विदिशा में नकली कीटनाशक (Fake Pesticide) से सोयाबीन फसलें चौपट – कृषि विभाग (Agriculture Department) ने ‘बायोक्लोर’ पर लगाई रोक

5/5 - (1 vote)
नकली कीटनाशक विदिशा, सोयाबीन फसल नुकसान, बायोक्लोर पर प्रतिबंध, विदिशा कृषि विभाग कार्रवाई, खरपतवारनाशी दवा नुकसान, fake pesticide soybean India, biochlor weedicide ban, soybean crop damage Vidisha

क्या है पूरा मामला (Case) – किसानों की फसलें क्यों बर्बाद हुईं?

Fake Pesticide Soybean India: मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में किसानों के लिए यह खरीफ सीजन (Kharif Season) बेहद मुश्किल भरा साबित हो रहा है। जिले के कई इलाकों में सोयाबीन (Soybean) की फसलें अचानक खराब हो गईं। किसानों का आरोप है कि उन्होंने जिस खरपतवारनाशी (Weedicide) दवा का छिड़काव (Spraying) किया था, उसके इस्तेमाल के बाद पौधे पीले पड़ने लगे, पत्तियां मुरझा गईं और फसल की बढ़वार (Growth) रुक गई।

किसानों ने तुरंत इस मामले की शिकायत कृषि विभाग को दी। यह शिकायत मुख्य रूप से ‘बायोक्लोर’ (Biochlor) नाम की दवा को लेकर थी, जिसे “एच.पी.एम. केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, दिल्ली” (HPM Chemicals and Fertilizers Ltd., Delhi) द्वारा बनाया जाता है। किसानों का कहना है कि इस दवा को उन्होंने मान्यता प्राप्त (Authorized) विक्रेताओं से खरीदा, लेकिन छिड़काव के कुछ ही दिनों में फसलें बर्बाद हो गईं।

किसानों की समस्याएं (Problems) – फसल के नुकसान से लेकर आर्थिक संकट (Financial Crisis) तक

  • फसल बर्बादी (Crop Damage): कई किसानों के खेत में सोयाबीन की फसल पूरी तरह सूख गई।
  • खर्च का नुकसान (Loss of Investment): बीज (Seed), खाद (Fertilizer) और दवा (Pesticide) पर किया गया खर्च बेकार हो गया।
  • आर्थिक दबाव (Financial Burden): कई किसानों ने इस सीजन के लिए उधार लिया था, अब कर्ज चुकाने की चिंता बढ़ गई है।
  • मानसिक तनाव (Mental Stress): लगातार नुकसान से किसान मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं।

जांच टीम की कार्रवाई (Inspection) – गांव-गांव जाकर हुई पड़ताल (Investigation)

नकली कीटनाशक विदिशा, सोयाबीन फसल नुकसान, बायोक्लोर पर प्रतिबंध, विदिशा कृषि विभाग कार्रवाई, खरपतवारनाशी दवा नुकसान, fake pesticide soybean India, biochlor weedicide ban, soybean crop damage Vidisha

किसानों की शिकायत के बाद कृषि विभाग ने तुरंत एक संयुक्त जांच टीम (Joint Investigation Team) बनाई। इस टीम में वरिष्ठ कृषि अधिकारी (Senior Agriculture Officer) और कृषि विज्ञान केंद्र, रायसेन (Krishi Vigyan Kendra, Raisen) के वैज्ञानिक शामिल थे। 4 अगस्त 2025 को टीम ने ग्यारसपुर विकासखंड (Gyaraspur Block) के कई गांवों का दौरा किया। इनमें खिरिया, अटारीखेजड़ा, संतापुर, गुलाबगंज, यूसूफगंज, बसिया गाजर और मेहंदेर जैसे गांव शामिल थे।

किसने-किसने खेत दिखाए?

टीम ने गांवों में जाकर किसानों की फसलें देखीं और उनसे सीधे बात की। जिन प्रमुख किसानों ने अपनी समस्या बताई, उनमें शामिल हैं –

  • गोविंद दांगी (Govind Dangi) – अटारीखेजड़ा
  • धर्मसिंह (Dharm Singh) – पिपरिया जागीर
  • श्रीराम दांगी (Shriram Dangi) – खिरिया
  • रविंद्र कुर्मी (Ravindra Kurmi) – यूसूफगंज

इन किसानों ने टीम को बताया कि उन्होंने एक ही दवा का इस्तेमाल किया था और उसके बाद सभी के खेतों में एक जैसी समस्या दिखी – सोयाबीन के पौधे पीले पड़ना और बढ़वार रुक जाना।

जांच में क्या पाया गया?

निरीक्षण (Inspection) के दौरान यह साफ हो गया कि प्रभावित खेतों में ज्यादातर किसानों ने ‘बायोक्लोर’ (Biochlor) नामक खरपतवारनाशी (Weedicide) दवा का उपयोग किया था। टीम ने खेतों से सैंपल (Samples) लिए और रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि इसी दवा के कारण फसलें खराब हुई हैं।


‘बायोक्लोर’ पर रोक (Ban) – किसानों के लिए चेतावनी (Warning) और सुझाव (Advice)

जांच रिपोर्ट आने के बाद विदिशा जिले में ‘बायोक्लोर’ की खरीद (Purchase), बिक्री (Sale), परिवहन (Transportation) और भंडारण (Storage) पर तुरंत रोक लगा दी गई है। यह आदेश जिले के उप संचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग (Deputy Director, Farmer Welfare and Agriculture Development Department, Vidisha) ने जारी किया है।

किसानों के लिए सरकारी अपील (Government Appeal)

  • किसी भी कीटनाशक (Pesticide) या खाद (Fertilizer) खरीदते समय हमेशा मान्यता प्राप्त विक्रेता (Authorized Seller) से ही खरीदें।
  • दवा या खाद लेते समय पक्का बिल (Proper Bill) जरूर लें, ताकि किसी गड़बड़ी की स्थिति में कार्रवाई हो सके।
  • दवा का बैच नंबर (Batch Number) और कंपनी का नाम (Company Name) नोट करके रखें।
  • छिड़काव से पहले लेबल पर लिखे निर्देश (Label Instructions) ध्यान से पढ़ें।

किसानों को क्या करना चाहिए?

अगर आपकी फसल भी इस तरह की दवा से प्रभावित हुई है, तो तुरंत –

  1. नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय (Nearby Agriculture Office) में शिकायत दर्ज कराएं।
  2. फसल का फोटो (Photo Evidence) और दवा की पैकेजिंग (Packaging Proof) का सबूत साथ में दें।
  3. जांच टीम (Inspection Team) के आने तक खेत में कोई और दवा न डालें।

सरकारी योजनाएँ और सहायता | Government Schemes and Support


क्यों बढ़ रहे हैं नकली कीटनाशक (Fake Pesticides)? – किसानों को सतर्क रहने की जरूरत (Need to be Alert)

नकली कीटनाशक विदिशा, सोयाबीन फसल नुकसान, बायोक्लोर पर प्रतिबंध, विदिशा कृषि विभाग कार्रवाई, खरपतवारनाशी दवा नुकसान, fake pesticide soybean India, biochlor weedicide ban, soybean crop damage Vidisha,

नकली दवाओं का फैलाव (Spread of Fake Agrochemicals) कृषि क्षेत्र में एक बड़ी समस्या बन गया है। बाजार में कई बार सस्ती दर पर बिकने वाले कीटनाशक या खाद असली पैकिंग जैसे लगते हैं, लेकिन उनके अंदर मिलावट (Adulteration) होती है। इससे न केवल फसलें बर्बाद होती हैं, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता (Soil Quality) भी खराब हो जाती है।

किसानों को चाहिए कि –

  • नई दवा लेने से पहले पास के कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) या कृषि अधिकारी (Agriculture Officer) से सलाह लें।
  • सोशल मीडिया या लोकल बाजार में फैली अफवाहों (Rumours) पर भरोसा न करें।
  • सरकार द्वारा जारी प्रमाणित दवाओं (Certified Agrochemicals) की सूची को देखें।

आगे क्या? – सरकार और किसानों की जिम्मेदारी (Responsibility)

इस घटना के बाद उम्मीद है कि कृषि विभाग और सरकार बाजार में बिक रही दवाओं पर और सख्ती बरतेगी। वहीं किसानों को भी जागरूक रहना होगा और बिना जांच-परख किए कोई भी नया उत्पाद इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अगर इस तरह की घटनाओं पर समय रहते कार्रवाई की जाए, तो बड़े नुकसान से बचा जा सकता है और किसानों का भरोसा भी वापस लाया जा सकता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

विदिशा में नकली कीटनाशक से हुई यह घटना बताती है कि खेती (Farming) में जागरूकता (Awareness) और सतर्कता (Alertness) कितनी जरूरी है। एक छोटी सी चूक पूरी सीजन की मेहनत पर पानी फेर सकती है। इसलिए हर किसान को चाहिए कि वह सरकारी सलाह माने, सही विक्रेता से ही दवा खरीदे और हर बार पक्का बिल जरूर ले।

विदिशा में सोयाबीन की फसलें क्यों बर्बाद हुईं?

विदिशा जिले में सोयाबीन फसलें नकली कीटनाशक ‘बायोक्लोर’ के छिड़काव से बर्बाद हुईं। इस दवा के इस्तेमाल से पौधों की बढ़वार रुक गई और पत्तियां पीली होकर सूख गईं।

बायोक्लोर दवा पर कृषि विभाग ने क्या कार्रवाई की?

कृषि विभाग ने ‘बायोक्लोर’ की बिक्री, खरीद, परिवहन और भंडारण पर तुरंत रोक लगा दी है। साथ ही किसानों को केवल मान्यता प्राप्त विक्रेताओं से दवा खरीदने की सलाह दी गई है।

किसानों को मुआवजा या मदद कैसे मिलेगी?

प्रभावित किसान कृषि विभाग कार्यालय में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा (Compensation) या सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी।

नकली कीटनाशक पहचानने के तरीके क्या हैं?

हमेशा पैकेजिंग पर बैच नंबर और कंपनी का लोगो देखें।
पक्का बिल (Invoice) लें।
मान्यता प्राप्त विक्रेता (Authorized Seller) से ही खरीदें।
शंका होने पर कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) से पुष्टि करें।

भविष्य में इस तरह की समस्या से कैसे बचें?

दवा खरीदने से पहले सरकारी सूची में नाम जांचें।
सोशल मीडिया या सस्ते ऑफर से बचें।
छिड़काव से पहले लेबल के निर्देश पढ़ें।
आवश्यकता पड़ने पर कृषि अधिकारी से परामर्श लें।

Leave a comment