BIHAR AGRO

प्रयागराज के शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) ने बेची पूरी संपत्ति, तैयार किया अनोखा इंजन – दे सकता है 176KM का जबरदस्त माइलेज

5/5 - (1 vote)

प्रयागराज के रहने वाले शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) ने एक ऐसा विशेष इंजन विकसित किया है, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। उनका कहना है कि यह इंजन पारंपरिक इंटरनल कंबशन इंजन (Internal Combustion Engine) में कुछ तकनीकी बदलाव करके गाड़ियों की माइलेज क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

shailendra gaur, शैलेंद्र गौर इंजन, प्रयागराज विशेष इंजन, 176KM माइलेज बाइक, प्रदूषण मुक्त इंजन, मल्टी फ्यूल इंजन, नया इंजन इनोवेशन, भारतीय वैज्ञानिक इंजन तकनीक, zero pollution engine, multi fuel engine, high mileage bike engine

शैलेंद्र द्वारा तैयार किए गए इस प्रोटोटाइप को 100cc की बाइक में लगाया गया और टेस्टिंग के दौरान बाइक ने एक लीटर पेट्रोल में 176 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय की। यह उपलब्धि मौजूदा इंजनों के मुकाबले बेहद चौंकाने वाली है।

उन्होंने इंजन के हैंडल मैकेनिज्म को इस तरह डिज़ाइन किया है कि ईंधन की हर बूंद का अधिकतम उपयोग हो सके। इससे न केवल माइलेज बढ़ता है बल्कि वाहन से निकलने वाला प्रदूषण भी काफी कम हो जाता है।

शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) का मानना है कि उनकी यह तकनीक सिर्फ मोटरसाइकिल तक सीमित नहीं है, बल्कि बड़े इंजनों और जहाजों तक में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर इस इनोवेशन को बड़े स्तर पर अपनाया गया, तो यह न सिर्फ ईंधन की खपत को कम करेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।

👉 यह खोज भविष्य में भारत को ऑटोमोबाइल तकनीक के क्षेत्र में नई पहचान दिला सकती है।

प्रयागराज के साइंस ग्रेजुएट शैलेंद्र कुमार सिंह गौर (Shailendra Kumar Gaur) ने दावा किया है कि उनका विकसित किया गया इंजन ऑटोमोबाइल सेक्टर में बड़ी क्रांति ला सकता है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने पारंपरिक इंटरनल कंबशन (IC) इंजन में अहम तकनीकी बदलाव किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप माइलेज कई गुना बढ़ गया है।

शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) द्वारा तैयार प्रोटोटाइप को 100cc बाइक में लगाया गया और टेस्टिंग में यह बाइक 176 किलोमीटर से ज्यादा का माइलेज देने में सफल रही। शैलेंद्र का कहना है कि अगर उन्हें पर्याप्त फंड और रिसर्च का अवसर मिले, तो इस तकनीक से माइलेज को 200 किलोमीटर प्रति लीटर से भी ऊपर ले जाया जा सकता है।

शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) का मानना है कि यह इनोवेशन न केवल ईंधन बचाएगा बल्कि प्रदूषण को भी काफी हद तक कम करेगा। यह खोज भविष्य में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए एक नई दिशा साबित हो सकती है।

क्या खास है इस अद्भुत तकनीक में?

सरकारी योजनाएँ और सहायता | Government Schemes and Support

शैलेंद्र गौर के संघर्ष और सफलता की कहानी

शैलेंद्र गौर के तकनीक का भविष्य और पेटेंट

बाइक से जहाज तक काम आएगी तकनीक:- शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) का मानना है कि उनकी विकसित तकनीक केवल मोटरसाइकिल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उपयोग सबसे बड़े इंजनों, जैसे पानी के जहाजों, से लेकर सबसे छोटे इंजनों तक में किया जा सकता है। उनका कहना है कि इस खोज से ईंधन की खपत कम होगी और प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

दो पेटेंट दर्ज, और की तैयारी जारी:- शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) ने बताया कि अब तक उनके नाम पर दो पेटेंट दर्ज हैं—एक डिज़ाइन और दूसरा प्रोसेस के लिए। साथ ही वे कुछ और पेटेंट दाखिल करने की तैयारी में हैं, ताकि उनकी तकनीक को व्यापक स्तर पर मान्यता मिल सके। बातचीत के दौरान उन्होंने हल्की मायूसी जताते हुए कहा कि, “मैंने अपना काम पूरा कर दिया है, अब यह देश पर निर्भर है कि वह इस तकनीक का कितना और कैसे इस्तेमाल करता है।”

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

शैलेंद्र गौर का बनाया हुआ इंजन कितना माइलेज देता है?

शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) का दावा है कि उनका इंजन 100cc बाइक में 176 किलोमीटर प्रति लीटर से ज्यादा माइलेज देता है।

यह इंजन किन-किन ईंधनों (Fuels) पर चल सकता है?

यह इंजन मल्टी-फ्यूल तकनीक से बना है और इसमें पेट्रोल, डीजल, CNG और एथनॉल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या यह इंजन प्रदूषण को कम करता है?

हाँ, इस इंजन के साइलेंसर का तापमान बेहद कम रहता है और इसमें से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) की मात्रा लगभग शून्य होती है।

यह तकनीक पुराने इंजनों से अलग कैसे है?

पारंपरिक इंजन अधिकतम थ्रस्ट 25 डिग्री पर देते हैं, जबकि शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) ने इसे 60 डिग्री पर सेट किया है। इससे इंजन ऊर्जा का लगभग 70% उपयोग कर पाता है, जबकि पुराने इंजन केवल 30% तक ऊर्जा का इस्तेमाल करते थे।

क्या यह इंजन बड़े वाहनों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है?

शैलेंद्र गौर (Shailendra Gaur) का मानना है कि यह तकनीक न केवल बाइक्स बल्कि कारों, ट्रकों और यहां तक कि जहाजों में भी लागू की जा सकती है।

क्या यह इंजन व्यावसायिक स्तर पर उपलब्ध है?

फिलहाल यह इंजन प्रोटोटाइप स्टेज पर है। शैलेंद्र गौर का कहना है कि रिसर्च और फंडिंग मिलने पर इसे बड़े पैमाने पर बाजार में उतारा जा सकता है।

Exit mobile version