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किसान भाइयों, अगर आप मटर की खेती से कम समय में ज्यादा उत्पादन और बेहतर कमाई करना चाहते हैं, तो मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) चुनना सबसे जरूरी कदम है। सही किस्म न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है, बल्कि रोगों का खतरा भी कम करती है। आज हम बात करेंगे मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) के बारे में, जो न केवल बीमारियों से लड़ने में सक्षम हैं, बल्कि बाजार में भी इनकी मांग सबसे ज्यादा रहती है। चाहे आप अगेती खेती करना चाहें या पछेती, सही बीज ही आपकी सफलता की कुंजी है।
इस लेख में हम मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) को आसान, भाषा में समझाएंगे, ताकि आप बिना किसी दिक्कत के सही फैसला ले सकें।
मटर की उन्नत किस्में क्या होती हैं? (What are Improved Varieties of Peas Seeds)
मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) वे किस्में होती हैं, जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया गया है ताकि किसान भाइयों को ज्यादा उत्पादन, जल्दी फसल और अच्छी गुणवत्ता मिल सके।
इन किस्मों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance) ज्यादा होती है, बीज अंकुरण दर ज्यादा होती है और फलियां भी ज्यादा लगती हैं। पारंपरिक किस्मों की तुलना में मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds?) 20–40% तक ज्यादा उपज देती हैं। यही कारण है कि आज अधिकतर किसान उन्नत किस्मों को अपनाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
मटर की बेहतरीन किस्में (Varieties of Peas Seeds)

1. अगेती मटर की सबसे बेहतरीन किस्में (Early Varieties of Peas Seeds)
अगर आप मटर की खेती से सबसे ज्यादा भाव लेना चाहते हैं, तो अगेती खेती सबसे अच्छा विकल्प है। मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) में ‘अर्किल’ और ‘आजाद मटर-1’ का नाम सबसे ऊपर आता है। अर्किल किस्म मात्र 60 से 65 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके दाने मीठे और गहरे हरे रंग के होते हैं। किसान भाइयों, अगेती किस्मों को लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जब बाजार में मटर कम होती है, तब आपकी फसल पहुंचती है और आपको ऊंचे दाम मिलते हैं।
2. हाइब्रिड और ज्यादा पैदावार वाली किस्में (High Yielding Varieties of Peas Seeds)
अधिक उत्पादन के लिए हाइब्रिड बीजों का महत्व बढ़ गया है। मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) जैसे ‘जीएस-10′ (GS-10) आजकल किसानों की पहली पसंद बनी हुई है। इसकी फलियां लंबी होती हैं और एक फली में 8 से 10 दाने तक निकलते हैं। यह किस्म पाउडर मिल्ड्यू (छाछ्या रोग) के प्रति सहनशील है, जिससे दवाई का खर्चा कम हो जाता है। मध्यम समय में तैयार होने वाली यह किस्म प्रति एकड़ 40 से 50 क्विंटल तक की पैदावार देने की क्षमता रखती है।
3. रोगों से लड़ने वाली शक्तिशाली किस्में (Disease Resistant Varieties of Peas Seeds)
मटर की फसल में अक्सर उकठा रोग या चूर्णिल आसिता का डर रहता है। ऐसे में मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) जैसे ‘बोनविले’ और ‘जवाहर मटर’ का चुनाव करना समझदारी है। बोनविले किस्म की फलियां जोड़ों में आती हैं और इसकी मिठास की वजह से डिब्बाबंद उद्योगों (Canning Industry) में इसकी बहुत मांग रहती है। इन किस्मों की खेती करने से फसल के खराब होने का रिस्क कम हो जाता है और किसान भाइयों को एक सुरक्षित मुनाफे की गारंटी मिलती है।
4. कम सिंचाई में होने वाली किस्में (Drought Tolerant Varieties of Peas Seeds)
जिन इलाकों में पानी की थोड़ी कमी है, वहां के किसान भाइयों को मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) चुनते समय सावधानी बरतनी चाहिए। ‘पंत मटर-155’ या ‘आजाद मटर-3’ ऐसी किस्में हैं जो कम सिंचाई में भी बढ़िया प्रदर्शन करती हैं। ये किस्में मिट्टी की नमी का कुशलता से उपयोग करती हैं। हालांकि, मटर को फूल आने और दाने बनने के समय पानी की जरूरत होती है, लेकिन ये किस्में विषम परिस्थितियों में भी अपनी पैदावार को स्थिर रखने की ताकत रखती हैं।
मटर की उन्नत किस्में चुनने के फायदे (Benefits of Varieties of Peas Seeds)

मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) अपनाने से किसानों को कई फायदे मिलते हैं।
- पहला फायदा है ज्यादा पैदावार
- दूसरा कम रोग
- तीसरा बेहतर बाजार कीमत
उन्नत किस्मों से समय और लागत दोनों की बचत होती है। यही वजह है कि आज किसान भाइयों का झुकाव तेजी से उन्नत किस्मों की ओर बढ़ रहा है।
सरकारी योजनाएँ और किसान क्रेडिट कार्ड (Government Schemes and KCC)
खेती में मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए किसान सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएँ खेती की लागत को कम करने और पूंजी (Capital) की व्यवस्था करने में मदद करती हैं।
भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएँ हैं, जो किसानों को सब्ज़ी और बागवानी (Horticulture) फसलों के लिए सब्सिडी (Subsidy) देती हैं।
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस योजना के तहत, आलू की खेती के लिए उन्नत बीज, प्लांटर मशीन, कोल्ड स्टोरेज बनाने और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम लगाने पर सब्सिडी मिल सकती है।
- प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): यह योजना सीधे किसानों के खाते में सालाना ₹6,000 की वित्तीय सहायता देती है, जिसका उपयोग किसान खेती के छोटे-मोटे ख़र्चों के लिए कर सकते हैं।
सबसे ज़रूरी है किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)। केसीसी के ज़रिए किसान बहुत कम ब्याज दर पर (लगभग 4% प्रति वर्ष) खेती के लिए लोन (Loan) ले सकते हैं। इस पैसे का उपयोग आलू के बीज, खाद, कीटनाशक खरीदने या बुवाई के ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे किसान को तुरंत पैसा उधार लेने या अपनी बचत को ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। किसान को हमेशा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क करके नवीनतम योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी लेते रहना चाहिए।
- सीड ड्रिल और पैडी ड्रिल मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और डेमो प्लॉट
- ऑनलाइन जानकारी: भारत सरकार कृषि पोर्टल
- प्रेस इनफार्मेशन सरकारी रिलीज
- बीज आवेदन के लिए यहाँ क्लिक करें।
FAQ: मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल।
मटर की सबसे अच्छी अगेती किस्म कौन सी है?
सबसे अच्छी अगेती किस्म ‘अर्किल’ और ‘आजाद मटर-1’ मानी जाती है, जो 60 दिनों में तैयार हो जाती है।
एक एकड़ में मटर का कितना बीज लगता है?
अगेती खेती के लिए 40-45 किलो और सामान्य खेती के लिए 30-35 किलो मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds) की आवश्यकता होती है।
मटर की फसल में यूरिया कब डालना चाहिए?
बुवाई के समय डीएपी के साथ नाइट्रोजन की कम मात्रा दें, फिर पहली सिंचाई (बुवाई के 25-30 दिन बाद) पर हल्का यूरिया दिया जा सकता है।
मटर की खेती से प्रति एकड़ कितनी कमाई हो सकती है?
अच्छी किस्म और सही बाजार भाव मिलने पर किसान भाई ₹80,000 से ₹1,50,000 तक प्रति एकड़ कमा सकते हैं।
सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds?) कौन सी हैं?
अरकेल और पूसा प्रगति।
मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds?) कहाँ से खरीदें?
सरकारी बीज निगम या प्रमाणित विक्रेता से।
कौन सी किस्म जल्दी तैयार होती है?
अरकेल सबसे जल्दी तैयार होती है।
मटर की उन्नत किस्में (Varieties of Peas Seeds?) की कीमत कितनी होती है?
₹120–250 प्रति किलो (किस्म पर निर्भर)।
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