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Potato Disease Control (आलू रोग नियंत्रण): “क्या आपकी आलू की फसल बर्बाद हो रही है? क्या आप जानते हैं कि आलू के रोगों को तुरंत नियंत्रित नहीं किया गया तो यह आपकी पूरी मेहनत को खत्म कर सकता है? कौन सी दवा सबसे असरदार है और इसे कब इस्तेमाल करना है? अगर आप इन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। आगे पढ़िए, क्योंकि हम आपको “Potato Disease Control” के सबसे सरल और असरदार तरीके बताने जा रहे हैं, जो सीधे आपकी जेब में पैसा लाएंगे।”
Potato Disease Control (आलू रोग नियंत्रण) किसानों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि रोग नियंत्रण से ही फसल की पैदावार और गुणवत्ता बनी रहती है। यदि किसान समय पर रोग पहचान लें और ऊपर बताए गए रासायनिक व जैविक उपायों को अपनाएं, तो आलू की फसल से 30–40% तक ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए — सही बीज, सही समय, सही छिड़काव = स्वस्थ आलू की फसल
भारत में आलू हर किसान की सबसे भरोसेमंद फसल है। लेकिन जब फसल पर रोग (disease) का हमला होता है, तो मेहनत और कमाई दोनों पर पानी फिर जाता है। इसलिए आज हम बात करेंगे कि Potato Disease Control कैसे करें ताकि पैदावार बढ़े और नुकसान कम हो।
Potato Disease Control (आलू रोग नियंत्रण) क्या है? (What is Potato Disease Control?)
Potato Disease Control (आलू रोग नियंत्रण) का मतलब है — ऐसे सभी तरीके जिनसे हम आलू की फसल में होने वाले रोगों (diseases) को पहचानकर उनका समय पर इलाज कर सकें ताकि उत्पादन (yield) और गुणवत्ता (quality) बनी रहे।
भारत में आलू पर सबसे अधिक असर डालने वाले रोग — Late Blight, Early Blight, Black Scurf, Bacterial Wilt, Soft Rot आदि हैं।
आलू की फसल में बहुत तरह के रोग सामने आते हैं—ज्यादातर वायरल, फंगल, बैक्टीरियल और नेमेटोड से जुड़े। सही तरह से आलू की रोग नियंत्रण विधि (potato disease control) अपनाने से किसान को भरपूर उत्पादन मिलता है। अगर समय पर Disease Control (रोग नियंत्रण) नहीं किया गया तो फसल की पैदावार में 40–70% तक की गिरावट आ सकती है।
6 आलू के प्रमुख रोग (6 Major Diseases in Potato)

| रोग का नाम (Disease Name) | लक्षण (Symptoms) | नियंत्रण उपाय (Control Measures) |
|---|---|---|
| Late Blight (झुलसा रोग) | पत्तियों पर भूरे धब्बे, तने पर सड़न | मैनकोजेब या रिडोमिल गोल्ड का छिड़काव करें |
| Early Blight (प्रारंभिक झुलसा) | पत्तों पर गोल धब्बे, पौधों का सूखना | क्लोरोथालोनिल या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव |
| Black Scurf (ब्लैक स्कर्फ) | कंदों पर काले धब्बे, अंकुरण रुकना | स्वस्थ बीज का प्रयोग, कार्बेन्डाजिम से उपचार |
| Soft Rot (सॉफ्ट रॉट) | कंदों का गलना, दुर्गंध आना | भंडारण से पहले सूखाएं, अत्यधिक नमी से बचें |
| Bacterial Wilt (बैक्टीरियल विल्ट) | पौधे अचानक मुरझाना | रोगमुक्त बीज, फसल चक्र अपनाएं |
| Potato Virus Y (PVY) | पत्तियाँ मुड़ना, पौधों की वृद्धि रुकना | रोगग्रस्त पौधों को हटाएं, सफेद मक्खी नियंत्रण करें |
आलू रोग पहचान से लेकर Potato Disease Control
- बीज चयन और तैयारी: हमेशा प्रमाणित और रोग-मुक्त बीज (virus free seed potatoes) का चुनाव करें।
- फसल चक्र (Crop Rotation): आलू के खेत में हर साल पैदावार न लें—दूसरी फसलें जैसे दालें, ज्वार, बाजरा लगाएं।
- एसिडिक मिट्टी (pH 5.0-5.5): मिट्टी की जाँच करें—यदि स्कैब रोग बढ़ रहा है तो pH कंट्रोल करें।
- फसल अवशेषों की सफाई: पुरानी फसल के रोगी हिस्से नष्ट करें।
- कीट नियंत्रण: स्टार्टर कीट, एफिड्स, थ्रिप्स पर बायोलॉजिकल या केमिकल स्प्रे करें ताकि वायरस का फैलाव न हो।
Potato Disease Control के प्रकार (Types of Control Methods)
“Potato Disease Control” केवल दवा छिड़कने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्थित और समन्वित प्रक्रिया (Integrated Management) है। इसमें तीन मुख्य बातों पर ध्यान देना होता है: रोकथाम, प्रबंधन और उपचार।
यह टेबल किसानों को रोगों और उनके नियंत्रण के सबसे सरल उपाय एक नज़र में समझने में मदद करेगा।

| रोग का नाम | मुख्य लक्षण | कारण | सबसे असरदार नियंत्रण/दवा | उपचार का समय |
| पछेती झुलसा | पत्तों पर काले-भूरे, पानी जैसे धब्बे; नीचे सफ़ेद फफूंद। | फफूंद | मेटालैक्सिल + मैनकोजेब (Ridomil Gold) | मौसम अनुकूल होने पर या रोग दिखते ही। |
| अगेती झुलसा | पत्तों पर गोल छल्लेदार धब्बे। | फफूंद | मैनकोजेब (Mancozeb) | रोग दिखते ही। |
| साधारण चेचक | आलू पर खुरदुरी पपड़ी/दाग। | जीवाणु | स्वस्थ बीज, बोरिक एसिड से बीज उपचार | बुवाई से पहले। |
| काला मस्सा | आलू पर काले, मिट्टी जैसे कड़े पिंड। | फफूंद | कार्बेन्डाजिम से बीज उपचार और गहरी जुताई। | बुवाई से पहले। |
| पत्ती रोल विषाणु | पत्तों का ऊपर की ओर मुड़ना, छोटा आकार। | विषाणु (एफिड्स द्वारा) | एफिड्स नियंत्रण के लिए मिथाइल डेमिटान का छिड़काव। | रोग फैलाने वाले कीट दिखते ही। |

उपाय 1: जैविक और सांस्कृतिक “आलू रोग नियंत्रण” (Cultural Control)
बीमारी लगने से पहले किए गए ये उपाय सबसे सस्ते और सबसे असरदार होते हैं।
- 1. स्वस्थ और प्रमाणित बीज का उपयोग: हमेशा रोग-मुक्त और प्रमाणित बीज ही बोएं। यही आलू रोग नियंत्रण की सबसे पहली और सबसे ज़रूरी शर्त है।
- 2. बीज उपचार (Seed Treatment): बुवाई से पहले बीज को बोरिक एसिड (3%) के घोल में 20-30 मिनट तक डुबोकर छाया में सुखा लें। इससे चेचक रोग और काला मस्सा रोग जैसी समस्याओं से बचाव होता है। इसके अलावा, थीरम या मैनकोजेब जैसे फफूंदनाशक से भी बीज को उपचारित कर सकते हैं।
- 3. सही किस्म का चुनाव: अपने क्षेत्र और रोगों के खतरे के हिसाब से रोग प्रतिरोधी किस्में जैसे कुफरी ज्योति, कुफरी बादशाह, कुफरी नवीन, कुफरी सतलुज आदि का चुनाव करें।
- 4. उचित फसल चक्र (Crop Rotation): एक ही खेत में लगातार आलू न उगाएं। कम से कम 2-3 साल का फसल चक्र अपनाएं। आलू के बाद धान, मक्का या दलहन की फसल लगाएं।
- 5. गहरी जुताई: गर्मियों में खेत की गहरी जुताई (Summer Ploughing) करें, इससे मिट्टी में मौजूद रोगों के जीवाणु और फफूंद धूप से नष्ट हो जाते हैं।
- 6. मिट्टी चढ़ाना: आलू पर पर्याप्त मिट्टी चढ़ाएं (Earthing Up) ताकि आलू कंद बाहर न दिखें और उन तक रोग न पहुंच पाए।
- नीम तेल (Neem Oil) का छिड़काव करें — यह सफेद मक्खी, एफिड्स, और अन्य कीटों को दूर रखता है।
- Trichoderma harzianum का उपयोग बीज उपचार (seed treatment) के लिए करें।
- गोमूत्र आधारित जैव कीटनाशक (bio pesticide) का उपयोग करें।
उपाय 2: पोषक तत्वों का सही प्रबंधन
पौधे में अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) तब आती है जब उसे सही पोषण मिलता है।
- नाइट्रोजन पर नियंत्रण: ज़्यादा नाइट्रोजन देने से पछेती झुलसा का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित मात्रा में खाद डालें।
- पोटाश का उपयोग: खेत में पोटाश की संतुलित मात्रा का उपयोग करें। यह आलू के कंद को मजबूत बनाता है और रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।
- हरी खाद (Green Manure): बुवाई से पहले हरी खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की सेहत सुधरती है और रोग कम होते हैं।
उपाय 3: रासायनिक “Potato Disease Control” (Chemical Control)
रोग दिखाई देने पर या अनुकूल मौसम होने पर तुरंत दवा का छिड़काव करना ज़रूरी है।
- अगेती झुलसा नियंत्रण: रोग दिखाई देते ही मैनकोजेब (Mancozeb) 0.2% (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर करें।
- पछेती झुलसा नियंत्रण (सबसे महत्वपूर्ण):
- शुरुआत में (रोकथाम के लिए): मैनकोजेब (Indofil M-45 या Mass M-45) या क्लोरोथैलोनिल (Chlorothalonil) का छिड़काव करें।
- रोग का प्रकोप दिखने पर: सिस्टेमिक फफूंदनाशक जैसे मेटालैक्सिल + मैनकोजेब (Ridomil Gold) का 0.25% घोल (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। गंभीर स्थिति में, 7 से 10 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करना चाहिए।
- विषाणु रोग नियंत्रण (PLRV): विषाणु का कोई सीधा इलाज नहीं है। यह एफिड्स (Aphids) से फैलता है, इसलिए एफिड्स को नियंत्रित करना ज़रूरी है। इसके लिए मिथाइल डेमिटान (Methyl Demeton) जैसे कीटनाशक का छिड़काव करें।
- चेचक रोग नियंत्रण (Common Scab): प्रभावित खेतों में क्षारीय खाद (जैसे नाइट्रेट खाद) का प्रयोग न करें। बुवाई के समय खेत में बोरेक्स (Boric Acid) देना फायदेमंद होता है।
- आलू की फसल में झुलसा या फफूंदी दिखे तो Mancozeb (0.2%), Metalaxyl, या Ridomil Gold का छिड़काव करें।
- प्रति हेक्टेयर 500–600 लीटर पानी में दवा घोलें।
- हर 10–12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
उपाय 4: यांत्रिक नियंत्रण (Mechanical Control)
- खेत में रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटा दें।
- संक्रमित आलू को भंडारण में न रखें।
- फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं — आलू के बाद मक्का या दालें लगाएं।
Potato Disease Control के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable Climate)
- आलू की खेती 15°C से 25°C तापमान पर सर्वश्रेष्ठ होती है।
- अत्यधिक नमी या लगातार बारिश से Late Blight का खतरा बढ़ जाता है।
- इसलिए आलू की फसल में सिंचाई का संतुलन बनाए रखें और खेत में जल निकासी (drainage) की व्यवस्था रखें।
बीज उपचार (Seed Treatment for Potato Disease Control)
| दवा का नाम | मात्रा | प्रयोग का तरीका |
|---|---|---|
| कार्बेन्डाजिम (Carbendazim 50WP) | 2 ग्राम प्रति लीटर पानी | बीज कंदों को 30 मिनट डुबोएँ |
| मैनकोजेब (Mancozeb 75WP) | 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी | कंदों पर छिड़काव करें |
| ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) | 10 ग्राम प्रति किलो बीज | जैविक उपचार के लिए |
Potato Disease Control in Storage (भंडारण में रोग नियंत्रण)
- आलू को भंडारण से पहले सुखा लें।
- ठंडा और हवादार गोदाम चुनें।
- तापमान 4°C–6°C के बीच रखें।
- Soft Rot रोकने के लिए भंडारण स्थान पर अत्यधिक नमी से बचें।
- समय-समय पर भंडारित आलू की जांच करें।
आम आलू बीमारियां और नुकसान
- पत्तों पर धब्बे, झुलसा या मोज़ेक आना।
- तना सड़ना, सूखा रोग या गलना।
- वायरस, फफूंदी (fungus), बैक्टीरिया और कीड़े मुख्य कारण हैं।
बीमारियों से नुकसान:
- पैदावार में 30-50% तक कमी आ सकती है।
- भंडारण के समय आलू गल सकते हैं।
- गुणवत्ता और बाजार मूल्य घटता है।
Potato Disease Control – शुरुआती कदम
1. बीमारी पहचानें
- पत्तों पर भूरे/काले धब्बे, पीलेपन या टेढ़ा-मेढ़ा बढ़ना।
- तनों में सड़न या मिट्टी में सड़ने वाली गांठें।
- आलू में फफूंदी या कीड़े का हमला दिखना।
2. फसल स्वास्थ्य की जांच
- पत्तियों, तनों और जड़ की नियमित निगरानी।
- फसल में होते ही तुरंत इलाज की तैयारी।
Potato Disease Control के टिप्स
A. फसल का सही चयन और तैयारी:
- वायरस-फ्री बीज का उपयोग करें।
- पुरानी फसल के बचे हुए आलू, तना आदि खेत से बाहर निकालें।
- खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करें।
B. मिट्टी और सिंचाई प्रबंधन:
- संतुलित सिंचाई करें, अधिक नमी या पानी से बचें।
- बायो फर्टिलाइज़र और ऑर्गैनिक खाद का प्रयोग बढ़ाएं।
C. फसल चक्र (Crop Rotation):
- गेहूं, जौ या दाल जैसी फसलें आलू के बाद लगाएं।
- इससे मिट्टी में बीमारी की मात्रा कम होती है।
D. जैविक और रासायनिक नियंत्रण:
- जैविक बायोपेस्टिसाइड्स जैसे Trichoderma या Bacillus thuringiensis का प्रयोग करें।
- रासायनिक दवाओं का केवल जरूरत होने पर ही प्रयोग करें।
- IPM के तहत प्राकृतिक शत्रु कीटों को बढ़ावा देना।
E. रोग प्रतिरोधक किस्में:
- “Unica”, “Sherekea” जैसी ब्रीड की आलू किस्मों लगाएं।
Potato Disease Control Table – प्रमुख बीमारियां व नियंत्रण
| बीमारी का नाम | पहचान व लक्षण | कारण | नियंत्रण के उपाय | अतिरिक्त लाभ |
|---|---|---|---|---|
| अनारकाजी झुलसा | पत्तियों पर काले/भूरे धब्बे | फफूंदी | रोग प्रतिरोधी किस्म, नियमित सिंचाई | फसल की उम्र बढ़ती |
| सूखा रोग | तना व पतियां सूखना | बैक्टीरिया | धूप में सुखाना, जैविक खाद का प्रयोग | गुणवत्ता सुधरती |
| मोज़ेक वायरस | पीली लकीरें, कमजोर पौधा | वायरस | वायरस-फ्री बीज, कीट नियंत्रण | उत्पादन बढ़ता |
| सड़न | गांठों में गलन | फफूंदी | खेत का ड्रेनेज, पुराना आलू हटाना | भंडारण सुविधा |
| पीलापन | पौधे का रंग हल्का पड़ना | पोषक कमी | संतुलित खाद, मृदा परीक्षण | पोषण बढ़ता |
| पत्ती झड़ना | पत्तियां जल्दी गिर जाती | कीट संक्रमण | नीम आधारित जैविक कीटनाशक का प्रयोग | हानि कम |
| डैडी ब्लाइट | पत्तियों का जल्दी मुरझाना | फफूंदी | ड्रिप सिंचाई, जैविक बायोपेस्टिसाइड | लागत घटती |
Potato Disease Control – आधुनिक उपाय
- मशीन लर्निंग और एप आधारित रोग पहचान. किसान अपनी फसल की फोटो ऐप पर डालकर बीमारी पहचान सकते हैं।
- RNAi टेक्नोलॉजी के जरिए वायरस नियंत्रण – दुगना असर, फसल में वायरस की बढ़त रोकें।
- कुदरती दुश्मन कीट और बायो कंट्रोल एजेंट्स – जैसे ladybird, nematodes, Trichoderma आदि उपयोग करें।
किसानों के लिए व्यावहारिक सलाह
- फसल बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करें।
- हमेशा नमी और तापमान का ध्यान रखें।
- जरूरत पर ही स्प्रे या दवाई लगाएं, बेवजह रसायन प्रयोग से बचें।
- खेत में नियमित घूमकर फसल जांचें और बीमारी दिखने पर तुरंत कदम उठाएं।
Integrated Potato Disease Control (समेकित रोग नियंत्रण)
“Integrated Disease Management (IDM)” का मतलब है — जैविक, रासायनिक, और कृषि तकनीकी उपायों को मिलाकर नियंत्रण करना।
मुख्य उपाय:
- रोगमुक्त बीज का उपयोग
- फसल चक्र
- जैव कीटनाशकों का प्रयोग
- सही सिंचाई और जल निकासी
- रासायनिक छिड़काव केवल जरूरत पर
Potato Disease Control Table Summary
| Control Method | Description | Recommended Products |
|---|---|---|
| Chemical | Fungicides for quick control | Mancozeb, Metalaxyl, Ridomil |
| Organic | Neem oil, Bio pesticides | Trichoderma, Neem extract |
| Mechanical | Manual removal of infected plants | Crop rotation, field sanitation |
| Storage | Preventing rot in storage | Cold storage, ventilation |
Potato Disease Control के लिए उपयोगी टिप्स
- बीज आलू का चयन करते समय हमेशा प्रमाणित बीज लें।
- खेत में सफाई और जल निकासी बनाए रखें।
- आलू की फसल में नियमित रूप से रोग निरीक्षण करें।
- जैविक और रासायनिक नियंत्रण का संतुलन बनाए रखें।
- फसल के बाद खेत की मिट्टी को पलट दें ताकि रोगजनक नष्ट हो सकें।
मुनाफे के लिए किसानों को अन्य लाभकारी “Potato Disease Control” टिप्स

1. सिंचाई का ध्यान (Irrigation Management):
- ज्यादा सिंचाई से बचें: ज़्यादा देर तक खेत में पानी खड़ा रहने से फफूंद और जीवाणु जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है। हमेशा हल्की और जरूरत के हिसाब से सिंचाई करें।
- फव्वारा सिंचाई (Sprinkler) से बचें: फव्वारा सिंचाई से पत्तियां ज़्यादा देर तक गीली रहती हैं, जिससे झुलसा रोग तेजी से फैलता है। ड्रिप या नाली से सिंचाई करना बेहतर है।
2. कटाई और भंडारण की सावधानियां:
- सूखी मिट्टी में खुदाई: आलू की खुदाई हमेशा तब करें जब मिट्टी सूखी हो। इससे कंदों पर चोट कम लगती है और रोग अंदर नहीं जा पाते।
- बीमारी वाले आलू को अलग करें: खुदाई के तुरंत बाद रोगग्रस्त (जैसे झुलसा से प्रभावित) आलू को छाँटकर गड्ढे में दबा दें या नष्ट कर दें। स्वस्थ आलू के साथ न मिलाएं।
- भंडारण से पहले उपचार: बीज वाले आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखने से पहले फिर से बोरिक एसिड या उपयुक्त फफूंदनाशक से उपचारित करें। इससे भंडारण में होने वाले नुकसान से बचाव होता है।
3. मौसम की निगरानी:
- पछेती झुलसा की चेतावनी: पछेती झुलसा के लिए ठंडा और नम मौसम (10 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान और अधिक नमी) सबसे अनुकूल होता है। जैसे ही मौसम ऐसा हो, रोग दिखने का इंतज़ार न करें, रोकथाम के तौर पर मैनकोजेब का छिड़काव शुरू कर दें।
4. बायोकंट्रोल एजेंट का प्रयोग (Biocontrol Agents):
- रासायनिक दवाओं के विकल्प के तौर पर, ट्राइकोडर्मा विरिडी (Trichoderma viride) जैसे बायो-फफूंदनाशक का उपयोग करें। इसे मिट्टी में डालने या बीज उपचार में उपयोग करने से मिट्टी जनित रोगों (जैसे काला मस्सा) को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
Potato Disease Control कोई मुश्किल काम नहीं है, बस सही बीज, दवा, और तकनीक अपनाने की जरूरत है।
अगर किसान शुरुआत से रोग पहचान कर कदम उठाएं, तो फसल स्वस्थ रहेगी और उत्पादन बढ़ेगा। आलू रोग नियंत्रण (Potato Disease Control) एक सतत प्रक्रिया है, जो बुवाई से लेकर कटाई और भंडारण तक चलती है।
केवल महंगे रसायनों पर निर्भर रहने के बजाय, स्वस्थ बीज, सही फसल चक्र, संतुलित पोषण और समय पर निगरानी को अपनी प्राथमिकता बनाएं। जब तक आप रोकथाम के उपाय अपनाएंगे, रासायनिक छिड़काव की ज़रूरत कम पड़ेगी, जिससे आपकी लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा। अपनी फसल की नियमित जाँच करते रहें और छोटे से छोटा लक्षण दिखते ही तुरंत कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर सही उपचार करें।
याद रखें — “रोग रोकथाम ही असली इलाज है।
सरकारी योजनाएँ और सहायता | Government Schemes and Support
- सीड ड्रिल और पैडी ड्रिल मशीन पर सब्सिडी उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा प्रशिक्षण और डेमो प्लॉट
- ऑनलाइन जानकारी: भारत सरकार कृषि पोर्टल
- प्रेस इनफार्मेशन सरकारी रिलीज

FAQs: Potato Disease Control (आलू रोग नियंत्रण) से जुड़े सवाल
आलू की फसल में सबसे खतरनाक रोग कौन सा है?
Late Blight सबसे ज्यादा नुकसानदायक होता है, जिससे पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
आलू के भंडारण के समय कौन-सा तापमान उचित है?
4°C से 6°C के बीच का तापमान सबसे बेहतर होता है।
क्या जैविक उपायों से Potato Disease Control संभव है?
हाँ, Neem Oil और Trichoderma जैसे जैविक पदार्थ प्रभावी रूप से रोगों को रोकते हैं।
Late Blight से बचाव कैसे करें?
Mancozeb और Ridomil Gold का नियमित छिड़काव करें, साथ ही खेत में जल जमाव न होने दें।
Potato Disease Control के लिए सबसे असरदार दवा कौन-सी है?
मेटालेक्सिल, मैंकोजेब और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड सबसे बेहतर दवाएँ हैं।
आलू के लेट ब्लाइट रोग को कैसे रोकें?
फफूंदनाशी दवा छिड़कें और खेत में जलभराव न होने दें।
क्या जैविक तरीके से Potato Disease Control संभव है?
हाँ, नीम तेल और Trichoderma बहुत असरदार प्राकृतिक उपाय हैं।
Potato Disease Control से पैदावार कितनी बढ़ती है?
लगभग 60–80% तक फसल बच जाती है और लाभ दोगुना होता है।
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