नमस्ते किसान भाइयों! टमाटर की खेती, आज हम बात करेंगे एक ऐसी फसल की, जो भारतीय रसोई की जान है और किसानों के लिए मुनाफे का खजाना भी। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं टमाटर (Tomato) की। टमाटर (Tomato) की खेती अगर सही तकनीक और जानकारी के साथ की जाए, तो यह आपको साल भर अच्छी आमदनी दे सकती है। चाहे आप छोटे किसान हों या बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हों, यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए एक संपूर्ण गाइड का काम करेगी।
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इस लेख में, हम टमाटर की खेती (Tomato Farming) से जुड़े हर पहलू पर विस्तार से चर्चा करेंगे – बेहतरीन किस्मों से लेकर बाजार में बेचने तक की पूरी प्रक्रिया। तो चलिए, टमाटर की खेती (Tomato Farming) के इस सफर की शुरुआत करते हैं।
आज हर किसान की सबसे बड़ी जरूरत है – कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती। खासतौर पर छोटे और सीमांत किसान ऐसी फसलों की तलाश में रहते हैं, जो कम जमीन, कम खर्च और कम समय में अच्छी आमदनी दे सकें। बरसात के मौसम में टमाटर की खेती (Tomato Farming) किसानों के लिए बिल्कुल वैसा ही अवसर बनकर उभरी है।

टमाटर एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग पूरे साल रहती है। बाजार में इसकी कीमतें ₹5 किलो से लेकर ₹150 किलो तक जाती हैं, और कई बार सीजन ऑफ होने पर ₹200 किलो तक भी पहुंच जाती हैं। यही वजह है कि किसान इसे नकदी फसल (Cash Crop) के रूप में अपनाने लगे हैं।
10–15 हजार खर्च, लाखों की कमाई
कई किसानों का कहना है कि उन्होंने सिर्फ 10 से 15 हजार रुपये की लागत में 1 से 2 लाख रुपये तक की आमदनी हासिल की। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि फसल 60–70 दिनों में तैयार हो जाती है और एक ही खेत से कई बार तुड़ाई (Harvesting) की जा सकती है।
मुख्य खर्च (प्रति एकड़)–
- नर्सरी या पौध खरीद : ₹2000 – ₹3000
- खाद, स्प्रे व देखरेख : ₹3000 – ₹5000
- मजदूरी व अन्य खर्च : ₹4000 – ₹7000
कुल अनुमानित लागत – ₹10,000 – ₹15,000
टमाटर (Tomato) की उन्नत किस्में / Improved Varieties of Tomato
सही किस्म का चुनाव आपकी आधी मेहनत बचा सकता है और पैदावार दोगुनी कर सकता है। भारत में टमाटर (Tomato) की कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपनी जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार चुन सकते हैं।
मुख्य रूप से टमाटर (Tomato) की किस्में दो प्रकार की होती हैं:
- निर्धारित किस्में (Determinate Varieties): इन किस्मों के पौधे एक निश्चित ऊंचाई तक बढ़ते हैं और फिर रुक जाते हैं। इनमें फल लगभग एक ही समय पर लगते हैं, जो कम समय में पूरी फसल लेने के लिए उपयुक्त हैं।
- अनिश्चित किस्में (Indeterminate Varieties): इन किस्मों के पौधे लगातार बढ़ते रहते हैं और लंबे समय तक फल देते हैं। इन्हें सहारे की जरूरत होती है।
भारत में अलग-अलग राज्यों और मौसम के हिसाब से कई किस्में उगाई जाती हैं।
लोकप्रिय हाइब्रिड किस्में:
- पूसा रूबी
- अर्का विकास
- अर्का रक्षक
- पूसा 120
- हाइब्रिड 1005
टमाटर की प्रमुख किस्में व उनकी विशेषताएँ
भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख उन्नत किस्में:
किस्म का नाम | प्रकार | पकने का समय (दिन) | औसत उपज (क्विंटल/एकड़) | विशेषताएं |
पूसा रूबी | निर्धारित | 110-120 | 120-140 | पुरानी और भरोसेमंद किस्म, प्रोसेसिंग के लिए अच्छी। |
अर्का रक्षक | अनिश्चित | 140-150 | 380-400 | तीन प्रमुख रोगों (पत्ती मोड़क, जीवाणु झुलसा, अगेती झुलसा) के प्रतिरोधी। |
अभिनव | हाइब्रिड | 120-130 | 300-350 | फल ठोस, मोटे छिलके वाले, लंबी दूरी के परिवहन के लिए उत्तम। |
पूसा हाइब्रिड-2 | हाइब्रिड | 130-140 | 200-220 | गर्मी के मौसम के लिए उपयुक्त, उच्च तापमान सहनशील। |
स्वर्ण समृद्धि | हाइब्रिड | 115-125 | 320-360 | फल गोल, आकर्षक लाल रंग के होते हैं। |
काशी अमन | निर्धारित | 120-130 | 240-260 | फल चपटे-गोल, स्थानीय बाजार के लिए बेहतर। |
उपयुक्त मिट्टी (Suitable Soil)
टमाटर (Tomato) लगभग सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी जिसमें जैविक पदार्थ की भरपूर मात्रा हो, सबसे उत्तम मानी जाती है। इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली, जीवांश युक्त बलुई दोमट से लेकर दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे जड़ों में गलन का खतरा बढ़ जाता है।
मिट्टी की विशेषताएँ:
- pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए
- अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी
- जैविक खाद (Farmyard manure) युक्त
- अधिक नमी वाली मिट्टी से बचें
जलवायु (Climate)
टमाटर (Tomato) एक समशीतोष्ण से उष्णकटिबंधीय फसल है, आसान भाषा में कहें तो टमाटर (Tomato) गर्म जलवायु की फसल है। इसके लिए दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस सबसे उपयुक्त माना जाता है। अत्यधिक पाला और बहुत अधिक गर्मी (40°C से ऊपर) दोनों ही इसकी फसल के लिए हानिकारक हैं।
- आदर्श तापमान: 20°C से 30°C
- अधिक गर्मी (35°C से ऊपर) पर फूल गिरने लगते हैं
- ठंड में 10°C से कम तापमान पर भी उत्पादन प्रभावित होता है
खेत की तैयारी और रोपाई / Farm Preparation and Planting
टमाटर की खेती (Tomato Farming) के लिए खेत की सही तैयारी टमाटर (Tomato) के पौधों की जड़ों के विकास और पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण है।

टमाटर की खेती (Tomato Farming) कदम-दर-कदम प्रक्रिया:
- जुताई: गर्मी में खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और खरपतवार व कीट नष्ट हो जाएं।
- खाद डालना: अंतिम जुताई से पहले प्रति एकड़ 10-12 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) या 4-5 टन वर्मीकम्पोस्ट खेत में समान रूप से मिलाएं।
- बेड बनाना: टमाटर (Tomato) की खेती के लिए उठी हुई क्यारियां (Raised Beds) बनाना सबसे अच्छा होता है। इससे जल निकासी बेहतर होती है। क्यारियों की चौड़ाई लगभग 2.5-3 फीट और ऊंचाई 6-8 इंच रखें।
- नर्सरी तैयार करना: टमाटर (Tomato) के बीजों को सीधे खेत में नहीं बोया जाता। पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं। नर्सरी में पौधे लगभग 25-30 दिन में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
- रोपाई (Transplanting): जब पौधे 4-5 पत्तियों के हो जाएं, तो शाम के समय उनकी रोपाई मुख्य खेत में करें। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।
रोपाई की दूरी:
विधि | पौधे से पौधे की दूरी | कतार से कतार की दूरी |
निर्धारित किस्में | 45-60 सेमी | 75-90 सेमी |
अनिश्चित किस्में (सहारे के साथ) | 45-60 सेमी | 120-150 सेमी |
भारत में टमाटर का उत्पादन (Production in India)
भारत के किन-किन राज्यों में सबसे ज्यादा टमाटर की खेती होती है:
राज्य | वार्षिक उत्पादन (लाख टन) | विशेषता |
---|---|---|
आंध्र प्रदेश | 35 | उच्च गुणवत्ता व प्रोसेसिंग |
कर्नाटक | 32 | केचप व प्रोसेस्ड उत्पाद |
मध्य प्रदेश | 25 | अधिक क्षेत्रफल में खेती |
तमिलनाडु | 20 | पूरे साल खेती संभव |
बिहार | 18 | स्थानीय व मंडी आपूर्ति |
स्रोत: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और कृषि मंत्रालय के विभिन्न प्रकाशन।
Internal Link: बिहार में टमाटर खेती की तकनीक
External Link: राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) रिपोर्ट
रोग व कीट नियंत्रण (Diseases and Pest Management)
टमाटर (Tomato) की फसल को कई रोग और कीट नुकसान पहुंचाते हैं। समय पर इनकी पहचान और नियंत्रण बहुत जरूरी है।
सामान्य रोग:
- झुलसा रोग (Blight)
- मोज़ेक वायरस (Mosaic Virus)
- बैक्टीरियल विल्ट
टमाटर में होने वाले प्रमुख कीट और नियंत्रण:
कीट का नाम | लक्षण | जैविक नियंत्रण | रासायनिक नियंत्रण |
फल छेदक (Fruit Borer) | इल्ली फलों में छेद कर देती है, जिससे फल सड़ जाते हैं। | नीम का तेल (Neem Oil) 5 मिली/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। फेरोमोन ट्रैप लगाएं। | इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 8-10 ग्राम/15 लीटर पानी। |
सफ़ेद मक्खी (Whitefly) | पत्तियों का रस चूसती है और वायरस फैलाती है। | येलो स्टिकी ट्रैप (Yellow Sticky Traps) लगाएं। वर्टिसिलियम लेकानी का प्रयोग करें। | इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 5-7 मिली/15 लीटर पानी। |
माहू (Aphids) | पत्तियों और कोमल तनों का रस चूसते हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। | नीम का तेल या साबुन का घोल छिड़कें। | थायोमेथोक्साम 25% WG @ 5 ग्राम/15 लीटर पानी। |
टमाटर में होने वाले प्रमुख रोग और नियंत्रण:
रोग का नाम | लक्षण | जैविक/निवारक उपाय | रासायनिक नियंत्रण |
अगेती झुलसा (Early Blight) | निचली पत्तियों पर भूरे रंग के छल्लेदार धब्बे बनते हैं। | रोग प्रतिरोधी किस्में लगाएं। फसल चक्र अपनाएं। | मैंकोजेब 75% WP @ 30-40 ग्राम/15 लीटर पानी। |
पछेती झुलसा (Late Blight) | पत्तियों और तनों पर पानी से भरे, काले धब्बे बनते हैं। मौसम नम होने पर तेजी से फैलता है। | अच्छी जल निकासी सुनिश्चित करें। पौधों के बीच उचित दूरी रखें। | मेटलैक्सिल + मैंकोजेब @ 30 ग्राम/15 लीटर पानी। |
पर्ण कुंचन (Leaf Curl Virus) | पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं, छोटी रह जाती हैं और पौधा बौना हो जाता है। | रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें। सफ़ेद मक्खी को नियंत्रित करें। | यह एक वायरस है, इसका कोई सीधा रासायनिक नियंत्रण नहीं है। वाहक कीट को नियंत्रित करें। |
जीवाणु झुलसा (Bacterial Wilt) | पौधा अचानक मुरझा कर सूख जाता है। तना काटने पर दूधिया तरल निकलता है। | रोग प्रतिरोधी किस्में (जैसे अर्का रक्षक) लगाएं। खेत में जलभराव न होने दें। | स्ट्रेप्टोसाइक्लिन @ 1 ग्राम/10 लीटर पानी से पौधों की जड़ों को भिगोएं। |
नियंत्रण के तरीके:
- रोग प्रतिरोधक किस्में लगाएँ
- फसल चक्र अपनाएँ
- नीम आधारित बायोपेस्टिसाइड का उपयोग करें
- फफूंदनाशी (Fungicide) का छिड़काव करें
टमाटर की सिंचाई व खाद प्रबंधन (Irrigation & Fertilizer Management)
पौधों की अच्छी बढ़त और भरपूर फल के लिए संतुलित सिंचाई और पोषण आवश्यक है।
टमाटर (Tomato) की फसल में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए। ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) सबसे उत्तम विधि है। इससे पानी की बचत होती है और सीधे पौधों की जड़ों तक पानी पहुंचता है। मौसम के अनुसार 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। फल लगने के समय सिंचाई का विशेष ध्यान रखें।

- पहली सिंचाई: रोपाई के तुरंत बाद
उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): मिट्टी की जांच के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करना सबसे अच्छा होता है। एक सामान्य सिफारिश नीचे दी गई है:
पोषक तत्व | मात्रा (प्रति एकड़) | देने का समय |
गोबर की खाद | 10-12 टन | खेत की तैयारी के समय |
नाइट्रोजन (N) | 40-50 किग्रा (यूरिया: 90-110 किग्रा) | 1/3 मात्रा रोपाई के समय, शेष 2 भागों में 30 और 50 दिन बाद |
फॉस्फोरस (P) | 25-30 किग्रा (SSP: 150-180 किग्रा) | पूरी मात्रा रोपाई के समय |
पोटेशियम (K) | 25-30 किग्रा (MOP: 40-50 किग्रा) | पूरी मात्रा रोपाई के समय |
सूक्ष्म पोषक तत्व | (जिंक, बोरॉन) | आवश्यकतानुसार छिड़काव करें, खासकर फूल आने पर। |
तुड़ाई और उपज / Harvesting and Yield
तुड़ाई (Harvesting): टमाटर (Tomato) की तुड़ाई इस बात पर निर्भर करती है कि बाजार कितना दूर है।
- लंबी दूरी के लिए: जब फल हरे से पीले होने लगें (Turning Stage)।
- स्थानीय बाजार के लिए: जब फल पूरी तरह लाल और पके हों।
तुड़ाई हमेशा सुबह या शाम के समय करनी चाहिए। फलों को डंठल के साथ तोड़ें ताकि वे लंबे समय तक ताजा रहें।
उपज (Yield): उपज कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे – किस्म, मिट्टी, मौसम और प्रबंधन।
- औसत उपज (देसी किस्में): 100 – 140 क्विंटल प्रति एकड़।
- औसत उपज (हाइब्रिड किस्में): 250 – 400 क्विंटल प्रति एकड़।
टमाटर के फायदे (Benefits of Tomato Farming)
- बाज़ार में सालभर मांग रहती है
- प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में उपयोग
- कम समय में नकदी फसल
- किसानों के लिए आय का स्थायी स्रोत
आधुनिक तकनीक (Modern Techniques in Tomato Farming)
- ड्रिप इरिगेशन से पानी की बचत
- मल्चिंग से नमी बनाए रखना
- हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक
- ग्रीनहाउस खेती से ऑफ सीजन उत्पादन
टमाटर की पैदावार बढ़ाने के टिप्स (Tips for Higher Yield)
- गुणवत्तापूर्ण बीज का चुनाव करें
- पौधशाला (Nursery) से स्वस्थ पौध लगाएँ
- नियमित निराई-गुड़ाई करें
- संतुलित उर्वरक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का प्रयोग करें
किसान भाइयों, टमाटर (Tomato) की खेती वैज्ञानिक तरीकों और सही प्रबंधन के साथ करने पर निश्चित रूप से एक लाभकारी व्यवसाय है। सही किस्म का चुनाव, समय पर पोषण और रोग नियंत्रण, ये तीन सफलता के मूल मंत्र हैं। हमें उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी और आप टमाटर (Tomato) की बंपर पैदावार लेकर अपनी आमदनी में वृद्धि कर पाएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FAQ)
टमाटर की फसल कितने दिनों में तैयार होती है?
आमतौर पर 90 से 120 दिनों में फसल तैयार हो जाती है।
टमाटर की सबसे ज्यादा खेती कहाँ होती है?
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा।
टमाटर की खेती के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी है?
दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी।
टमाटर में कौन सा रोग सबसे सामान्य है?
झुलसा रोग और मोज़ेक वायरस।
टमाटर की पैदावार कैसे बढ़ाएँ?
ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग और रोग प्रतिरोधक किस्में लगाकर
टमाटर की खेती के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है? (What is the best time for tomato farming?)
भारत में टमाटर (Tomato) की खेती साल में तीन बार की जा सकती है:
रबी (सर्दियों की फसल): सितंबर-अक्टूबर में रोपाई।
जायद (गर्मियों की फसल): जनवरी-फरवरी में रोपाई।
खरीफ (मानसून की फसल): जून-जुलाई में रोपाई (पहाड़ी क्षेत्रों में)।
एक एकड़ टमाटर की खेती में कितना खर्च आता है? (What is the cost of farming tomatoes in one acre?)
एक एकड़ टमाटर (Tomato) की खेती में लगभग 40,000 से 70,000 रुपये का खर्च आ सकता है। यह खर्च बीज, खाद, मजदूरी और प्रबंधन पर निर्भर करता है।
टमाटर के फूल क्यों झड़ जाते हैं? (Why do tomato flowers fall off?)
इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे – तापमान में अचानक बदलाव, पानी की कमी या अधिकता, पोषक तत्वों (विशेषकर बोरॉन) की कमी, या कीटों का प्रकोप।
टमाटर का आकार कैसे बढ़ाएं? (How to increase tomato fruit size?)
फल लगने के समय पोटेशियम युक्त उर्वरकों (जैसे 0:0:50) का छिड़काव करें। पौधों को नियमित और संतुलित पानी दें। खरपतवार नियंत्रण और उचित छंटाई से भी फलों का आकार बढ़ता है।
टमाटर की जैविक खेती कैसे करें? (How to do organic tomato farming?)
जैविक खेती के लिए रासायनिक उर्वरकों की जगह गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और जीवामृत का प्रयोग करें। कीटों और रोगों के नियंत्रण के लिए नीम का तेल, दशपर्णी अर्क और मित्र कीटों का उपयोग करें।