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धान की खेती कैसे करें (Dhan ki kheti) – बुआई से लेकर कटाई तक की पूर्ण जानकारी
धान की खेती, भारत समेत कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल है। खासकर खरीफ सीजन में भारत के विभिन्न हिस्सों में किसान धान की खेती करते हैं। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. पी. रघुवीर राव बताते हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों में धान की खेती की जाती है और विभिन्न किस्मों के धान की खेती के लिए स्थानीय मौसम के हिसाब से उपयुक्त बीजों का ही चयन करना चाहिए।धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए सही बीजों का चयन करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कई बार ऐसा देखा गया है कि, किसान महंगे और अच्छे बीजों और खादों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सही उपज नहीं प्राप्त होता है। इसलिए बुआई से पहले उचित बीज चयन और खेत की देखभाल करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। बीजों का चयन हमेशा मौसम और भूमि की गुणवत्ता के आधार पर चयन किया जाना चाहिए।
क्या है धान की खेती का सही समय ?
धान की रोपाई का सही समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के तीसरे सप्ताह तक है। इससे पहले मई माह में नर्सरी में धान के पौधों की तैयार करने का काम शुरू किया जा सकता है। मई में इसकी नर्सरी तैयार कर लेनी चाहिए और जून में इसकी रोपाई का काम शुरू कर देना चाहिए। धान की नर्सरी सही समय पर तैयार कर ली जाए तो इसकी रोपाई का काम बहुत आसान हो जाता है। धान की किस्म के आधार पर इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अलग-अलग होता है, जो इस प्रकार है
- धान की संकर किस्मों के लिए मई के दूसरे सप्ताह से लेकर पूरे जून महीने तक धान की नर्सरी लगाना सही माना गया है।
- वहीं, मध्यम अवधि की संकर किस्मों के लिए मई के दूसरे सप्ताह में नर्सरी लगाना सही माना गया है।
- इसके अलावा, धान की बासमती किस्मों की नर्सरी जून के पहले सप्ताह में नर्सरी लगाना सही माना गया है।

धान की सीधी बुवाई विधि (DSR – Direct Seeding Rice)
कम पानी में धान की उपज प्राप्त करने के लिए किसान सीधी बुवाई विधि अपना सकते हैं। यह विधि उन क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी है, जहां सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। धान की बुवाई की यह विधि हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में बहुत लोकप्रिय है और सरकार भी किसानों को सीधी बुवाई से धान बोने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। धान की सीधी बुवाई के लिए DSR का उपयोग बहुत अच्छा समझा जाता है। जिन खेतों में फसल अवशेष हैं, वहां कल्टीवेटर, रोटरी टिलर या डिस्क हैरो का उपयोग करके DSR – Direct Seeding Rice से धान की सीधी बुवाई करना बेहतर है। नौ कतार वाली DSR – Direct Seeding Rice मशीन से प्रति घंटे लगभग एक लगभग एकड़ में धान की सीधी बुवाई की जा सकती है। लेकिन DSR से धान की बुवाई करते समय ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
जानिए कैसे होती है DSR – Direct Seeding Rice से धान की सीधी बुवाई ?
DSR – Direct Seeding Rice से धान की सीधी बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 45 से 50 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करना सही माना गया है। सीधी बुआई के लिए सरकार द्वारा प्रमाणित बीजों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। बीज की अंकुरण क्षमता 85 से 90 प्रतिशत होनी चाहिए। अगर बीज का अंकुरण क्षमता दर कम है, तो बीज दर बढ़ाई जा सकती है। बुवाई से पहले धान के बीजों को उपचारित करना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक किलोग्राम बीज के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 0.2 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन के साथ मिलाकर बीज को दो घंटे तक छाया में सुखाएं और फिर DSR – Direct Seeding Rice से बुवाई करना चाहिए।

धान की बुवाई की एसआरआई (SRI) विधि
एसआरआई (SRI) धान की बुआई की आधुनिक विधि है। इस विधि में सबसे पहले 20 प्रतिशत वर्मीकम्पोस्ट, 70 प्रतिशत मिट्टी और 10 प्रतिशत भूसा या रेत लेकर मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद प्लास्टिक या पॉलीथिन बिछाकर तैयार मिश्रण से उठी हुई क्यारियाँ बना दी जाती हैं। इसके बाद बीजों की बुआई उठी हुई क्यारियाँ पे की जाती है। धान की बुआई के बाद बीजों को मिट्टी की पतली परत से ढक दिया जाता है। और नमी को सामान्य रखने के लिए उसमें पानी दिया जाता है। इस विधि से पौधे सिर्फ 8 से 12 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। जब पौधे में दो पत्तियां आ जाती हैं तो उसकी रोपाई कर सकते हैं।

धान की रोपाई कैसे करें ?
एसआरआई (SRI) विधि से तैयार धान की पौध की रोपाई से एक दिन पहले नर्सरी की सिंचाई कर दें, जिससे पौधे को आसानी से निकला जा सके। नर्सरी से पौधे निकालने के बाद यदि धन के पौधों की जड़ों में मिट्टी है तो उसे पानी से धोकर साफ कर ले। अब कार्बेन्डाजिम 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी लेकर जरुरत के मुताबिक पानी में घोल बना लें। इसके बाद पौधों की जड़ों को इस घोल में 25 से 30 मिनट तक भिगोकर रखें। फिर उपचारित पौधों को खेत में रोप दें। सामान्यतः धान की रोपाई के लिए पंक्तियों के बीच की दूरी 20 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10 सेमी होती है। रोपाई करते समय एक ही स्थान पर दो से तीन पौधे लगाने चाहिए। अगर आप किसी कृषि यंत्र से धान की रोपाई कर रहे हैं तो इसके लिए खेत की क्यारियां तैयार पहले करें और इसके बाद उसमें धान की रोपाई करें। आधुनिक कृषि यंत्रों से धान की बुवाई करने से समय और श्रम की बचत होती है जिससे आप ज्यादा बचत कर सकते हैं।
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धान की बुआई का सही समय क्या है?
धान की बुआई का समय क्षेत्र, जलवायु और किस्म पर निर्भर करता है।
उत्तर भारत: 15 जून से 15 जुलाई के बीच
पूर्वी भारत (बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल): 20 जून से 10 जुलाई
दक्षिण भारत में बुआई का समय अलग-अलग हो सकता है, जैसे खरीफ, रबी और समर सीजन।
धान की कौन-कौन सी किस्में सबसे अच्छी हैं?
उच्च पैदावार वाली किस्में: MTU-1010, MTU-7029 (Swarna), IR-64, PR-106
सुगंधित किस्में: बासमती-1121, PUSA-1509
जलभराव सहनशील: Sahbhagi Dhan, Swarna Sub-1
सूखा सहनशील: DRR Dhan 42, Sahbhagi Dhan
धान की बुआई के लिए खेत की तैयारी कैसे करें?
खेत को अच्छी तरह जुताई करें
पहली जुताई के बाद पाटा चलाएं
पानी भरकर 2-3 बार कल्टीवेटर से जुताई करें (पडलिंग)।
गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं।
नर्सरी की तैयारी अलग से करें और मुख्य खेत को तैयार रखें
नर्सरी में धान के बीज कैसे तैयार करें?
बीज शोधन करें (फंगस और कीट से बचाव हेतु)
प्रति एकड़ 5-6 किलो बीज पर्याप्त
बीज को 24 घंटे भिगोकर और फिर 24 घंटे ढककर अंकुरित करें
10-12 दिन बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं
धान के बीज उपचार कैसे करें?
फफूंदनाशक से बीज शोधन करें – कार्बेन्डाजिम या थायरम @ 2 ग्राम/किलो बीज
नमक घोल (5%) से खराब बीज अलग करें (डूबे हुए बीज ही प्रयोग करें)
धान के रोपाई की सही विधि क्या है?
एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी: 20 से 25 सेमी
पौधे से पौधे की दूरी: 10 से 15 सेमी
एक स्थान पर दो पौधे रोपें
रोपाई 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर करें
धान के खेत में खाद और उर्वरक का सही मात्रा में प्रयोग कैसे करें?
प्रति एकड़ (सामान्य सिफारिश):
नाइट्रोजन (N): 50-60 किलो
फास्फोरस (P): 20-25 किलो
पोटाश (K): 20-25 किलो
जैविक खाद: 5-10 टन गोबर की खाद
Tip: उर्वरक को 2-3 हिस्सों में बांटकर डालें, विशेषकर नाइट्रोजन को।
धान के खेत में पानी की जरूरत और प्रबंधन कैसे करें?
रोपाई के बाद 7-10 दिन लगातार पानी रखें
बाद में 2-3 इंच पानी बनाए रखें
पुष्पन और दाने बनने के समय पर विशेष ध्यान दें
जल प्रबंधन से 30-40% पानी की बचत संभव है
धान के खेत को कीट एवं रोग से नियंत्रण कैसे करें?
महत्वपूर्ण कीट: तना छेदक, गंधी कीट, भूंडी इल्ली
रोग: ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट, झुलसा रोग
उपाय: समय पर दवा छिड़काव करें
तना छेदक के लिए: क्लोरेन्ट्रानिलीप्रोल या कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड
रोगों के लिए: ट्राइसायक्लाजोल या कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब
धान के फसल की कटाई का सही समय कब है?
जब 80-85% बालियों के दाने पक जाएं
दाने हाथ से मसलने पर कठोर हों
बालियां पीली हो जाएं
धान की बुआई के लिए बीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
प्रत्यक्ष बुआई (Direct Seeding): 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर।
नर्सरी से रोपाई (Transplanting): 15-20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर।
धान की बुआई के लिए कौन-सी विधि सबसे अच्छी है?
रोपाई विधि (Transplanting): सबसे आम और उच्च उपज देने वाली विधि।
सीधी बुआई (Direct Seeding): कम पानी और श्रम की आवश्यकता होती है।
SRI (System of Rice Intensification): कम बीज और पानी में अधिक उपज देती है।
धान की फसल में पानी की कितनी आवश्यकता होती है?
धान को 1000-1500 मिमी पानी चाहिए। खेत में 5-10 सेमी पानी बनाए रखना चाहिए, खासकर बुआई से लेकर दाना बनने तक।