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भारत (India) में ज्वार (Sorghum) एक बहुउपयोगी फसल है जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक है। ज्वार (Sorghum) खरीफ मौसम का एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है। ज्वार (Sorghum) पोषण से भरपूर और कम लागत में उगाई जाने वाली एक मुख्य फसल है। ज्वार (Sorghum) मुख्यतः सूखा और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाई जाती है, और यह एक बहुउपयोगी फसल है जिसका उपयोग भोजन, चारा, और औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। सही मिट्टी, सही जलवायु और सही रोग प्रबंधन से इसकी उपज कई गुना बढ़ाई जा सकती है। आइये जानते हैं ज्वार की खेती करने का सही तरीका क्या है और कैसे किसान भाइयों को खेती करना चाहिए जिससे अच्छी फसल हो और अधिक फायदा हो सके।
ज्वार (Sorghum) क्या है? | What is Sorghum?
सभी नए किसानों के मन में पहला सवाल होता है कि ज्वार (Sorghum) किसे कहते हैं या ज्वार क्या है ?
ज्वार (Sorghum), जिसे वैज्ञानिक भाषा में Sorghum bicolor कहा जाता है, एक प्रमुख मोटे अनाज की फसल है। यह खरीफ मौसम का एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है।यह गेहूं, चावल और मक्का के बाद भारत की सबसे महत्वपूर्ण अनाज फसलों में से एक है। ज्वार (Sorghum) पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसका उपयोग खाद्य, पशु आहार और जैव ईंधन के रूप में किया जाता है।
ज्वार (Sorghum) के प्रकार | Types of Sorghum
भारत में उपजने वाली ज्वार (Sorghum) की कई किस्में होती हैं, जिनमें से प्रमुख चार हैं:
ज्वार (Sorghum) का प्रकार | उपयोग |
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ज्वार (Grain Sorghum) | भोजन के लिए उपयोगी (रोटी, दलिया आदि) |
चारा ज्वार (Fodder Sorghum) | पशुओं के चारे के रूप में |
स्वीट ज्वार (Sweet Sorghum) | रस, एथेनॉल और शराब उत्पादन के लिए उपयुक्त |
बायोमास ज्वार (Biomass Sorghum) | जैविक ईंधन और औद्योगिक उपयोग हेतु |
भारत में ज्वार (Sorghum) उत्पादक राज्य – Major Sorghum Producing States in India
भारत के प्रमुख ज्वार (Sorghum) उत्पादक राज्यों, उनके उत्पादन और खेती के क्षेत्रफल की पूरी जानकारी दी गई है:
क्रमांक | राज्य (State) | उत्पादन (Production) (टन में) | खेती क्षेत्र (Area) (हेक्टेयर में) | मुख्य उत्पादन जिले |
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1. | महाराष्ट्र (Maharashtra) | 2.5 – 3 मिलियन टन | 1.5 – 2 मिलियन हेक्टेयर | सोलापुर, अहमदनगर, बीड |
2. | कर्नाटक (Karnataka) | 1.2 – 1.5 मिलियन टन | 0.8 – 1 मिलियन हेक्टेयर | बेलगावी, बीजापुर, धारवाड़ |
3. | मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) | 0.8 – 1 मिलियन टन | 0.5 – 0.7 मिलियन हेक्टेयर | इंदौर, उज्जैन, देवास |
4. | उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) | 0.5 – 0.7 मिलियन टन | 0.3 – 0.5 मिलियन हेक्टेयर | बुंदेलखंड क्षेत्र |
5. | बिहार (Bihar) | 0.3 – 0.5 मिलियन टन | 0.2 – 0.3 मिलियन हेक्टेयर | औरंगाबाद, गया, नवादा |
6. | राजस्थान (Rajasthan) | 0.2 – 0.4 मिलियन टन | 0.1 – 0.2 मिलियन हेक्टेयर | कोटा, झालावाड़ |
7. | तमिलनाडु (Tamil Nadu) | 0.1 – 0.3 मिलियन टन | 0.1 – 0.15 मिलियन हेक्टेयर | कोयंबटूर, सलेम |
धयान देने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य (Important Key Facts):
- महाराष्ट्र भारत का सबसे बड़ा ज्वार (Sorghum) उत्पादक राज्य है।
- ज्वार (Sorghum) की खेती कम पानी वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है।
- बिहार में ज्वार की खेती मुख्य रूप से दक्षिणी जिलों में होती है।
स्रोत: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
ज्वार (Sorghum) की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी | Suitable Soil for Sorghum Cultivation
ज्वार (Sorghum) की खेती के लिए निम्न प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है:
- दोमट मिट्टी (Loamy Soil): जिसे सबसे अच्छी उपज देने वाली मिट्टी माना गया है।
- काली मिट्टी (Black Soil): जिसमें ज्वार के लिए अच्छी जल धारण करने की क्षमता होती है।
- लाल मिट्टी (Red Soil): अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी माना गया है।
मिट्टी की विशेषताएं:
- pH मान: 6.0 से 8.5
- उचित जल निकासी वाली मिट्टी।
ज्वार की खेती करने से पहले किसान मिट्टी की जाँच जरूर करवायें।

भूमि की तैयारी कैसे करें:
- रोटावेटर/जायरोवेटर या कल्टीवेटर या डिस्क हैरो चलायें।
- 2-3 जुताई करें।
- खेत को समतल और खरपतवार मुक्त बनाएं।
- गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाएं।
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ज्वार (Sorghum) के बीज की प्रमुख किस्में और उनके फायदे:-
क्रमांक | किस्म का नाम | प्रकार | पकने की अवधि (दिन) | प्रमुख फायदे | उपयुक्त क्षेत्र |
1 | CSH-16 | हाइब्रिड | 105-110 | उच्च उत्पादन (4.5-5 टन/हेक्टेयर) | महाराष्ट्र, कर्नाटक |
– रोग प्रतिरोधी | |||||
2 | CSV-15 | संकर | 90-100 | – सूखा सहनशील | राजस्थान, गुजरात |
– जल्दी पकने वाली | |||||
3 | SPV-462 | दानेदार | 110-115 | – उच्च प्रोटीन (10-12%) | उत्तर प्रदेश, बिहार |
– अच्छी चपाती गुणवत्ता | |||||
4 | Maldandi | पारंपरिक | 120-125 | – उत्तम चारा उत्पादन | तेलंगाना, आंध्र प्रदेश |
– कम उर्वरक आवश्यकता | |||||
5 | Parbhani Moti | मीठी ज्वार | 115-120 | – शराब/सिरप उत्पादन | महाराष्ट्र |
– मधुमेह अनुकूल | |||||
6 | RSSV-9 | रबी सीजन | 95-105 | – शीतकालीन खेती के लिए | पंजाब, हरियाणा |
– कीट प्रतिरोधी | |||||
7 | CSV-23 | संकर | 100-105 | – उच्च तनाव सहनशीलता | मध्य प्रदेश |
– अच्छा दाना उत्पादन | |||||
8 | Phule Vasudha | हाइब्रिड | 110-115 | – जैविक खेती के लिए उपयुक्त | महाराष्ट्र |
– उच्च पोषण मूल्य | |||||
9 | JS-20 | संकर | 105-110 | – अधिक तेल सामग्री | राजस्थान |
– पशु आहार के लिए उत्तम | |||||
10 | CSH-22R | हाइब्रिड | 95-100 | – जल्दी पकने वाली | गुजरात, मध्य प्रदेश |
– उच्च बाजार मूल्य |
🧾 टिप्पणी (Note):
- CSH (Coordinated Sorghum Hybrid) किस्में आमतौर पर उच्च उत्पादकता और तेजी से बढ़ने के लिए लोकप्रिय हैं।
- CSV (Coordinated Sorghum Variety) किस्में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित की जाती हैं।
- SSG किस्में खास तौर पर पशु चारा उत्पादन के लिए विकसित की जाती हैं।
जलवायु – Climate Required for Sorghum
- तापमान: 25°C से 32°C में बेहतर उपज है
- वर्षा: 400-600 मिमी
- प्रकाश: गर्म और सूखे क्षेत्रों में बेहतर उपज होता है
- ठंड और पाले से नुकसान होता है
बोआई का समय – Sowing Time of Sorghum
मौसम | समय |
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खरीफ | जून – जुलाई |
रबी | अक्टूबर – नवम्बर |
जायद | फरवरी – मार्च |
बोआई विधि और बीज दर – Sowing Method & Seed Rate
- बोआई विधि: कतारों में सीड ड्रिल मशीन या हाथ से करना अच्छा रहता है।
- बीज दर: 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ होता है।
- कतार-दर-कतार दूरी: 25-30 से.मी. होना चाहिए।
- बीज उपचार: फफूंदनाशक (थिरम/कार्बेन्डाजिम) से अवश्य करें।
सिंचाई – Irrigation for Sorghum
- खरीफ सीजन में वर्षा पर निर्भर रहता है।
- रबी सीजन में: 3-4 सिंचाई आवश्यक होता है।
- खास सिंचाई समय: फूल आने और दाना भरने की अवस्था में सिंचाई जरुरी है।
ज्वार (Sorghum) की बीमारियाँ और नियंत्रण उपाय – Diseases & Their Control
क्रम | रोग का नाम | लक्षण / पहचान | नियंत्रण उपाय |
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1 | धब्बा रोग (Leaf Spot) | पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे, सूखना शुरू हो जाता है | मैनकोजेब 0.2% का छिड़काव करें (15 दिनों के अंतराल पर 2 बार) |
2 | नीली फफूंदी (Downy Mildew) | पत्तियों के नीचे सफेद फफूंदी जैसी परत, पौधा कमजोर दिखता है | बीज उपचार मेटालेक्ज़िल (Metalaxyl) 6g/किग्रा बीज से करें |
3 | कवक रोग (Ergot) | फूलों पर गुलाबी-काले रंग की सड़न, बीज नहीं बनता | रोगग्रस्त फूलों को हटाएं, रोगमुक्त बीजों का प्रयोग करें |
4 | जड़ सड़न (Root Rot) | पौधे मुरझा जाते हैं, जड़ें सड़ जाती हैं | खेत का जल निकास सुधारें, ट्राइकोडर्मा का प्रयोग करें |
5 | ब्लास्ट रोग (Blast) | पत्तियों और तनों पर सफेद-भूरे धब्बे | कार्बेन्डाजिम 0.1% का छिड़काव करें |

ज्वार (Sorghum) के कीट और नियंत्रण – Insects & Pest Control
क्रम | कीट का नाम | लक्षण / नुकसान | नियंत्रण उपाय |
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1 | तना छेदक (Stem Borer) | तने में छेद, पौधा टूट जाता है | क्विनालफॉस 25 EC का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें |
2 | थ्रिप्स (Thrips) | पत्तियां सिकुड़ती हैं, पीली पड़ जाती हैं | नीम आधारित कीटनाशक या इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली प्रति लीटर का छिड़काव |
3 | माइट्स (Mites) | पत्तियों पर जाले, पीला पड़ना | सल्फर 50% WP का छिड़काव करें |
4 | शूट फ्लाई (Shoot Fly) | पौधों के मध्य भाग से नई पत्तियां नहीं निकलतीं | बीज उपचार + मेटासिस्टॉक्स या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव |
खाद और उर्वरक प्रबंधन – Fertilizer Management
खाद का प्रकार | मात्रा (प्रति एकड़) |
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नाइट्रोजन (N) | 40-50 किग्रा. |
फास्फोरस (P) | 20-25 किग्रा. |
पोटाश (K) | 20 किग्रा. |
जैविक खाद | 5 टन |
सुझाव: 50% नाइट्रोजन बोआई के समय दें, शेष 30-35 दिन बाद।
📦 कटाई और उपज – Harvesting and Yield
- कटाई समय: जब दाने सख्त और पके हुए हों तब कटाई करनी चाहिए।
- उपज:
- अनाज के लिए: 15-20 क्विंटल/एकड़
- चारे के लिए: 250-300 क्विंटल/एकड़
💡 ज्वार (Sorghum) के उपयोग – Uses of Sorghum
- भोजन: रोटी, दलिया, ज्वार की भाकरी में उपयोग होता है।
- चारा: पशु आहार में उपयोग होता है।
- उद्योग: बायोएथेनॉल, शराब, फाइबर, ग्लूकोज़ में उपयोग होता है।
- मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी होता है।
🔍 ज्वार (Sorghum) से जुड़े अक्सर सर्च किए जाने वाले प्रश्न (FAQs):
ज्वार की सबसे अधिक उपज देने वाली किस्म कौन सी है?
CSH 14 और CSV 23 सबसे अधिक उपज देने वाली किस्में मानी जाती हैं।
क्या ज्वार की खेती बिना सिंचाई के हो सकती है?
हाँ, खरीफ मौसम में वर्षा पर आधारित खेती संभव है, लेकिन अच्छी उपज के लिए हल्की सिंचाई लाभकारी होती है। पर रबी मौसम में सिचाई की व्यवस्था जरूरी है।
क्या ज्वार मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा है?
हाँ, ज्वार का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और यह डायबिटीज़ मरीजों के लिए लाभकारी है।