुक जाना
- कंद दबाने पर पानी जैसा तरल निकलना
- मिट्टी से बदबूदार गंध
- पौधा 4–5 दिनों में पूरी तरह सूख जाना
रोकथाम (Control)
रोकथाम के लिए, हमेशा स्वस्थ और रोग-मुक्त बीज कंद का उपयोग करें। बुवाई से पहले बीज कंद को 0.3% डायथेन एम-45 या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल में 30 मिनट तक उपचारित करें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें और गीली मिट्टी में बुवाई से बचें। जैविक तरीके में ट्राइकोडर्मा विरिडी (Trichoderma viride) 10 ग्राम/किग्रा बीज कंद के साथ उपचार करना असरदार है।
- बीज को 30 मिनट के लिए ट्राइकोडर्मा + बाविस्टिन में उपचार करें
- खेत में पानी बिल्कुल न रुकने दें
- प्रभावित पौधों को तुरंत निकालकर नष्ट करें
- 1 लीटर पानी में 2–3 ग्राम मेटालैक्ज़िल स्प्रे करें
- खेत में नीमखली मिलाएं (ऑर्गेनिक तरीका)
2. पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight Disease)
(Ginger Diseases): यह रोग फफूंद से फैलता है और अदरक की पत्तियों पर भूरे या काले धब्बे बनाता है। शुरुआत में छोटे धब्बे होते हैं, फिर धीरे-धीरे पत्ती सुखाने लगते हैं। अधिक बारिश और आर्द्रता इसकी मुख्य वजह है। यह रोग उत्पादन 40% तक कम कर देता है।
लक्षण
- शुरुआत में पत्ती पर छोटे भूरे धब्बे
- बाद में धब्बे बड़े होकर पत्ती को सुखा देते हैं
- प्रभावित पत्तियाँ मुड़कर झुलस जाती हैं
- पौधे का विकास रुक जाता है
रोकथाम
- बारिश के बाद तुरंत कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का स्प्रे
- खेत में अच्छी हवा और धूप आने दें
- रोगी पत्तियों को हटाकर नष्ट करें
- नीम तेल 5 मिली/लीटर का छिड़काव (ऑर्गेनिक तरीका)
3. पत्ती धब्बा रोग (Leaf Spot Disease)
(Ginger Diseases): यह रोग अदरक की पत्तियों पर गहरे भूरे या लाल रंग के निशान बनाता है। यह धीरे-धीरे पूरी पत्ती को नष्ट कर देता है। यह खासकर गर्म और नमी वाले मौसम में फैलता है। पर्ण चित्ती रोग (Leaf Spot) फिलोस्टिक्टा (Phyllosticta) और कर्कुलरिया (Curvularia) जैसी फफूंद के कारण होता है। हालांकि यह रोग कंद गलन जितना गंभीर नहीं है, लेकिन यह प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया को बाधित करके पैदावार कम कर देता है।
लक्षण
लक्षण में, पत्तियों पर छोटे, पानी से लथपथ भूरे या सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जिनके किनारे गहरे भूरे या बैंगनी होते हैं। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, ये धब्बे मिलकर बड़े हो जाते हैं और पत्तियाँ झुलसी हुई दिखाई देती हैं।
- पत्तियों पर गोल/अंडाकार धब्बे
- धब्बों के चारों ओर पीला घेरा
- पत्ती का सूखना
- पौधे की बढ़वार कम होना
रोकथाम
रोकथाम के लिए, फसल पर शुरुआती लक्षण दिखते ही मैनकोज़ेब (Mancozeb) 2.5 ग्राम/लीटर या कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) 1 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें। 10-15 दिनों के अंतराल पर 2-3 छिड़काव करने से उत्कृष्ट नियंत्रण मिलता है। पत्ती के अवशेषों को जलाना या मिट्टी में मिलाना भी रोग के फैलाव को कम करता है। ऑर्गेनिक तरीके में, नीम का तेल (Neem Oil) 5 मिली/लीटर पानी का छिड़काव रोग के प्रबंधन में सहायक है।
- क्लोरोथेलिनिल या मैनकोज़ेब का छिड़काव
- हल्का सिंचाई, पानी रुकने न दें
- खेत में मल्चिंग करें
- नीम तेल + छाछ का ऑर्गेनिक स्प्रे
अदरक के प्रमुख कीट (Major Pests in Ginger)
1. शूट बोरर (Shoot Borer Pest)
(Ginger Diseases): तना छेदक कीट (Shoot Borer) अदरक की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाने वाले कीटों में से एक है। इस कीट का लार्वा (इल्ली) तने में छेद करके अंदर घुस जाता है और बीच के भाग को खा जाता है।
लक्षण
लक्षण के रूप में, पौधे का मध्य तना (Central Shoot) सूख जाता है और पीला पड़ जाता है, जिसे ‘डेड हार्ट‘ (Dead Heart) कहते हैं। जब आप इसे खींचते हैं, तो यह आसानी से बाहर निकल आता है। इसका हमला फसल की शुरुआती अवस्था में सबसे हानिकारक होता है।
- पौधे की नोक सूख जाती है
- तने में छोटा सा छेद
- पौधा बीच से कमजोर
रोकथाम
रोकथाम के लिए, ‘डेड हार्ट’ वाले तनों को तुरंत तोड़कर नष्ट कर दें ताकि कीट के लार्वा का फैलाव रोका जा सके। उत्कृष्ट नियंत्रण के लिए, क्यूनालफॉस 0.075% का छिड़काव जुलाई से अक्टूबर के बीच 21 दिनों के अंतराल पर करें। फेरोमोन ट्रैप (Pheromone Traps) का उपयोग करके नर पतंगों को फँसाया जा सकता है, जिससे इनकी आबादी नियंत्रित होती है।
- नीम तेल 5–7 मिली/लीटर
- खटमिट्ठा ट्रैप लगाएं
- ऑर्गेनिक बायो-लार्विसाइड का उपयोग
2. एफिड्स (Aphids)
पत्तियों का रस चूसकर पौधे को कमजोर बना देते हैं।
लक्षण
- पत्तियों का मुड़ना
- चिपचिपा पदार्थ बनना
- पौधा पीला होना
रोकथाम
- साबुन घोल + नीम तेल का छिड़काव
- पीले स्टिकी ट्रैप लगाएं
3. सफेद मक्खी (Whitefly)
लक्षण
- पत्तियां हल्की पीली
- विकास रुकना
- पौधा झुका हुआ
रोकथाम
- नीम आधारित कीटनाशक
- खेत को साफ रखें
इसके अलावा कुछ और कीट अदरक (Ginger Diseases) के फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं
1. प्रकंद शल्क कीट (Rhizome Scale Insect)
प्रकंद शल्क कीट (Rhizome Scale Insect) अदरक के कंदों को स्टोर में और खेत दोनों जगह नुकसान पहुँचाता है। ये कीट छोटे, गोल और भूरे रंग के होते हैं, जो प्रकंद पर समूह में चिपक जाते हैं।
लक्षण के तौर पर, शल्क कीट कंद से रस चूसते हैं, जिससे कंद सिकुड़ जाते हैं और उनमें दरारें पड़ जाती हैं। संग्रहीत कंद अपनी अंकुरण क्षमता खो देते हैं, और नए लगाए गए कंदों की वृद्धि रुक जाती है।
रोकथाम के लिए, बुवाई से पहले प्रभावित प्रकंदों को छाँटकर अलग कर दें। बीज कंद को 0.05% मोनोक्रोटोफॉस (Monocrotophos) या 0.1% क्यूनालफॉस (Quinalphos) के घोल में 30 मिनट तक डुबोकर उपचारित करें। ऑर्गेनिक तरीके में, बुवाई से पहले बीज कंद को नीम के तेल के घोल में डुबोना लाभकारी होता है। भंडारण के दौरान प्रकंदों को सूखी राख में दबाकर रखने से भी कीट का हमला कम होता है।
2. पत्ती लपेटक कीट (Leaf Roller)
पत्ती लपेटक कीट (Leaf Roller) भी अदरक को नुकसान पहुँचाता है, खासकर मानसून के दौरान। इस कीट की इल्लियाँ पत्तियों को लपेटकर अंदर छिप जाती हैं और हरे हिस्से को खाती हैं।
लक्षण के तौर पर, पत्तियाँ किनारों से मुड़कर एक ट्यूब जैसा आकार ले लेती हैं, और अंदर छिपी इल्लियाँ पत्ती के अंदरूनी हिस्से को खरोंचकर खाती हैं, जिससे पत्ती पर सफेद धारीदार निशान बन जाते हैं।
रोकथाम के लिए, प्रभावित, मुड़ी हुई पत्तियों को हाथ से इकट्ठा करके नष्ट कर दें। इस समस्या पर रासायनिक नियंत्रण के लिए, क्लोरपायरीफॉस (Chlorpyriphos) 0.05% का छिड़काव असरदार होता है। छिड़काव के समय यह सुनिश्चित करें कि दवा लपेटी हुई पत्तियों के अंदर तक पहुँचे। ऑर्गेनिक तरीके में, नीम आधारित कीटनाशकों (Neem-based pesticides) का उपयोग एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है, खासकर जब कीट का प्रकोप कम हो।
ऑर्गेनिक तरीके से अदरक के रोग और कीटों की रोकथाम (Organic Methods for Ginger Diseases and Pest Control)
किसान भाइयों, आज के समय में ऑर्गेनिक तरीके से खेती करना पर्यावरण-हितैषी और बाजार में उत्कृष्ट मूल्य दिलाने वाला तरीका है। अदरक के रोग (Ginger Diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम के लिए कई सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके उपलब्ध हैं:
- ट्राइकोडर्मा (Trichoderma): कंद गलन और अन्य मिट्टी जनित रोगों की असरदार रोकथाम के लिए, बुवाई से पहले बीज कंद को 10 ग्राम/किग्रा ट्राइकोडर्मा विरिडी से उपचारित करें। इसे गोबर की खाद के साथ मिलाकर खेत में डालने से भी मिट्टी स्वस्थ रहती है।
- नीम तेल (Neem Oil): पत्ती धब्बा, तना छेदक और पत्ती लपेटक जैसे कई कीटों और रोगों के लिए 5 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना एक शक्तिशाली प्राकृतिक उपाय है। यह कीटों के अंडे देने और खाने की प्रवृत्ति को बाधित करता है।
- गोमूत्र और छाछ (Cow Urine and Buttermilk): 10 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर गोमूत्र और 100 मिलीलीटर पुरानी छाछ (दही का पानी) मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करने से पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और यह फफूंदजनित रोगों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- फसल चक्र (Crop Rotation): लगातार अदरक की खेती न करें। अदरक के बाद दलहनी फसलें (जैसे दालें) लगाने से मिट्टी की सेहत सुधरती है और मिट्टी जनित रोगों का चक्र टूट जाता है।
- स्वच्छता: रोगग्रस्त पौधों के हिस्सों को तुरंत हटाकर जला दें। खेत को खरपतवार मुक्त रखें, क्योंकि वे कीटों को आश्रय देते हैं। यह एक सकारात्मक कदम है।
(Ginger Diseases): अदरक के लिए नीचे दिए गए ऑर्गेनिक उपचार बहुत असरदार हैं: ये तरीके फसल को सुरक्षित रखते हैं और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाते हैं।
- बीज उपचार: ट्राइकोडर्मा + गौमूत्र
- नीम खली 2–3 क्विंटल प्रति एकड़
- जीवामृत छिड़काव
- नीम तेल 10 मिली/लीटर
- छाछ + बेकिंग सोडा मिश्रण
- मुल्चिंग (खरपतवार कम + नमी संतुलित)
- रोग लगने पर बायो-फंगीसाइड का उपयोग
सरकारी योजनाएँ और किसान क्रेडिट कार्ड (Government Schemes and KCC)
(Ginger Diseases): खेती में मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए किसान सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएँ खेती की लागत को कम करने और पूंजी (Capital) की व्यवस्था करने में मदद करती हैं।
(Ginger Diseases): भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएँ हैं, जो किसानों को सब्ज़ी और बागवानी (Horticulture) फसलों के लिए सब्सिडी (Subsidy) देती हैं।
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस योजना के तहत, आलू की खेती के लिए उन्नत बीज, प्लांटर मशीन, कोल्ड स्टोरेज बनाने और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम लगाने पर सब्सिडी मिल सकती है।
- प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): यह योजना सीधे किसानों के खाते में सालाना ₹6,000 की वित्तीय सहायता देती है, जिसका उपयोग किसान खेती के छोटे-मोटे ख़र्चों के लिए कर सकते हैं।
(Ginger Diseases): सबसे ज़रूरी है किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)। केसीसी के ज़रिए किसान बहुत कम ब्याज दर पर (लगभग 4% प्रति वर्ष) खेती के लिए लोन (Loan) ले सकते हैं। इस पैसे का उपयोग आलू के बीज, खाद, कीटनाशक खरीदने या बुवाई के ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे किसान को तुरंत पैसा उधार लेने या अपनी बचत को ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। किसान को हमेशा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क करके नवीनतम योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी लेते रहना चाहिए।
- सीड ड्रिल और पैडी ड्रिल मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और डेमो प्लॉट
- ऑनलाइन जानकारी: भारत सरकार कृषि पोर्टल
- प्रेस इनफार्मेशन सरकारी रिलीज
- बीज आवेदन के लिए यहाँ क्लिक करें।
निष्कर्ष: अदरक की सुरक्षित और बेहतरीन पैदावार (Conclusion: Safe and Excellent Ginger Yield)
अदरक की सफल खेती के लिए अदरक के रोग (Ginger Diseases):, लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम की सही जानकारी और सही समय पर प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण है। नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें और शुरुआती लक्षणों को पहचानकर तुरंत कार्रवाई करें। किसान भाइयों, रासायनिक उपायों के साथ-साथ ऑर्गेनिक तरीके अपनाकर हम न केवल अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाला, विष-मुक्त अदरक भी पैदा कर सकते हैं, जिससे बाजार में उत्तम मूल्य प्राप्त होगा। स्वस्थ बीज कंद का चुनाव, उचित जल निकासी, और संतुलित पोषण उत्कृष्ट पैदावार की नींव हैं।
FAQs: अदरक के रोग, लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम (Ginger Diseases, Symptoms, Pests & Control) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
अदरक की फसल में कंद गलन रोग (Rhizome Rot) को ऑर्गेनिक तरीके से कैसे नियंत्रित करें? (How to organically control Rhizome Rot disease in ginger crop?)
Ginger Diseases: कंद गलन रोग की ऑर्गेनिक तरीके से रोकथाम के लिए, बुवाई से पहले बीज कंद को ट्राइकोडर्मा विरिडी (10 ग्राम/किग्रा) से उपचारित करें। खेत में बुवाई से पहले भी ट्राइकोडर्मा और गोबर की खाद के मिश्रण का उपयोग करें। खेत में उत्कृष्ट जल निकासी सुनिश्चित करें और गीली मिट्टी में बुवाई से बचें। यह असरदार तरीका है।
तना छेदक (Shoot Borer) कीट के कारण होने वाले ‘डेड हार्ट’ से अदरक के रोग, लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम में क्या करें? (What to do for ‘Dead Heart’ caused by Shoot Borer in the context of Ginger Diseases, Symptoms, Pests, and their Control?)
Ginger Diseases: तना छेदक कीट से होने वाले ‘डेड हार्ट’ (सूखे मध्य तने) को तुरंत हटाकर नष्ट कर दें ताकि कीट का फैलाव रोका जा सके। असरदार नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप्स का उपयोग करें। रासायनिक रूप से, मानसून के बाद क्यूनालफॉस (0.075%) का छिड़काव 21 दिनों के अंतराल पर करने से उत्कृष्ट परिणाम मिलते हैं।
अदरक की खेती में स्वस्थ बीज कंद का चयन क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is the selection of healthy seed rhizomes important in ginger cultivation?)
Ginger Diseases: स्वस्थ बीज कंद का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि अदरक के रोग, लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम की शुरुआत बीज से ही होती है। रोगग्रस्त या कीट प्रभावित बीज कंद से रोग खेत में तुरंत फैल जाते हैं, जिससे पैदावार में भारी नुकसान होता है। रोग-मुक्त बीज का उपयोग ही सफल और उत्कृष्ट खेती का पहला सकारात्मक कदम है।
अदरक में सबसे खतरनाक रोग कौन सा है?
Ginger Diseases: सबसे खतरनाक रोग सॉफ्ट रॉट है जो 4–5 दिनों में पूरी फसल खराब कर सकता है।
अदरक की फसल में रोग क्यों लगते हैं?
Ginger Diseases: अधिक नमी, पानी रुकना, संक्रमित बीज, और खराब ड्रेनेज इसकी मुख्य वजह हैं।
अदरक के कीटों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
Ginger Diseases: नीम तेल स्प्रे, स्टिकी ट्रैप और बायोलॉजिकल कंट्रोल सबसे सुरक्षित और असरदार हैं।
अदरक में सड़न रोग का ऑर्गेनिक उपचार क्या है?
Ginger Diseases: ट्राइकोडर्मा, नीम खली और छाछ स्प्रे बहुत प्रभावी है।
अदरक में पत्ती झुलसा रोग कैसे रोका जाए?
Ginger Diseases: बारिश के बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और नीम तेल का स्प्रे करें।