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2025 में मूँग (Moong) की खेती: सम्पूर्ण गाइड | Moong Farming Full Guide मूँग की खेती, मूंग farming, moong types, moong cultivation, moong benefits

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2025 में मूँग (Moong) की खेती: सम्पूर्ण गाइड | Moong Farming Full Guide

Table of Contents

Moong Farming in Hindi: जाने मूँग (Moong) की खेती कैसे करें।

मूँग की खेती, मूंग farming, moong types, moong cultivation, moong benefits
Moong Farming in Hindi: जाने मूंग की खेती कैसे करें।

मूँग (Moong) के प्रमुख प्रजातियाँ (Species of Moong)

भारत में मूँग (Moong) की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  1. Pusa Vishal – बड़ी फली और अधिक उत्पादन क्षमता वाली किस्म।
  2. Samrat – जल्दी पकने वाली और सूखा सहन करने वाली किस्म।
  3. SML 668 – गर्मी की फसल के लिए उपयुक्त।
  4. IPM 02-3 (Virat) – रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ बेहतर उपज देती है।

1. मूँग (Moong) के प्रकार (Types of Moong)

मूँग (Moong) की कई किस्में होती हैं, जिन्हें उनके रंग, आकार और पकने की अवधि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:

1.1 हरी मूँग (Green Moong)

1.2 पीली मूँग (Yellow Moong)

1.3 काली मूँग (Black Moong)

1.4 उन्नत किस्में (Improved Varieties)

मूँग (Moong) की किस्में | Varieties of Moong

भारत में मूँग की कई किस्में उपलब्ध हैं। किसान अपनी जलवायु और भूमि के अनुसार उपयुक्त किस्म का चयन कर सकते हैं:

किस्म का नामविशेषताएंअवधि (दिन)
साकेत-4अच्छी उपज, रोग प्रतिरोधक60-65
PDM 11जल्दी पकने वाली55-60
BM 4बिहार में लोकप्रिय60-65
ML 818अधिक दाना उत्पादन65-70
IPM 02-3 (Virat)बड़ी फलियाँ65-70

 मूँग (Moong) की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil for Moong Cultivation)

मूँग (Moong) की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन कुछ विशेषताएं इसे अधिक उपजाऊ बनाती हैं:

2.1 मिट्टी का प्रकार (Soil Type)

2.2 मिट्टी की pH (Soil pH)

मूँग (Moong) की खेती के लिए जलवायु (Climate Requirements)

मूँग (Moong) की बुवाई के तरीके (Sowing Methods)

3.1 पारंपरिक तरीके (Traditional Methods)

3.2 आधुनिक तरीके (Modern Methods)

3.3 बुवाई का समय (Sowing Season):

मूँग (Moong) की बुवाई का समय | Sowing Time for Moong

मौसमबुवाई का समय
गर्मीमार्च – अप्रैल
खरीफजून – जुलाई
रबी (दक्षिण भारत में)अक्टूबर – नवम्बर

मूँग (Moong) की सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation & Water Management)

मूँग (Moong) कम पानी में उगने वाली फसल है, लेकिन कुछ सिंचाई की आवश्यकता होती है:

मूँग (Moong) की उर्वरक व्यवस्था (Fertilizer Management)

रासायनिक खेती (Chemical Farming):

जैविक खेती (Organic Farming):

 मूँग (Moong) के प्रमुख रोग एवं कीट (Major Diseases & Pests)

4.1 रोग (Diseases)

4.2 कीट (Pests)

मूँग (Moong) में लगने वाले रोग | Diseases in Moong

रोग का नामलक्षणउपाय
पत्ती झुलसा (Leaf Blight)पत्तियाँ मुरझानाकार्बेन्डाजिम का छिड़काव
येलो मोजेक वायरस (YMV)पत्तियों पर पीले धब्बेरोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन
जड़ सड़नपौधा जड़ से गल जाता हैबीज उपचार और उचित जल निकासी

मूँग (Moong) की कटाई और भंडारण (Harvesting & Storage)

भंडारण:

मूँग (Moong) के उपयोग और लाभ (Uses & Benefits)

मूँग (Moong) के उपयोग | Uses of Moong

बिहार में मूँग (Moong) की खेती और संसाधन (Moong Cultivation in Bihar)

बिहार में गर्मी मूँग (Moong) की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यहाँ के किसान नई तकनीकों को अपनाकर प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। बिहार एग्रो से मूँग (Moong) की उच्च गुणवत्ता वाली किस्में और बीजों की जानकारी लें।

मूँग (Moong) की खेती से जुड़ी सरकारी योजनाएँ और सहायता (Government Schemes & Support)

मूँग (Moong) की जैविक खेती | Organic Moong Farming

मूँग (Moong) की लागत और मुनाफा | Cost and Profit Analysis

विवरणलागत (₹ प्रति हेक्टेयर)
बीज2000 – 2500
खाद और उर्वरक3000
सिंचाई और मजदूरी4000
अन्य खर्च1500
कुललगभग ₹10,000

मूँग (Moong) खेती के फायदे | Benefits of Moong Farming

मूँग (Moong) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके उत्तर (FAQs with Answers)

मूँग (Moong) क्या है? | What is Moong?

मूँग (Moong) एक दलहनी फसल है जिसे Vigna radiata के नाम से जाना जाता है। यह फसल खरीफ और गर्मी के मौसम में उगाई जाती है और इसकी फली हरी रंग की होती है। यह प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है और इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है।

मूँग की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

भारत में मूँग (Moong) की कई उन्नत किस्में हैं, जिनमें Pusa Vishal, SML 668, Samrat, और IPM 02-3 (Virat) प्रमुख हैं। ये किस्में रोग प्रतिरोधी होती हैं और अधिक उत्पादन देती हैं।

मूँग की बुवाई का सही समय क्या है?

खरीफ मूँग: जून से जुलाई
गर्मी मूँग: मार्च से अप्रैल
बुवाई का समय जलवायु और क्षेत्र के अनुसार थोड़ा बदल सकता है।

मूँग की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

मूँग की फसल 60 से 75 दिन में तैयार हो जाती है, जो किस्म और मौसम पर निर्भर करता है।

मूँग उगाने के लिए कौन सी मिट्टी सबसे उपयुक्त है?

मूँग के लिए बलुई दोमट (Sandy Loam) और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।

मूँग की खेती में कौन-कौन से कीट और रोग लगते हैं?

कीट: सफेद मक्खी, थ्रिप्स, एफिड्स
रोग: पत्ती मुरझाना, जड़ सड़न, पीला मोज़ेक वायरस
जैविक और नीम आधारित कीटनाशकों से नियंत्रण संभव है।

मूँग की फसल में कौन-कौन से जैविक उर्वरक डाले जाते हैं?

वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद, नीम खली, और जीवामृत प्रमुख जैविक विकल्प हैं।
बीजोपचार के लिए Rhizobium और PSB कल्चर भी उपयोगी है।

मूँग की खेती में प्रति हेक्टेयर उत्पादन कितना होता है?

उन्नत विधियों से प्रति हेक्टेयर 10–15 क्विंटल तक मूँग उत्पादन संभव है। जैविक विधि में उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन गुणवत्ता बेहतर होती है।

क्या मूँग की खेती में सरकारी सब्सिडी मिलती है?

हाँ, केंद्र और राज्य सरकारें मूँग की खेती के लिए बीज अनुदान, मशीनरी सब्सिडी, और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सहायता देती हैं।
➡️ अधिक जानकारी के लिए कृषि मंत्रालय की साइट देखें

मूँग को खेत में कैसे बोया जाता है – पारंपरिक या आधुनिक तरीका?

पारंपरिक: बैल या ट्रैक्टर से खेत तैयार करके बीज छिटकना।
आधुनिक: लाइन ड्रिलिंग, बीजोपचार, मल्चिंग, और ड्रिप सिंचाई से अधिक उत्पादन मिलता है।

क्या मूँग की खेती बारिश के पानी से की जा सकती है?

हाँ, खरीफ मूँग की खेती वर्षा आधारित (Rainfed) क्षेत्रों में सफल होती है, लेकिन अत्यधिक बारिश से फसल खराब हो सकती है।

मूँग की फसल को बाजार में कैसे और कहाँ बेचा जाए?

मूँग की बिक्री स्थानीय मंडियों, ई-नाम (e-NAM) पोर्टल, और FPOs के माध्यम से की जा सकती है। बिहार में बिहार एग्रो जैसे प्लेटफॉर्म से भी संपर्क किया जा सकता है।

बिहार में मूँग की खेती कब और कैसे की जाती है?

गर्मी मूँग (मार्च-अप्रैल) और खरीफ मूँग (जून-जुलाई) प्रमुख मौसम हैं।
उन्नत किस्मों और ड्रिप सिंचाई के साथ खेती से बिहार के किसान प्रति हेक्टेयर अच्छा उत्पादन ले रहे हैं।

मूँग को अंकुरित कैसे किया जाता है और उसके क्या फायदे हैं?

मूँग को पानी में 6–8 घंटे भिगोकर, फिर 12–24 घंटे कपड़े में बांधकर अंकुरित किया जा सकता है।
फायदे: हाई प्रोटीन, पाचन में आसान, वजन कम करने में सहायक।

क्या मूँग की फसल के बाद गेहूं या धान बोया जा सकता है?

हाँ, मूँग के बाद खेत में गेहूं, धान, या सरसों बोई जा सकती है। मूँग मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाता है, जिससे अगली फसल को लाभ होता है।

मूँग की फसल में मुनाफा कितना होता है?

प्रति हेक्टेयर लागत: ₹20,000 से ₹25,000
औसतन मुनाफा: ₹30,000 से ₹45,000 तक
जैविक खेती से बाजार में दाम और अधिक मिल सकते हैं।

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