सरसों के रोग (Mustard Diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम

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सरसों के रोग (Mustard Diseases): किसान भाइयों, सरसों (Mustard) भारत की एक महत्वपूर्ण नकदी और तिलहन मसाला फसल है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है। अगर आप सरसों की खेती करते हैं तो आपको पता होगा कि सरसों के रोग (Mustard diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम का समझ होना कितना जरूरी है। सरसों भारत की सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, लेकिन मौसम, कीट और बीमारियों के कारण इसकी पैदावार कई बार 20–40% तक घट जाती है।

यदि सही समय पर इन समस्याओं पर ध्यान न दिया जाए, तो यह आपकी पूरी मेहनत और निवेश को बर्बाद कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि किसान भाई समय रहते इसके रोग, लक्षण और रोकथाम समझ लें ताकि फसल सुरक्षित रहे और उत्पादन बढ़ सके। आज हम सरसों के सभी प्रमुख रोग, कीट और पूरी रोकथाम जानेंगे, वह भी रासायनिक और ऑर्गेनिक—दोनों तरीकों से। सरसों की फसल को स्वस्थ रखकर ही हम उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

सरसों की फसल का महत्व: क्यों है इसे बचाना जरूरी (Importance of Mustard Crop)

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सरसों सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली औषधीय पौधा भी है, जिसकी वैश्विक बाजार में हमेशा उच्च मांग रहती है। इसकी खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प है।

महत्वपूर्ण पहलू (Aspect)विवरण (Description)
तिलहनी फसल (Oil Crop) भारत की सबसे बड़ी तेल (Oil) उत्पादन फसल
खाद्य तेल (Food Oil) भारत में खाना पकाने के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले तेलों में से एक।
कम पानी में उपज (Less water required) 30–40% कम सिंचाई में भी अच्छी उत्पादन
आर्थिक लाभ (Economic Benefit)यह एक प्रमुख नकदी फसल है। अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में इसकी उत्तम मांग है।
औषधीय उपयोग (Medicinal Use)सरसों पाचन, सर्दी-खांसी और सूजन जैसी समस्याओं के लिए एक असरदार घरेलू उपचार है।
पशु चारा (Cattle Feed) सरसों की खली जानवरों बेहतरीन प्रोटीन चारा
कृषि-अर्थव्यवस्था (Agriculture Economy) किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत और रबी की महत्वपूर्ण नकदी फसल।
खाद्य उद्योग (Food Industry)यह कई प्रकार के व्यंजनों, अचार और प्रोसेसिंग उत्पादों का एक अविभाज्य हिस्सा है।
मिट्टी सुधार (Soil Improvement)फसल चक्र (Crop Rotation) में शामिल करने से मिट्टी की उर्वरता और बनावट बेहतर होती है।
रोजगार सृजन (Employment)कटाई, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा रोजगार मिलता है।

सरसों के प्रमुख रोग और उनके लक्षण (Major Mustard Diseases and Their Symptoms)

सरसों के रोग (Mustard diseases) फसल की उत्पादकता को 50% तक कम कर सकते हैं। समय रहते लक्षणों को पहचानना बहुत ज़रूरी है।

1. सफेद रतुआ या सफेद किट्ट (White Rust)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): सफेद रतुआ सरसों की फसल का एक गंभीर कवक जनित रोग है, जिसे ‘व्हाइट ब्लिस्टर‘ भी कहते हैं। इस सरसों के रोग (Mustard diseases) के शुरुआती लक्षण पत्तियों की निचली सतह पर छोटे, उभरे हुए, चमकदार सफेद धब्बों या सफेद पाउडर जैसा के रूप में दिखाई देते हैं।

जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, ये धब्बे पाउडर जैसे दिखने लगते हैं, पत्तियां पीली और मुड़ने लगती हैं। सबसे खतरनाक स्थिति तब होती है जब तने, फूल और फलियाँ विकृत होकर सूज जाती हैं। इसका मुख्य कारण फफूंद होता है जो नमी और कोहरे में तेजी से बढ़ता है। रोकथाम के लिए अच्छी किस्म का बीज और खेत में उचित दूरी जरूरी है। समय पर दवा छिड़काव से रोग को रोका जा सकता है।

इस स्थिति को ‘स्टैगहेड’ (Staghead) कहते हैं, जिसमें फूलगोभी जैसी विकृति आ जाती है और फलियाँ नहीं बन पातीं। इसकी वजह से पैदावार पर सीधा और बहुत बुरा असर पड़ता है। रोकथाम के लिए नमी को नियंत्रित करना और शुरुआती चरण में फफूंदनाशक का छिड़काव आवश्यक है।

  • रोग की पहचान: पत्तियों के नीचे सफेद, उभरे हुए फफोले। तने और फूल में अनियमित सूजन (स्टैगहेड)।
  • नुकसान: पैदावार में भारी कमी और दानों की गुणवत्ता खराब होना।

2. सरसों का पर्ण चित्ती या अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग (Alternaria Leaf Spot)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग सरसों में सबसे आम और व्यापक रूप से पाए जाने वाले सरसों के रोग (Mustard diseases) में से एक है। इसके लक्षण फसल की किसी भी अवस्था में दिखाई दे सकते हैं, लेकिन फूल आने और दाना भरने के समय अधिक गंभीर होते हैं। पत्तियों पर छोटे, भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जिनके केंद्र में गहरे रंग के संकेंद्रित वलय (Concentric Rings) होते हैं, जो बिल्कुल ‘बुल्स आई’ (Bull’s Eye) जैसे दिखते हैं।

रोग के बढ़ने पर ये धब्बे आपस में मिल जाते हैं और पूरी पत्ती को झुलसा देते हैं, जिससे पत्तियाँ समय से पहले गिर जाती हैं। यह रोग फलियों पर भी हमला करता है, जिससे दाने छोटे, सिकुड़े हुए और गुणवत्ताहीन बनते हैं। इस रोग से निपटने के लिए बीजों को उपचारित करना और संतुलित पोषण प्रबंधन ज़रूरी है।

  • रोग की पहचान: पत्तियों पर भूरे रंग के गोल धब्बे, जिनके बीच में काले छल्ले होते हैं।
  • नुकसान: प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कम होना, फलियों और दानों का सिकुड़ जाना।

3. डाउनी मिल्ड्यू या मृदुरोमिल आसिता (Downy Mildew)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): डाउनी मिल्ड्यू एक और कवक जनित सरसों के रोग (Mustard diseases) है जो ठंडे और नम मौसम में तेज़ी से फैलता है। इस रोग में पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले या हल्के हरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं। लेकिन इस रोग की मुख्य पहचान पत्तियों की निचली सतह पर दिखाई देने वाली सफेद-ग्रे रंग की मुलायम फफूंद की ग्रोथ है।

यह रोग पूरे पौधों को प्रभावित करता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है। गंभीर संक्रमण में, तने और पुष्पक्रम (Inflorescence) भी विकृत हो जाते हैं और पौधे की सामान्य कार्यक्षमता बाधित होती है। इस रोग का प्रबंधन करने के लिए खेत में उचित वायु संचार सुनिश्चित करना और जल निकासी पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।

  • रोग की पहचान: ऊपरी पत्ती पर पीलापन, निचली पत्ती पर सफेद-ग्रे रंग की फफूंद।
  • नुकसान: पौधों की वृद्धि रुकना और विकृत पुष्पक्रम।

4. तना गलन रोग (Stem Rot Disease)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): तना गलन में पौधे का तना काला पड़कर सड़ने लगता है। इस रोग का असर जड़ों पर भी होता है और पौधा गिर जाता है। यह बीमारी ज्यादातर पानी भराव और नमी के कारण बढ़ती है। रोकथाम के लिए अच्छी जल निकासी और भूमि को जैविक रूप से मजबूत बनाए रखना जरूरी है।

सरसों को नुकसान पहुँचाने वाले प्रमुख कीट (Major Pests Damaging Mustard)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): सरसों की पैदावार को कम करने में कीटों का भी बड़ा योगदान होता है। इन कीटों की पहचान और उनकी रोकथाम बहुत ज़रूरी है। सरसों की फसल में कई कीट लगते हैं, जिनमें तिल्ली, माहू, पेंटेड बग, एवं फल छेदक प्रमुख हैं। ये पौधे का रस चूसकर पत्तियों को पीला कर देते हैं और दाने का आकार छोटा हो जाता है। यदि समय पर नियंत्रण नहीं किया जाए तो नुकसान 50% तक हो सकता है।

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1. सरसों का माहू या चेंपा (Mustard Aphid)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): सरसों का माहू, जिसे आमतौर पर चेंपा कहा जाता है, सरसों की फसल का सबसे विनाशकारी कीट है। ये छोटे, मुलायम शरीर वाले कीट झुंड में पत्तियों, तनों और मुख्य रूप से फूलों की कलियों और नई फलियों से रस चूसते हैं। इनके लगातार रस चूसने से पौधे कमजोर हो जाते हैं, वृद्धि रुक जाती है और फूल या फलियाँ गिर जाती हैं। इसके अलावा, माहू एक मीठा चिपचिपा पदार्थ (Honeydew) छोड़ते हैं, जिस पर काला कवक (Sooty Mould) उग आता है।

यह कवक प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बाधित करता है, जिससे पैदावार में भारी कमी आती है। माहू के शुरुआती हमले को नियंत्रित करना उनकी रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है। अक्सर, देर से बुवाई करने वाली फसलें इस कीट से अधिक प्रभावित होती हैं।

  • लक्षण: पौधे के मुलायम हिस्सों पर कीटों का बड़ा समूह, चिपचिपापन (हनीड्यू), और काला फफूंद।
  • नुकसान: रस चूसने से पौधे कमजोर, फूल और फलियों का झड़ना।

2. आरा मक्खी (Sawfly)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): सरसों की आरा मक्खी एक शुरुआती अवस्था का कीट है जो पौधे के अंकुरण के तुरंत बाद हमला करता है। इस कीट की इल्लियाँ (Larvae) काले-हरे रंग की होती हैं और अक्सर मुड़कर “C” आकार बना लेती हैं। ये इल्लियाँ पत्तियों को किनारों से खाती हैं, जिससे पत्तियों में बड़े-बड़े छेद हो जाते हैं। शुरुआती अवस्था में, यह कीट छोटी पौध को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है, जिससे खेत में खाली जगहें बन जाती हैं।

उनकी रोकथाम के लिए सुबह के समय इल्लियों को हाथ से उठाकर नष्ट करना या जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना अच्छा उपाय है। चूंकि ये इल्लियाँ दिन के समय मिट्टी में छिप जाती हैं, इसलिए सुबह के ठंडे समय में इन्हें ढूंढना और मारना आसान होता है।

  • लक्षण: पत्तियों पर बड़े, अनियमित छेद; C आकार की इल्लियाँ।
  • नुकसान: शुरुआती पौधों का पूरी तरह नष्ट होना, फसल का घनत्व कम होना।

3. पत्ती सुरंगक (Leaf Miner)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): पत्ती सुरंगक कीट के लार्वा पत्तियों के हरे ऊतकों के बीच सुरंग बनाकर अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं। ये लार्वा पत्तियों की ऊपरी और निचली सतह के बीच में चलते हैं, जिससे पत्तियों पर टेढ़ी-मेढ़ी, सफेद, घुमावदार रेखाएं या ‘सुरंगें’ बन जाती हैं। ये सुरंगें पौधों के प्रकाश संश्लेषण की क्षमता को गंभीर रूप से कम कर देती हैं, भले ही कीट सीधे तौर पर फसल को खाता न हो।

गंभीर संक्रमण की स्थिति में, पूरी पत्ती सफेद हो जाती है और समय से पहले सूखकर गिर जाती है। उनकी रोकथाम के लिए, प्रभावित पत्तियों को हटाना और प्राकृतिक शिकारियों को बढ़ावा देना सहायक होता है। रासायनिक नियंत्रण की ज़रूरत तब पड़ती है जब सुरंगों की संख्या बहुत ज़्यादा हो जाए।

  • लक्षण: पत्तियों पर सफेद, टेढ़ी-मेढ़ी, सुरंग जैसी रेखाएँ।
  • नुकसान: प्रकाश संश्लेषण में कमी, पत्तियाँ सूखकर गिर जाना।

4. पेंटेड बग (Painted Bug)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): यह कीट दानों को बनने नहीं देता और पूरा फूल एवं शेंगा सूख जाती है। पेंटेड बग धूप में ज्यादा सक्रिय होता है। यह कीट पौधे की वृद्धि को रोक देता है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है। रोकथाम के लिए नीम आधारित स्प्रे काफी असरदार साबित होता है।

रोगों और कीटों की प्रभावी रोकथाम (Effective Prevention of Diseases and Pests)

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सरसों के रोग (Mustard diseases) और कीटों की रोकथाम के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना सबसे उत्तम तरीका है।

1. जैविक और ऑर्गेनिक तरीके (Organic and Biological Methods)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): ऑर्गेनिक तरीके फसल को सुरक्षित रखते हुए उनकी रोकथाम का एक सकारात्मक उपाय है।

  • बीजोपचार: बुवाई से पहले बीजों को ट्राइकोडर्मा विरिडी 4 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 10 ग्राम/किलो बीज से उपचारित करें। यह कई कवक जनित सरसों के रोग (Mustard diseases) के खिलाफ एक मजबूत रक्षा कवच बनाता है।
  • नीम तेल का उपयोग: माहू (Aphid) के शुरुआती हमले के लिए, नीम के तेल (Neem Oil) 3-5 मिलीलीटर/लीटर पानी का छिड़काव एक उत्कृष्ट ऑर्गेनिक तरीका है। यह कीटों के खाने और प्रजनन को बाधित करता है।
  • फेरोमोन ट्रैप: माहू जैसे कीटों की निगरानी और बड़े पैमाने पर पकड़ने के लिए पीले चिपचिपे जाल (Yellow Sticky Traps) का प्रयोग करें। प्रति एकड़ 8-10 ट्रैप लगाना बेहतर परिणाम देता है।
  • प्राकृतिक शत्रु: लेडीबर्ड बीटल (Ladybird Beetle) और सिरफिड फ्लाई (Syrphid Fly) जैसे मित्र कीटों को बढ़ावा दें, जो माहू को खा जाते हैं। यह प्राकृतिक रूप से उनकी रोकथाम करता है।

2. रासायनिक तरीके (Chemical Methods)

जब रोग या कीट का प्रकोप नियंत्रण से बाहर हो जाए, तो रासायनिक तरीकों का सहारा लेना चाहिए।

  • रोग नियंत्रण:
    • सफेद रतुआ और डाउनी मिल्ड्यू: मैनकोजेब 2.5 ग्राम/लीटर या मेटालैक्सिल + मैनकोजेब के मिश्रण का छिड़काव रोग के लक्षण दिखते ही करें।
    • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा: प्रोपीकोनाजोल 1 मिलीलीटर/लीटर का छिड़काव करें।
  • कीट नियंत्रण:
    • माहू: इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिलीलीटर/लीटर या थियामेथोक्साम 0.3 ग्राम/लीटर का छिड़काव करें। ये सिस्टेमिक कीटनाशक हैं जो पौधे के रस में मिलकर कीटों को मारते हैं।
    • आरा मक्खी: क्लोरपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर/लीटर का छिड़काव शुरुआती अवस्था में करें।

रोग और कीट प्रबंधन के लिए स्मार्ट टिप्स (Smart Tips for Disease and Pest Management)

सरसों के रोग (Mustard Diseases): सरसों को रोग और कीट से सुरक्षित रखने के लिए किसानो को इन बातों का हमेशा धयान रखना चाहिए।

  1. स्वस्थ बीज: हमेशा प्रमाणित और रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चयन करें।
  2. फसल चक्र: एक ही खेत में लगातार सरसों न उगाएँ; गेहूँ, धान या दलहनी फसलों के साथ फसल चक्र अपनाएँ।
  3. उचित पोषण: नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग करने से बचें, क्योंकि यह कीटों और सरसों के रोग (Mustard diseases) को बढ़ाता है। फास्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें।
  4. खेत की स्वच्छता: फसल कटाई के बाद खेत से पुरानी फसल के अवशेषों को हटा दें, जिनमें रोग के जीवाणु पनपते हैं।
  5. पानी का प्रबंधन: अत्यधिक नमी से बचें; उचित जल निकासी सुनिश्चित करें ताकि सरसों के रोग (Mustard diseases) के लिए अनुकूल वातावरण न बने।

किसान भाइयों, इन सरसों के रोग (Mustard diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम के तरीकों को अपनाकर आप अपनी उत्तम सरसों की फसल को सुरक्षित कर सकते हैं और एक सकारात्मक परिणाम के साथ 20% तक अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

सरकारी योजनाएँ और किसान क्रेडिट कार्ड (Government Schemes and KCC)

खेती में मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए किसान सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएँ खेती की लागत को कम करने और पूंजी (Capital) की व्यवस्था करने में मदद करती हैं।

भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएँ हैं, जो किसानों को सब्ज़ी और बागवानी (Horticulture) फसलों के लिए सब्सिडी (Subsidy) देती हैं।

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस योजना के तहत, आलू की खेती के लिए उन्नत बीज, प्लांटर मशीन, कोल्ड स्टोरेज बनाने और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम लगाने पर सब्सिडी मिल सकती है।
  2. प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): यह योजना सीधे किसानों के खाते में सालाना ₹6,000 की वित्तीय सहायता देती है, जिसका उपयोग किसान खेती के छोटे-मोटे ख़र्चों के लिए कर सकते हैं।

सबसे ज़रूरी है किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)। केसीसी के ज़रिए किसान बहुत कम ब्याज दर पर (लगभग 4% प्रति वर्ष) खेती के लिए लोन (Loan) ले सकते हैं। इस पैसे का उपयोग आलू के बीज, खाद, कीटनाशक खरीदने या बुवाई के ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे किसान को तुरंत पैसा उधार लेने या अपनी बचत को ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। किसान को हमेशा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क करके नवीनतम योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी लेते रहना चाहिए।

FAQs: सरसों के रोग (Mustard Diseases), लक्षण, कीट और उनकी रोकथाम पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सरसों की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग का प्रबंधन (management) कैसे करें?

अल्टरनेरिया के सरसों के रोग (Mustard diseases) के लिए, रोगरोधी किस्मों का उपयोग करें और नमी को कम रखें। शुरुआती लक्षण दिखने पर प्रोपीकोनाजोल या मैनकोजेब फफूंदनाशक का छिड़काव करें।

सरसों के माहू (Mustard Aphid) के लिए सबसे प्रभावी रासायनिक रोकथाम (prevention) क्या है?

माहू के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या थियामेथोक्साम 25 WG का छिड़काव सबसे प्रभावी है। छोटे पौधों पर नीम तेल का ऑर्गेनिक उपयोग भी उत्तम है।

सरसों में सफेद रतुआ (White Rust) सरसों के रोग (Mustard diseases) से बचाव के लिए कौन सा ऑर्गेनिक उपाय सबसे अच्छा है?

सफेद रतुआ की रोकथाम के लिए ऑर्गेनिक रूप से बीजोपचार के लिए ट्राइकोडर्मा का उपयोग करें। फसल पर डाइथेन एम-45 का शुरुआती छिड़काव भी प्रभावी होता है।

सरसों में माहू कीट को कैसे नियंत्रित करें?

नीम तेल, जैविक स्प्रे और आवश्यकता पड़ने पर इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें।

सरसों का चित्ता रोग किस कारण होता है?

यह फफूंद के कारण होता है जो नमी और ठंड में फैलता है।

सरसों में सफेद फफूंदी रोग रोकने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

बीज उपचार, खेत में उचित दूरी और समय पर स्प्रे।

क्या सरसों के रोगों का ऑर्गेनिक इलाज संभव है?

हाँ, नीम तेल, काढ़ा स्प्रे, जीवामृत आदि बहुत प्रभावी हैं।

सरसों में पेंटेड बग से कितना नुकसान होता है?

शेंगें सूख जाती हैं और उपज 30–50% घट जाती है।

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