Table of Contents
Late blight in potato: क्या आप आलू की फसल में अचानक पत्तियाँ काली पड़ने और सड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं? अगर हाँ, तो हो सकता है आपकी फसल late blight in potato रोग की चपेट में आ गई हो, जिसे आम भाषा में आलू का पछेती झुलसा रोग (Late blight in potato) कहते हैं। यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो आलू की फसल को बहुत तेजी से नष्ट कर देती है। यह Phytophthora infestans नामक फफूंदनुमा रोगजनक (fungus-like pathogen) के कारण होती है।
यह रोग आलू उत्पादक किसानों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है, क्योंकि यह चंद दिनों में ही पूरी की पूरी फसल को बर्बाद करने की क्षमता रखता है। यदि इसका नियंत्रण समय पर न किया जाए तो यह पूरी फसल को 3–4 दिनों में खराब कर सकती है। यह रोग 19वीं सदी के आयरलैंड के महान आलू अकाल के लिए भी जिम्मेदार था, जिससे लाखों लोगों की जान गई थी।
भारत में खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में जहां ठंडा और नम मौसम रहता है, वहां यह रोग सबसे ज्यादा पाया जाता है।
भारत समेत दुनिया भर में, Late blight in potato (पछेती झुलसा रोग) आलू की पैदावार को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुँचाने वाले रोगों में से एक है। अगर सही समय पर इसकी पहचान और नियंत्रण नहीं किया गया, तो किसानों को 70% से 100% तक का भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। इस लेख में, हम Late blight in potato की पहचान के लक्षणों, इसके फैलने की परिस्थितियों और किसानों के लिए सबसे कारगर रोकथाम और नियंत्रण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Late Blight in Potato क्या है और यह क्यों खतरनाक है?
late blight in potato आलू में लगने वाला एक भयंकर फफूंदीजन्य रोग है। यह रोग Phytophthora infestans नामक जल-फफूंदी (Oomycete) के कारण होता है। इसे “पछेती” (Late) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर फसल के आखिरी चरणों (आलू बनने के समय) में दिखाई देता है, लेकिन यह कभी-कभी फसल की शुरुआती अवस्था में भी आ सकता है।
यह क्यों खतरनाक है?
- तेज फैलाव: अनुकूल मौसम (ठंडा और नमी वाला) मिलने पर यह बहुत तेज़ी से फैलता है, जिससे किसान को संभलने का मौका नहीं मिलता।
- उपज पर सीधा असर: यह न केवल पत्तों और तनों को सुखाता है, बल्कि जमीन के अंदर के आलू (कंद) को भी संक्रमित कर देता है, जिससे आलू सड़ जाते हैं और उनका भंडारण (Storage) मुश्किल हो जाता है।
Late Blight in Potato के कारण: क्यों फैलता है ये रोग?

Late blight in potato का मुख्य दोषी है एक फंगस जैसा जीवाणु – Phytophthora infestans। ये कोई साधारण फंगस नहीं, बल्कि एक वॉटर मोल्ड है जो नमी और ठंडी हवा में पनपता है। मानसून के दौरान, जब बारिश ज्यादा हो और तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहे, तब ये तेजी से फैलता है।
सोचिए, बीज आलू अगर पहले से ही इन्फेक्टेड हो, तो पूरा खेत प्रभावित हो जाता है। या फिर, खेत के आसपास जंगली पौधे जैसे नाइटशेड (मकई का रिश्तेदार) हों, तो वो late blight in potato को होस्ट बन जाते हैं। हवा के जरिए स्पोर्स (बीजाणु) उड़कर आलू की पत्तियों पर बैठ जाते हैं। नमी मिलते ही ये घुस जाते हैं पौधे के अंदर।
एक और बड़ा कारण है फसल चक्र न अपनाना। अगर साल-दर-साल एक ही जमीन पर आलू उगाते रहें, तो मिट्टी में ये पैथोजन जमा हो जाता है। रासायनिक उर्वरकों का ज्यादा इस्तेमाल भी इम्यूनिटी कम कर देता है पौधों की। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से late blight in potato के अटैक ज्यादा अनियमित हो रहे हैं – कभी जून में, कभी अगस्त में। किसान भाइयों, ये जान लीजिए कि रोकथाम ही बचाव है।
Late Blight in Potato के कारण
| कारण (Cause) | विवरण (Explanation) |
|---|---|
| फफूंदी Phytophthora infestans | यह रोगजनक (pathogen) आलू की पत्तियों, तनों और कंदों (tubers) पर आक्रमण करता है। यह नमी और ठंडे मौसम में तेजी से फैलता है। |
| अधिक नमी (High Humidity) | लगातार बारिश, ओस या कोहरे से वातावरण में नमी बढ़ती है, जिससे फफूंदी तेजी से विकसित होती है। |
| ठंडा और नम मौसम (Cool & Moist Weather) | तापमान 10°C से 20°C और हवा में 90% से अधिक नमी होने पर यह रोग सबसे ज्यादा फैलता है। |
| संक्रमित बीज कंद (Infected Seed Tubers) | पिछले वर्ष की संक्रमित फसल के कंद (seed potatoes) अगर दोबारा बो दिए जाएं तो यह रोग फिर से उभर आता है। |
| संक्रमित खेत या मिट्टी (Infected Soil or Field) | जिस खेत में पहले यह रोग हो चुका है, वहाँ के अवशेषों में फफूंदी के बीजाणु (spores) रह जाते हैं। |
| तेज हवा और बारिश (Wind & Rain Spread) | हवा और बारिश के छींटों से फफूंदी के बीजाणु एक पौधे से दूसरे पौधे तक फैल जाते हैं। |
| खराब जल निकासी (Poor Drainage) | खेत में पानी जमा रहने से नमी बनी रहती है, जो इस रोग के फैलने का अनुकूल वातावरण बनाती है। |
| नाइट्रोजन की अधिकता (Excess Nitrogen Fertilizer) | अधिक नाइट्रोजन देने से पौधों की पत्तियाँ घनी हो जाती हैं, जिससे वेंटिलेशन कम और नमी अधिक हो जाती है। |
| पुराने अवशेष (Crop Debris) | खेत में बचे हुए पत्तों या कंदों में रोगजनक जीवाणु रहते हैं जो अगले सीजन में संक्रमण फैलाते हैं। |
| मानव और उपकरणों द्वारा फैलाव (Human & Equipment) | संक्रमित खेत में इस्तेमाल किए गए औजार या हाथों के माध्यम से भी यह रोग फैल सकता है। |
Favorable Conditions for Late Blight in Potato (रोग फैलने की अनुकूल परिस्थितियाँ)

| परिस्थिति (Condition) | विवरण (Details) |
|---|---|
| तापमान (Temperature) | 10°C से 25°C के बीच |
| आर्द्रता (Humidity) | 90% से अधिक |
| मौसम (Weather) | लगातार बादल या हल्की बारिश |
| खेत की स्थिति | अधिक सिंचाई या जलभराव वाली जगहें |
| वायु गति (Wind) | हवा से बीजाणु तेजी से फैलते हैं |
💡 Tip: आलू की खेती करते समय यदि मौसम लगातार नम और ठंडा हो, तो किसान “late blight in potato” की निगरानी शुरू कर दें।
Late Blight in Potato के लक्षण: शुरुआत में ही पहचानें
Late blight in potato के लक्षण देखकर तो डर लगता है। शुरुआत में पत्तियों के नीचे की सतह पर पानी भरे धब्बे दिखते हैं – जैसे कोई गीला कागज हो। फिर ये धब्बे भूरे-काले हो जाते हैं, और किनारों पर सफेद, फफूंदी जैसी ग्रोथ उभर आती है। पत्तियां मुरझा जाती हैं, और तने पर भी भूरे घाव पड़ जाते हैं।
अगर देर हो गई, तो पूरा पौधा सूख जाता है। सबसे खतरनाक है कंदों पर असर – आलू के अंदर सड़न शुरू हो जाती है, जो गीली या सूखी दोनों तरह की हो सकती है। कटिंग करने पर ब्राउन रिंग्स दिखती हैं। गंध भी बदबूदार आती है।
किसान दोस्त, सुबह-सुबह खेत चेक करें। अगर पत्तियों पर वो सफेद पाउडर दिखे, तो तुरंत एक्शन लें। late blight in potato फैलने की स्पीड कमाल की होती है – एक इन्फेक्टेड पौधा 24 घंटे में 10-15 मीटर तक स्पोर्स फैला सकता है।
Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट के लक्षण) आलू की पत्तियों, तनों और कंदों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। शुरुआत में पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे बनते हैं जो बाद में भूरे या काले रंग के हो जाते हैं। इन धब्बों के चारों ओर सफेद फफूंदी की परत दिखती है। तने काले होकर गलने लगते हैं और पौधा मुरझा जाता है। कंदों पर भूरे धब्बे बनते हैं जो बाद में नरम होकर सड़ जाते हैं। नमी भरे मौसम में यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और पूरी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है।

Symptoms of Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट के लक्षण)
Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट के लक्षण) आलू की पत्तियों, तनों और कंदों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। शुरुआत में पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे बनते हैं जो बाद में भूरे या काले रंग के हो जाते हैं। इन धब्बों के चारों ओर सफेद फफूंदी की परत दिखती है। तने काले होकर गलने लगते हैं और पौधा मुरझा जाता है। कंदों पर भूरे धब्बे बनते हैं जो बाद में नरम होकर सड़ जाते हैं। नमी भरे मौसम में यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और पूरी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है।
- पत्तियों के किनारों पर गहरे भूरे धब्बे (brown patches) बन जाते हैं।
- नमी के समय इन धब्बों पर सफेद फफूंद (white fungus) की परत दिखती है।
- तने (stem) पर काले धब्बे पड़ जाते हैं जिससे पौधा झुकने लगता है।
- कंद (potato tuber) पर सड़न शुरू हो जाती है — अंदर से भूरे या काले हो जाते हैं।
- फसल की पत्तियाँ ऊपर से नीचे तक जलने जैसी लगती हैं।
Causal Organism and Disease Cycle (रोगकारक और जीवन चक्र)
Causal Organism and Disease Cycle (रोगकारक और जीवन चक्र) – लेट ब्लाइट रोग का कारण फफूंदी जैसे जीव Phytophthora infestans है। यह फफूंदी आलू की पत्तियों, तनों और कंदों पर संक्रमण करती है। रोग का जीवन चक्र संक्रमित बीज कंदों या पौधों के अवशेषों में मौजूद बीजाणुओं (sporangia) से शुरू होता है। नमी और ठंडे तापमान में ये बीजाणु अंकुरित होकर पौधों पर फैल जाते हैं। हवा और बारिश के छींटों से यह तेजी से एक पौधे से दूसरे पौधे तक पहुँचता है। उपयुक्त मौसम में यह कई पीढ़ियाँ बनाकर फसल को पूरी तरह संक्रमित कर सकता है।
Disease Cycle Steps:
- संक्रमित पौधों या आलू के टुकड़ों में बीजाणु (spores) बचे रहते हैं।
- बारिश या हवा से ये बीजाणु स्वस्थ पौधों तक पहुँच जाते हैं।
- नमी और ठंड मिलने पर ये पत्तियों को संक्रमित करते हैं।
- संक्रमण बढ़ने पर रोग कंद तक पहुँच जाता है।
लेट ब्लाइट का कारण है – Phytophthora infestans, जो मिट्टी और संक्रमित पौधों में लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
Control and Management of Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट का नियंत्रण और प्रबंधन)

Control and Management of Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट का नियंत्रण और प्रबंधन) के लिए सबसे पहले स्वस्थ और रोग-मुक्त बीज का चयन करें। फसल की समय पर बुवाई करें और खेत में जल निकासी का अच्छा प्रबंध रखें। संक्रमित पौधों को तुरंत नष्ट करें। मौसम के अनुसार रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही मेटालेक्सिल + मैनकोजेब (Metalaxyl + Mancozeb) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव करें। लगातार बारिश या कोहरे के समय 10–12 दिन के अंतराल पर स्प्रे दोहराएँ। फसल कटाई के बाद अवशेष जलाना या गाड़ना भी रोग नियंत्रण में मदद करता है।
1. Cultural Control (सांस्कृतिक उपाय)
- हमेशा disease-free seed tubers का उपयोग करें।
- खेत में सही जल निकासी बनाए रखें ताकि पानी न रुके।
- Crop rotation अपनाएँ — लगातार आलू की खेती न करें।
- संक्रमित पौधों को खेत से निकालकर नष्ट कर दें।
2. Chemical Control (रासायनिक नियंत्रण)
| रासायनिक नाम | मात्रा (प्रति लीटर पानी) | उपयोग का समय |
|---|---|---|
| मेटालेक्सिल + मैंकोजेब (Metalaxyl + Mancozeb) | 2.5 ग्राम | रोग की शुरुआत में |
| मैंकोजेब (Mancozeb 75 WP) | 2.5 ग्राम | 7–10 दिन के अंतराल पर |
| सायमॉक्सानिल + मैंकोजेब (Cymoxanil + Mancozeb) | 2 ग्राम | रोग फैलने पर |
| फेनामिडोन + मैंकोजेब (Fenamidone + Mancozeb) | 2 ग्राम | जरूरत अनुसार |
💡 Tip: छिड़काव सुबह या शाम को करें जब हवा कम हो और तापमान ठंडा हो।
3. Organic Control (जैविक उपाय)
- नीम का अर्क (neem extract) या ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) आधारित जैव-फफूंदनाशी का प्रयोग करें।
- खेत में जैविक खाद और गोमूत्र घोल का छिड़काव करें।
- पौधों की प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाने के लिए पंचगव्य का उपयोग करें।
Resistant Varieties (प्रतिरोधक किस्में)
Potato Resistant Varieties (प्रतिरोधक किस्में) – लेट ब्लाइट रोग से बचाव के लिए रोग-प्रतिरोधक किस्मों का चयन अत्यंत आवश्यक है। भारत में विकसित कुछ प्रमुख प्रतिरोधक किस्में हैं — कुफरी ज्योति (Kufri Jyoti), कुफरी हिमालयन (Kufri Himalini), कुफरी बहार (Kufri Bahar), कुफरी लावा (Kufri Lavkar), कुफरी आनंद (Kufri Anand) और कुफरी सुभारणा (Kufri Surya)। ये किस्में ठंडे और नम मौसम में भी लेट ब्लाइट के प्रति सहनशील होती हैं। इन किस्मों की पैदावार अच्छी होती है, रोग का प्रकोप कम होता है और भंडारण क्षमता भी बेहतर रहती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है।
| किस्म का नाम | विशेषता |
|---|---|
| Kufri Jyoti | उच्च प्रतिरोधक और लोकप्रिय किस्म |
| Kufri Bahar | रोग और मौसम दोनों के प्रति सहनशील |
| Kufri Himalini | ठंडे इलाकों के लिए उपयुक्त |
| Kufri Pukhraj | जल्दी तैयार होने वाली और रोग प्रतिरोधक |
सरकारी योजनाएँ और सहायता | Government Schemes and Support
- सीड ड्रिल और पैडी ड्रिल मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और डेमो प्लॉट
- ऑनलाइन जानकारी: भारत सरकार कृषि पोर्टल
- प्रेस इनफार्मेशन सरकारी रिलीज
- आलू के उन्नत किस्मों के लिए आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
लेट ब्लाइट इन पोटैटो के बेस्ट फंगिसाइड्स

किसानों के लिए लाभकारी जानकारी: late blight in potato से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें (टेबल)
किसानों की सुविधा के लिए late blight in potato से जुड़ी मुख्य जानकारी को नीचे टेबल में संक्षेप में दिया गया है।
| विषय | जानकारी | किसानों के लिए सलाह |
| रोगजनक | Phytophthora infestans (जल-फफूंदी) | यह फफूंदी जमीन और संक्रमित बीजों में जीवित रहती है। |
| खतरनाक समय | फसल का अंतिम चरण, कंद बनने का समय (नवंबर-जनवरी) | इस समय late blight in potato के लिए अतिरिक्त सतर्क रहें। |
| पहचान | पत्तियों पर भूरे-काले धब्बे, निचले हिस्से पर सफ़ेद फफूंदी। | तुरंत फफूंदीनाशक (Fungicide) का छिड़काव शुरू करें। |
| फैलने की वजह | 10°C-20°C तापमान, 90% से अधिक आर्द्रता, ओस। | मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें, अनुकूल मौसम में निवारक छिड़काव करें। |
| सबसे बड़ा नुकसान | उपज में 70-100% तक की कमी, भंडारण में कंदों का सड़ना। | रोग आने से पहले ही बचाव शुरू करना आर्थिक रूप से लाभकारी है। |
Late blight in potato का सफल नियंत्रण और रोकथाम (किसानों के लिए टिप्स)
late blight in potato को नियंत्रित करने के लिए एकीकृत रोग प्रबंधन (IPM) की रणनीति अपनाना सबसे बेहतर है। इसमें सांस्कृतिक, जैविक और रासायनिक नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।
A. सांस्कृतिक और निवारक उपाय (सबसे सस्ता और आसान)
- स्वस्थ बीज: हमेशा late blight in potato रोग-मुक्त और प्रमाणित बीजों का ही प्रयोग करें।
- प्रतिरोधी किस्में: आलू की ऐसी किस्मों का चुनाव करें जो late blight in potato के प्रति प्रतिरोधी (Resistant) हों (जैसे: कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुफरी चिप्सोना-1, आदि)।
- बुवाई का समय: बुवाई को थोड़ा जल्दी करें ताकि कंद बनने का चरण रोग के चरम मौसम (जनवरी) से पहले पूरा हो जाए।
- जल निकासी: खेत में पानी जमा न होने दें। जल निकासी की अच्छी व्यवस्था करें, क्योंकि खेत में नमी रोग को बढ़ावा देती है।
- मिट्टी चढ़ाना (Earth Up): आलू के कंदों पर पर्याप्त मिट्टी चढ़ाना ज़रूरी है ताकि बारिश या छिड़काव का पानी कंदों तक न पहुँचे और उन्हें संक्रमित न करे।
B. रासायनिक नियंत्रण (समय पर छिड़काव)
late blight in potato के नियंत्रण में फफूंदीनाशकों (Fungicides) का सही समय पर और सही मात्रा में उपयोग करना निर्णायक होता है।
- निवारक छिड़काव (Preventive Spray): जैसे ही फसल 30-45 दिन की हो जाए या late blight in potato के लिए अनुकूल मौसम की भविष्यवाणी हो, तो संपर्क फफूंदीनाशक (Contact Fungicides) का छिड़काव करें।
- दवा: मैंकोजेब (Mancozeb) (0.2% – 2 ग्राम प्रति लीटर पानी) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) (0.3%) का पहला छिड़काव करें।
- उपचारात्मक छिड़काव (Curative Spray): यदि आपने खेत में late blight in potato के पहले लक्षण देख लिए हैं, तो तुरंत प्रणालीगत फफूंदीनाशक (Systemic Fungicides) का छिड़काव करें।
- दवाएँ: मेटलैक्सिल + मैंकोजेब का मिश्रण (जैसे: रीडोमिल एमजेड), अज़ोक्सिस्ट्रोबिन + डाइफेनोकोनाज़ोल (Azoxystrobin + Difenoconazole) या प्रोपेनेब (Propineb) का छिड़काव 7 से 10 दिनों के अंतराल पर करें।
चेतावनी:
दवाओं का घोल बनाते समय और छिड़काव करते समय सुरक्षा किट (मास्क, दस्ताने) का उपयोग अवश्य करें।
आलू की खुदाई और भंडारण (Harvesting and Storage)
late blight in potato से संक्रमित फसल की खुदाई और भंडारण में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए:
- खुदाई से पहले: खुदाई से 10-15 दिन पहले फसल के तनों और पत्तों को काट कर या नष्ट करके खेत से हटा दें (इसे डिहॉलमिंग (Dehaulming) कहते हैं)। यह इसलिए ज़रूरी है ताकि रोग के जीवाणु पत्तों से कंदों तक न पहुँचें।
- सूखापन: संक्रमित फसल के कंदों की खुदाई केवल सूखे मौसम में ही करें। कंदों को 2-3 दिनों के लिए छायादार और हवादार जगह पर सूखने दें।
- छँटाई: भंडारण से पहले, संक्रमित, कटे-फटे या चोटिल कंदों को छाँटकर अलग कर दें। केवल स्वस्थ कंदों का ही भंडारण करें।
- भंडारण: आलू को ठंडे और सूखे जगह पर भंडारित करें।

FAQs: Late Blight in Potato (लेट ब्लाइट से जुड़े प्रश्न)
Late blight in potato का मुख्य कारण क्या है?
इसका कारण Phytophthora infestans नामक फफूंदनुमा रोगजनक है।
Late blight in potato का इलाज क्या है?
Metalaxyl + Mancozeb या Cymoxanil + Mancozeb का छिड़काव करें।
क्या यह रोग आलू के बीज से फैल सकता है?
हाँ, संक्रमित बीज कंदों से भी फैल सकता है।
Late blight से बचाव का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
रोग-मुक्त बीज का प्रयोग, समय पर छिड़काव और नमी नियंत्रण सबसे प्रभावी उपाय है
क्या आलू का अगेती झुलसा (Early Blight) और पछेती झुलसा (Late Blight) एक ही है?
नहीं। late blight in potato (Phytophthora infestans) ज़्यादा खतरनाक है और ठंडे-नम मौसम में फैलता है, जबकि अगेती झुलसा (Alternaria solani) गर्म और शुष्क मौसम में फैलता है।
अगर बारिश हो रही हो, तो क्या फफूंदीनाशक का छिड़काव करना चाहिए?
हल्की बूंदाबांदी में प्रणालीगत फफूंदीनाशक असर कर सकता है, लेकिन तेज बारिश में छिड़काव न करें। बारिश रुकने के बाद, जैसे ही पत्तियाँ सूख जाएँ, तुरंत छिड़काव करें।
बीज उपचार late blight in potato में कैसे मदद करता है?
बीज उपचार मुख्य रूप से मिट्टी से होने वाले संक्रमण और बीजजनित रोगों (Seed-borne diseases) को कम करता है, जिससे पौधों को late blight in potato से लड़ने की शुरुआती शक्ति मिलती है।
ज्वार के खेती कैसे करें? (Sorghum Cultivation) – 10 आसान स्टेप्स में ज़्यादा उत्पादन और मुनाफ़ा
ज्वार की फसल का महत्व (Importance of Sorghum)जलवायु और भूमि चयन (Climate & Soil Selection)खेत की तैयारी (Field Preparation)उन्नत किस्मों…
मटर की जैविक खेती (Organic Peas Farming): कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा पाने का 100% देसी तरीका
मटर की जैविक खेती क्या है? (What is Organic Peas Farming)खेत और मिट्टी की तैयारी (Soil Preparation for Organic Peas)बीज…
मटर की सिंचाई (Peas Irrigation): 5 आसान टिप्स से बढ़ाएं अपनी पैदावार!
मटर की सिंचाई की आवश्यकता (Need for Peas Irrigation)मटर की सिंचाई का समय (Best Time for Peas Irrigation)सही सिंचाई विधि…
मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) – बेहतरीन विकल्प, ज्यादा पैदावार और पक्का मुनाफा
मटर की उन्नत किस्में क्या होती हैं? (What are Improved Varieties of Peas Seeds)मटर की बेहतरीन किस्में (Varieties of Peas…
अरहर के बीज (Pigeon Pea Seeds): उन्नत खेती और बंपर पैदावार की पूरी जानकारी
अरहर के बीज क्या हैं? (What are Pigeon Pea Seeds?)अरहर के बीज का सही चुनाव (Right Selection of Pigeon Pea…
अरहर की सिंचाई कैसे करें? (Pigeon Pea Irrigation Guide) – 7 आसान स्टेप में ज़्यादा पैदावार
अरहर की सिंचाई का महत्व (Importance of Pigeon Pea Irrigation)अरहर की सिंचाई के मुख्य चरण (Critical Stages of Pigeon Pea…