सिर्फ यूरिया-पोटाश नहीं, ज़िंक भी ज़रूरी है! खरपतवार के लिए अपनाएं ये जबरदस्त केमिकल – धान की रोपाई के ये नियम अपनाओ, फसल देगा धन की बरसात!

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Paddy Plantation Tips:- सिर्फ यूरिया और पोटाश से काम नहीं चलेगा किसान भाइयों! अगर धान की खेती में बंपर पैदावार चाहिए और उसे सोना बनाना है, तो जिंक डालना भी उतना ही ज़रूरी है। खेत से खरपतवारों को जड़ से खत्म करने वाले मैजिकल केमिकल और सही रोपाई के नियम जानकर आप अपनी फसल को ‘धनी’ बना सकते हैं। आइए, जानें वो सारे गुर जो आपकी धान की खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे!

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अब खेती सिर्फ मेहनत से नहीं, समझदारी से होती है!
अगर आप भी धान की खेती में ज़्यादा उत्पादन (high yield paddy) चाहते हैं, तो सिर्फ यूरिया और पोटाश पर भरोसा मत कीजिए—जिंक की कमी और खरपतवार (weeds) की भरमार आपकी मेहनत पर पानी फेर सकती है।
इस लेख में जानिए धान की रोपाई के बेस्ट नियम, उर्वरक (fertilizer) संतुलन का फॉर्मूला, और खरपतवार को जड़ से खत्म करने वाले असरदार केमिकल।
बिहार के किसानों के लिए एक खास गाइड, जो कम लागत में ज़्यादा मुनाफा दिलाएगा।

✅ और हां… ध्यान से पढ़िए, क्योंकि यही जानकारी आपको कर्ज से निकालकर “खेत का राजा” बना सकती है।

धान की खेती में कामयाबी सिर्फ मेहनत से नहीं, बल्कि समझदारी से भी मिलती है। अगर आप रोपाई से पहले सही बीज की किस्म चुनें, ज़िंक का छिड़काव करें और खरपतवार हटाने के लिए प्रभावी केमिकल का इस्तेमाल करें, तो बेहतरीन उपज हासिल करना बिल्कुल आसान हो सकता है।

जरा सोचिए, रोपाई से पहले अगर आप सही बीज की किस्म चुन लें, फिर, पौधों को जिंक का ऐसा छिड़काव दें जो उन्हें ‘खैरा रोग’ जैसी परेशानियों से बचाकर भरपूर शक्ति दे। और हां, फसल के दुश्मन खरपतवारों को हटाने के लिए एक ऐसा प्रभावी केमिकल इस्तेमाल करें, बस, इन चुनिंदा कदमों से बेहतरीन उपज हासिल करना आपके लिए बच्चों का खेल हो जाएगा!

बेहतरीन समय पर बीज बोना

(Best Time & Seedling → डायरेक्ट सीडिंग बनाम ट्रांसप्लांटेशन)

बिहार में मानसून शुरू होते ही (आम तौर पर जून–जुलाई) पैडी प्लांटेशन शुरू हो जाता है। वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि 32–35 दिनों के बीज ट्रांसप्लांट करने से ज्यादा लाभदायक होते हैं।

तरीकाबीज डिप्थ (cm)समय (दिन)फायदा
ट्रांसप्लांटेशन32–3530–35मजबूत जड़, कम रोग
डायरेक्ट सीडिंग (DSR)सतही10–14लागत कम, समय बचत
  • DSR (Direct Seeding of Rice) से 15–20% पानी बचता है।
  • लेकिन बीज अंकुरण ठीक से होना जरूरी—क्यूंकि बहुत फंसना, खरपतवार बढ़ने, या पौधों को नुकसान हो सकता है।
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Paddy Cultivation Important Tips (धान की खेती के जरूरी सुझाव):

भारत में बदले मौसम के बाद अब खेतों में धान की रोपाई ने रफ्तार पकड़ ली है। इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को अधिक उपज के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं। फसल विशेषज्ञों का मानना है कि रोपाई से पहले मौसम, जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रख कर सही धान की किस्म का चुनाव करना सबसे जरूरी कदम होता है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर हो सकते हैं।

System of Rice Intensification (SRI Method) – SRI तकनीक

SRI तकनीक में आप 8–12 दिनों के छोटे पौधे अलग-अलग दूरी (करीब 25×25 cm) पे लगाते हैं; इसमे एक पौधा गड्ढे में—ना कि गोलीदार तरीके से समूह में।

  • इस तकनीक से 30–50% पानी की बचत होती है।
  • इस से उपज 40–50% तक बढ़ जाती है, बिहार में 47% तक रिपोर्ट किया गया

DSR तकनीक से खेती में होगी बचत:

कृषि वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि किसान अगर डायरेक्ट सीटेड राइस (DSR) तकनीक को अपनाते हैं, तो उन्हें खेत की जुताई और कदवा में लगने वाले अतिरिक्त खर्च से राहत मिल सकती है। इस विधि में बीजों की बुआई सीधी कतारों में की जाती है, जिसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखी जाती है, जिससे खेत का भरपूर उपयोग होता है और लागत भी घटती है।

खरपतवार और रोगों पर नियंत्रण की कारगर सलाह:

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, डायरेक्ट बोआई विधि (DSR) अपनाने से खेत में वेंटिलेशन बना रहता है, जिससे फसल को कीट और रोगों से बचाने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, बिस्पायरिबैक सोडियम और पैराजोलमिथाइल को 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से खेत में उगने वाले तमाम प्रकार के खरपतवार पूरी तरह खत्म किए जा सकते हैं।

जिंक की भूमिका को नज़रअंदाज़ न करें:

हर वर्ग के कृषि वैज्ञानिकों ने खाद्य प्रबंधन में संतुलन बनाए रखने की बात कही। उन्होंने बताया कि किसान अक्सर केवल यूरिया और पोटाश जैसे उर्वरकों पर निर्भर रहते हैं, जबकि जिंक की अनदेखी से पौधों में ‘खैरा रोग’ (Zinc Deficiency) फैलता है, जिससे उनकी बढ़वार पर बुरा असर पड़ता है। इसके समाधान के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि धान की रोपाई करते समय प्रति एकड़ 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट हेप्टाहाइड्रेट का प्रयोग जरूर करें, ताकि पौधों का विकास सही ढंग से हो सके।

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इस बार मिल सकती है रिकॉर्ड पैदावार:

यदि किसी वजह से रोपाई के समय ज़िंक सल्फेट देना छूट जाए, तो किसान 30 दिन बाद प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाकर फोलियर स्प्रे (पत्तियों पर छिड़काव) कर सकते हैं। डॉ. अर्पिता ने यह भी बताया कि इस बार मौसम पूरी तरह से अनुकूल बना हुआ है। यदि किसान वैज्ञानिक विधियों को अपनाते हैं, तो भारत में इस बार धान की जबरदस्त उपज मिलने की पूरी उम्मीद है।

Frequently Asked Questions (FAQ)

SRI क्या है और फाइदे क्या हैं?

फसल में 40–50% ज्यादा पैदावार और 30–50% पानी की बचत होती है।

DSR या ट्रांसप्लांटेशन, क्या बेहतर है?

लागत कम चाहिए तो DSR, लेकिन बंपर उपज के लिए ट्रांसप्लांटेशन लीडर।

कौन सी फर्टिलाइज़र सबसे उपयुक्त है?

भूगर्भीय मिक्चर—जैविक खाद और नीम आधारित जैविक यंत्री सबसे अच्छी हैं।

क्या मशीन से मदद मिलती है?

हां, ट्रे आधारित विधि और रिमोट ट्रांसप्लांटर समय और लेबर बचाव में कारगर हैं।

AWD विधि कैसे करें?

खेत को सूखा रहने दें जब मिट्टी समाचार न निकलने लगे, फिर पानी दें।

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