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Potato Yield per Acre in India : मेरे किसान भाइयों, क्या आप भी उन किसानों में से हैं जो आलू की खेती में अपनी मेहनत का सही फल नहीं पा रहे हैं? क्या आप भी सोचते हैं कि आपका पड़ोसी आपसे दुगना आलू कैसे निकाल लेता है?
अगर हाँ, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं।
Potato Yield per Acre in India: आलू (Potato) सिर्फ़ एक सब्ज़ी नहीं है, यह भारतीय किसानों की जान है, और इसे ‘गरीबों का दोस्त’ भी कहा जाता है। लेकिन अगर इसकी खेती सही तरीके से न की जाए, तो यह मुनाफे की जगह घाटा भी दे सकता है।
Potato Yield per Acre in India: आज हम बात करेंगे उस सबसे ज़रूरी चीज़ की, जिसके लिए हर किसान रात-दिन एक करता है – “प्रति एकड़ आलू का उत्पादन” (Potato Yield Per Acre)! हम जानेंगे कि कैसे आप वैज्ञानिक और देसी दोनों तरीकों का इस्तेमाल करके अपने आलू के खेत से बंपर पैदावार ले सकते हैं।
Potato Yield per Acre in India: भारत में आलू (Potato) हर किसान की पसंदीदा फसल है। यह ऐसी फसल है जो कम समय में ज्यादा मुनाफा देती है। आलू से चिप्स, फ्रेंच फ्राइज, स्टार्च, सब्जी—सब कुछ बनाया जाता है। यही कारण है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है।
लेकिन सवाल ये है कि —
👉 एक एकड़ में आलू की कितनी पैदावार होती है?
👉 कौन सी किस्म ज्यादा उपज देती है?
👉 और कितना खर्च व कितना मुनाफा होता है?

प्रति एकड़ आलू का औसत उत्पादन कितना होता है? (What is the Average Potato Yield Per Acre?)
Potato Yield per Acre in India: भारत में औसत रूप से आलू की उपज 100 से 200 क्विंटल प्रति एकड़ (Potato Yield Per Acre) तक होती है। यह उपज मिट्टी, जलवायु, बीज की किस्म, और खेती की तकनीक पर निर्भर करती है।
| खेती का प्रकार | औसत पैदावार (क्विंटल/एकड़) | विवरण |
|---|---|---|
| पारंपरिक खेती | 80–100 | साधारण खाद और बीज से |
| उन्नत खेती | 120–160 | हाइब्रिड बीज और सही सिंचाई से |
| आधुनिक (हाई-टेक) खेती | 180–250 | ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, और वैज्ञानिक तकनीक से |
👉 अगर आप वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो एक एकड़ से 250 क्विंटल तक आलू उत्पादन संभव है।
आपका लक्ष्य क्या होना चाहिए?
आपका लक्ष्य कम से कम 150 क्विंटल प्रति एकड़ (15 टन/एकड़) को पार करना होना चाहिए। यह एक ऐसा आंकड़ा है, जो मुनाफे की गारंटी देता है, बशर्ते बाज़ार भाव अच्छा हो।
अब, आइए उन 10 सबसे ज़रूरी वैज्ञानिक और व्यावहारिक तरीकों को जानते हैं, जो इस लक्ष्य को हासिल करने में आपकी मदद करेंगे।
उच्च उपज देने वाली आलू की किस्में (High Yield Potato Varieties in India)
| किस्म (Variety) | उपज (क्विंटल/एकड़) | अवधि (दिन) | विशेषता |
|---|---|---|---|
| Kufri Pukhraj | 150–180 | 90–100 | जल्दी तैयार होने वाली, स्वादिष्ट |
| Kufri Jyoti | 120–150 | 100–110 | रोग प्रतिरोधी |
| Kufri Bahar | 180–220 | 110–120 | लंबी किस्म, उच्च उपज वाली |
| Kufri Sindhuri | 160–200 | 110–120 | लाल छिलका, भंडारण के लिए श्रेष्ठ |
| Chipsona-3 | 200–250 | 90–100 | चिप्स और प्रोसेसिंग के लिए बेहतरीन |
👉 सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्में हैं Kufri Bahar, Kufri Pukhraj और Chipsona-3।
आलू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (Best Soil for Potato Farming)
मिट्टी की जाँच:
Potato Yield per Acre in India: आलू के लिए सबसे ज़रूरी है हल्की, भुरभुरी, और अच्छी जल निकासी (Well-drained) वाली मिट्टी। लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि आपकी मिट्टी में क्या कम है?
- हर साल मिट्टी की जाँच (Soil Testing) करवाएँ। आलू की खेती के लिए pH मान 5.5 से 7.0 के बीच आदर्श माना जाता है। अगर pH ज़्यादा हो, तो रोग (जैसे Scab) बढ़ सकते हैं।
- दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
- pH स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
- मिट्टी में जल निकास अच्छा होना जरूरी है।
मिट्टी की तैयारी:
- खेत की 2–3 बार गहरी जुताई करें।
- 10–15 टन गोबर की खाद डालें।
- आखिरी जुताई में 50 किलो DAP + 20 किलो पोटाश डालें।
बीज की मात्रा और रोपाई (Potato Seed Rate and Planting Distance)
उत्पादन का 40% हिस्सा सिर्फ़ बीज पर निर्भर करता है।
हमेशा प्रमाणित, रोग-मुक्त (Disease-free) बीज का उपयोग करें। भारत में, कुफरी (Kufri) की किस्में (जैसे कुफरी सिंदूरी, कुफरी चिप्सोना, कुफरी बादशाह) सबसे ज़्यादा चलती हैं। अपनी ज़मीन और बाज़ार की माँग के हिसाब से किस्म चुनें।
| विवरण | मात्रा |
|---|---|
| बीज की मात्रा | 8–10 क्विंटल प्रति एकड़ |
| कतार से कतार दूरी | 45 सेमी |
| पौधे से पौधे की दूरी | 20 सेमी |
| बीज की गहराई | 5–7 सेमी |
👉 बीज को बुवाई से पहले Mancozeb या Carbendazim से उपचारित करें ताकि फफूंद न लगे।
सरकारी योजनाएँ और सहायता | Government Schemes and Support
- सीड ड्रिल और पैडी ड्रिल मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और डेमो प्लॉट
- ऑनलाइन जानकारी: भारत सरकार कृषि पोर्टल
- प्रेस इनफार्मेशन सरकारी रिलीज
- आलू के उन्नत किस्मों के लिए आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- बीज आवेदन के लिए यहाँ क्लिक करें।
बीज उपचार (Seed Treatment): रोग से बचाव
बीज को खेत में लगाने से पहले उपचारित करना बहुत ज़रूरी है, ताकि मिट्टी और बीज जनित रोगों से बचा जा सके।
बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक (Fungicide) और कीटनाशक (Insecticide) से उपचारित करें। यह अंकुरण (Sprouting) को बेहतर बनाता है और शुरुआती रोग-कीटों से बचाता है।
खाद और उर्वरक प्रबंधन (Best Fertilizer for Potato per Acre)
आलू, जिसे बढ़ने के लिए भारी मात्रा में पोषण चाहिए।
नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), और पोटाश (K) सही अनुपात में दें। आलू को पोटाश (Potash) सबसे ज़्यादा चाहिए, क्योंकि यह कंदों (Tubers) के आकार और संख्या को बढ़ाता है। बुवाई के समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा दें, और नाइट्रोजन को दो से तीन किश्तों में दें (बुवाई, और फिर मिट्टी चढ़ाने के समय)।
- आमतौर पर (प्रति एकड़): 100-120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम फास्फोरस, 100-120 किलोग्राम पोटाश की ज़रूरत होती है।
| उर्वरक | मात्रा (किलो/एकड़) | देने का समय |
|---|---|---|
| यूरिया | 100–120 | दो बार में |
| DAP | 50 | बुवाई के समय |
| MOP (पोटाश) | 40–50 | मिट्टी में मिलाएँ |
| जिंक सल्फेट | 10 | जरूरत अनुसार |
| गोबर की खाद | 10–15 टन | जुताई के समय |
👉 नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग आलू के आकार को कम कर देता है, इसलिए संतुलित मात्रा ही डालें।
बुवाई का सही समय और दूरी (Planting Time and Spacing)
गलत समय पर बुवाई या ग़लत दूरी से सीधा उत्पादन घटता है।
मैदानी इलाकों में अक्टूबर के अंत से नवंबर का पहला पखवाड़ा बुवाई के लिए सबसे अच्छा है। सही दूरी रखें:
- लाइन से लाइन की दूरी: 60-75 सेंटीमीटर (24-30 इंच)
- पौधे से पौधे की दूरी: 15-20 सेंटीमीटर (6-8 इंच)
- कम दूरी से आलू की संख्या बढ़ती है, लेकिन आकार छोटा हो सकता है। उत्तम उत्पादन के लिए सही बैलेंस ज़रूरी है।

सिंचाई व्यवस्था (Irrigation Schedule)
Potato Yield per Acre in India: सिंचाई आलू की उपज को सीधे प्रभावित करती है। आलू को हल्की और बार-बार सिंचाई की ज़रूरत होती है। सिंचाई के तीन सबसे महत्वपूर्ण चरण हैं:
- कंद बनने की शुरुआत: (बुवाई के $30-45$ दिन बाद)
- कंद का तेजी से बढ़ना: (बुवाई के $60-80$ दिन बाद)
- फ़सल कटाई से पहले: (ज्यादा पानी देने से बचें)
- सबसे बेहतरीन तरीका: ड्रिप इरीगेशन (Drip Irrigation) का इस्तेमाल करें। यह पानी बचाता है और रोग कम करता है।
| चरण | सिंचाई का समय |
|---|---|
| पहली सिंचाई | बुवाई के 10 दिन बाद |
| दूसरी | 20–25 दिन बाद |
| तीसरी | कंद बनने के समय |
| चौथी | फूल आने पर |
| पाँचवीं | कटाई से 15 दिन पहले बंद करें |
👉 ड्रिप सिंचाई अपनाने से 30–40% पानी की बचत होती है और उत्पादन 20% तक बढ़ जाता है।
मिट्टी चढ़ाना (Earthing Up/Hilling): कंदों की सुरक्षा
Potato Yield per Acre in India: यह एक ऐसा काम है जिसे ज़्यादातर किसान नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि यह उत्पादन के लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है।
बुवाई के 25-30 दिन बाद पहली बार और 45-60 दिन बाद दूसरी बार मिट्टी ज़रूर चढ़ाएँ। यह आलू को सूर्य की रोशनी से बचाता है (हरा होने से रोकता है) और नए कंदों को बनने के लिए ज़्यादा जगह देता है।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control): पोषक तत्वों को बचाएं
खरपतवार (Weeds) आपके आलू से 30% तक पोषक तत्व और पानी चुरा सकते हैं।
बुवाई के तुरंत बाद प्री-इमरजेंस हर्बीसाइड (Pre-emergence Herbicide) का इस्तेमाल करें, या फिर बुवाई के बाद एक बार हाथ से निंदाई (Weeding) ज़रूर करें। मिट्टी चढ़ाना भी खरपतवारों को दबाने में मदद करता है।
कीट और रोग प्रबंधन (Pest & Disease Management): सतर्कता ही बचाव है

देर से आने वाला झुलसा (Late Blight) या मोज़ेक रोग (Mosaic Virus) जैसी बीमारियाँ रातोंरात आपकी पूरी फ़सल तबाह कर सकती हैं।
नियमित रूप से खेत की निगरानी करें।
- झुलसा रोग के लिए मैंकोजेब (Mancozeb) या प्रोपेमॉकार्ब (Propamocarb) जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
- चेपा (Aphids) जैसे रस चूसने वाले कीट, जो वायरस फैलाते हैं, उनके लिए इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) जैसे कीटनाशक का उपयोग करें।
| रोग/कीट | लक्षण | नियंत्रण |
|---|---|---|
| लेट ब्लाइट | पत्तियों पर भूरे-काले धब्बे | Metalaxyl + Mancozeb का छिड़काव |
| अर्ली ब्लाइट | पत्तों पर गोल धब्बे | Chlorothalonil का स्प्रे |
| एफिड्स (Aphids) | रस चूसने वाले कीट | Imidacloprid 0.3ml/L पानी में |
| पोटैटो बीटल | पत्तियाँ खा जाता है | नीम तेल या Chlorpyrifos स्प्रे |
👉 जैविक नियंत्रण के लिए नीम तेल और ट्राइकोडर्मा का उपयोग करें।
पत्ती को मारना/फसल की कटाई (Haulm Killing & Harvesting)
कटाई से पहले पौधे के ऊपर के हिस्से (पत्ती) को मारना (Killing) बहुत ज़रूरी है।
कटाई से $10-15$ दिन पहले पत्तियों को मैन्युअल रूप से (हाथ से) या रासायनिक रूप से (जैसे डाइक्वाट) नष्ट कर दें। ऐसा करने से:
- आलू की खाल (Skin) मोटी हो जाती है, जिससे भंडारण क्षमता (Storage life) बढ़ती है।
- हार्वेस्टिंग (Harvesting) आसान हो जाती है।
आधुनिक तकनीकें जो उत्पादन बढ़ाती हैं (Modern Techniques to Increase Potato Yield)
मुनाफ़ा तभी होगा जब आपको प्रति एकड़ लागत (Cost per Acre) की पूरी जानकारी हो। यह एक अनुमानित ब्रेकअप है:
- टिश्यू कल्चर बीज (Tissue Culture Seeds) का प्रयोग करें।
- ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग शीट लगाएँ।
- जैविक खाद (Biofertilizer) का उपयोग करें।
- मिट्टी परीक्षण (Soil Test) के आधार पर खाद डालें।
- फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएँ।
| मद (Item) | अनुमानित लागत (प्रति एकड़) |
|---|---|
| ज़मीन की तैयारी/जुताई | ₹ 5,000 – ₹ 8,000 |
| बीज (Seed) | ₹ 40,000 – ₹ 60,000 |
| खाद और उर्वरक (Fertilizer) | ₹ 15,000 – ₹ 20,000 |
| सिंचाई (Irrigation) | ₹ 3,000 – ₹ 5,000 |
| कीटनाशक/फफूंदनाशक | ₹ 7,000 – ₹ 10,000 |
| श्रम (Labour – बुवाई, निंदाई, मिट्टी चढ़ाना) | ₹ 15,000 – ₹ 25,000 |
| कटाई और ढुलाई | ₹ 10,000 – ₹ 15,000 |
| कुल अनुमानित लागत | ₹ 95,000 – ₹ 1,43,000 |
(यह लागत जगह और तकनीक के हिसाब से बदल सकती है।)
अगर आपका उत्पादन 150 क्विंटल है और बाज़ार भाव ₹ 1000 प्रति क्विंटल है, तो आपकी कुल आय ₹ 1,50,000 होगी। यदि आपकी लागत ₹ 1,00,000 है, तो शुद्ध मुनाफ़ा ₹ 50,000 प्रति एकड़ होगा।
जितना ज़्यादा Yield होगा, उतना ज़्यादा Profit Margin होगा!
लागत और मुनाफा (Cost and Profit per Acre)
| विवरण | लागत (₹) |
|---|---|
| बीज | ₹25,000 |
| खाद और दवा | ₹8,000 |
| मजदूरी | ₹6,000 |
| सिंचाई व ट्रैक्टर | ₹4,000 |
| कुल लागत | ₹43,000 |
| औसत उपज | 150 क्विंटल |
| विक्रय मूल्य ₹15/kg | ₹2,25,000 |
| शुद्ध लाभ | ₹1,70,000 – ₹1,80,000 प्रति एकड़ |
👉 यदि आधुनिक तकनीक अपनाई जाए तो मुनाफा ₹2 लाख तक पहुँच सकता है।
आलू का भंडारण (Potato Storage Tips)
- कटाई के बाद आलू को छांव में 2–3 दिन सुखाएं।
- फिर कोल्ड स्टोरेज (4°C) में रखें।
- लाल किस्में जैसे Kufri Sindhuri भंडारण के लिए सबसे अच्छी होती हैं।
राज्यवार आलू उत्पादन (State-wise Potato Yield in India)
| राज्य | औसत उपज (क्विंटल/एकड़) |
|---|---|
| उत्तर प्रदेश | 180–200 |
| बिहार | 150–180 |
| पंजाब | 200–220 |
| पश्चिम बंगाल | 130–160 |
| मध्य प्रदेश | 100–140 |
👉 बिहार में दरभंगा, गया, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर प्रमुख आलू उत्पादक जिले हैं।
आलू की पैदावार बढ़ाने के 10 मुख्य उपाय (10 Proven Tips to Increase Potato Yield)
- प्रमाणित बीज का उपयोग करें।
- समय पर सिंचाई करें।
- संतुलित उर्वरक दें।
- खरपतवार नियंत्रण करें।
- रोग और कीट प्रबंधन करें।
- फसल चक्र अपनाएँ।
- मिट्टी की गुणवत्ता जांचें।
- जैविक खाद का प्रयोग करें।
- मल्चिंग शीट लगाएँ।
- विशेषज्ञों की सलाह लें।
उच्च उपज देने वाली आलू की किस्में
अच्छी उपज के लिए ये प्रमुख किस्में बहुत प्रसिद्ध हैं:
- ‘कुफरी सिंधुरी’
- ‘कुफरी चिपसोना’
- ‘कुफरी बहार’
- ‘कुफरी पुखराज’
- ‘कुफरी आनंद’
- ‘कुफरी जवाहर’
इन किस्मों में अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता और ज्यादा उपज की संभावना रहती है।
भारत में आलू उत्पादन की स्थिति (India’s Potato Production in World)
भारत हर साल लगभग 550–600 लाख टन आलू उत्पादन करता है।
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, चीन के बाद।
यह फसल देश के 50 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोई जाती है।
Potato Yield per Acre in India: आलू उत्पादन प्रति एकड़ सिर्फ तकनीकी ज्ञान पर ही नहीं, बल्कि आपकी मेहनत, जागरूकता और स्मार्ट खेती पर भी निर्भर करता है। सही बीज, संतुलित सिंचाई व खाद, रोग नियंत्रण और सही समय पर कटाई से ही आप हर साल अधिक पैदावार और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आलू की खेती सही तकनीक और उन्नत बीज के साथ की जाए तो Potato yield per acre 200–250 क्विंटल तक पहुँच सकती है। भारत के किसानों के लिए यह फसल कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली है। अगर आप ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, और जैविक खाद जैसी तकनीकें अपनाते हैं, तो आपकी आमदनी दुगनी हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs on Potato Yield per Acre)
-
भारत में एक एकड़ में आलू की औसत पैदावार कितनी होती है?
Potato Yield per Acre in India: औसतन 120 से 180 क्विंटल प्रति एकड़ आलू की पैदावार होती है, जो किस्म और खेती के तरीके पर निर्भर करती है।
-
कौन सी मिट्टी आलू के लिए सबसे उपयुक्त है?
हल्की दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, आलू की खेती के लिए सर्वोत्तम है।
-
आलू की उपज कैसे बढ़ाएं?
प्रमाणित बीज, संतुलित खाद, ड्रिप सिंचाई, रोग नियंत्रण और मल्चिंग अपनाकर उपज बढ़ाई जा सकती है।
-
आलू की फसल कितने दिनों में तैयार होती है?
सामान्यतः 90 से 120 दिनों में आलू की फसल तैयार हो जाती है।
-
सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली आलू की कौन सी किस्म है?
Kufri Bahar और Chipsona-3 किस्में सबसे अधिक (200–250 क्विंटल/एकड़) उपज देती हैं।
-
आलू की खेती में कुल लागत कितनी आती है?
लगभग ₹40,000–₹45,000 प्रति एकड़ खर्च आता है।
-
आलू की खेती से एक एकड़ में कितना मुनाफा होता है?
लगभग ₹1.5 से ₹2 लाख प्रति एकड़ तक शुद्ध लाभ हो सकता है।
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आलू की खेती में सबसे ज़रूरी खाद कौन सी है? (Which fertilizer is most important for potato farming?)
Potato Yield per Acre in India: आलू की खेती में पोटाश (Potash/Potassium) सबसे ज़रूरी है। यह कंदों के आकार, संख्या और गुणवत्ता (Quality) को सीधे प्रभावित करता है। इसके बाद, संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन और फास्फोरस देना चाहिए।
-
आलू की बंपर पैदावार के लिए सबसे अच्छा तापमान क्या है? (What is the best temperature for a bumper potato yield?)
आलू के कंदों के तेजी से विकास के लिए रात का तापमान $15$ से $20^{\circ}C$ के बीच होना आदर्श माना जाता है। ज़्यादा गर्मी या पाला (Frost) दोनों ही उत्पादन को कम कर देते हैं।
-
आलू को हरे होने से कैसे बचाएं? (How to prevent potatoes from turning green?)
Potato Yield per Acre in India: आलू हरे तब होते हैं जब वे सीधे सूर्य की रोशनी (Sunlight) के संपर्क में आते हैं। उन्हें हरा होने से बचाने के लिए, फ़सल में दो बार अच्छी तरह से मिट्टी चढ़ाना (Earthing Up) सबसे ज़रूरी है। हरे आलू में सोलानिन (Solanine) नामक ज़हरीला तत्व होता है।
-
आलू की खेती में सबसे खतरनाक रोग कौन सा है? (What is the most dangerous disease in potato cultivation?)
Potato Yield per Acre in India: आलू की खेती में सबसे खतरनाक रोग ‘देर से आने वाला झुलसा रोग’ (Late Blight) है। यह रोग तेज़ी से फैलता है और कम समय में पूरी फ़सल को नष्ट कर सकता है। इससे बचाव के लिए पहले से ही फफूंदनाशक का छिड़काव ज़रूरी है।
-
एक एकड़ आलू की बुवाई के लिए कितने बीज की ज़रूरत होती है? (How much potato seed is required for one acre?)
Potato Yield per Acre in India: आमतौर पर, एक एकड़ आलू की बुवाई के लिए 10 से 15 क्विंटल (1000 से 1500 किलोग्राम) बीज की ज़रूरत होती है। यह बीज के आकार (Size) और बुवाई की दूरी पर निर्भर करता है। बड़े आकार के बीज ज़्यादा लगेंगे।
-
भारत में प्रति एकड़ आलू की औसत उपज कितनी है?
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प्रति एकड़ आलू के लिए बीज की मात्रा कितनी चाहिए?
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आलू के लिए सर्वोत्तम किस्में कौन-सी हैं?
कुफरी सिंधुरी, कुफरी पुखराज, कुफरी बहार, क्वालीफ़ाइड चिप्स आदि ज्यादा उत्पादन देने वाली व बीमारी रोधी किस्में हैं।
-
आलू की खेती में सबसे ज्यादा मुनाफा कब होता है?
अगर बीज, खाद-कीटनाशक सही समय पर और संतुलित डोज में दें तथा अच्छी किस्म लें तो प्रति एकड़ ₹50,000 तक मुनाफा मिल सकता है।
-
आलू कब और कैसे काटें?
पौधों के पत्ते पीले/सूख गए हों व तना झुकने लगे, तब कटाई करें; अच्छे से सूखने पर भंडारण करें, ताकि आलू सड़ें नहीं।
-
आलू के लिए कौन सी उर्वरक (fertilizer) कितनी मात्रा में दें?
-
आलू में मुख्य रोग कौन-कौन से हैं?
लेट ब्लाइट, अर्ली ब्लाइट, आलू पोटैटो वायरस, और झुलसा रोग सबसे आम बीमारियां हैं, जिनका timely उपचार जरूरी है।
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