2025: सोयाबीन की खेती: किसानों के लिए सम्पूर्ण गाइड (Soybean Farming Guide for Farmers)

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मेरे सभी किसान भाईयों और बहनों को मेरा राम-राम!

आज हम बात करेंगे एक ऐसी फसल के बारे में, जिसे दुनिया “चमत्कारी फसल” (Miracle Crop) और हम किसान भाई “पीला सोना” कहते हैं। आप सही समझें, मैं बात कर रहा हूँ सोयाबीन (Soybean) की। यह सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का एक सुनहरा मौका है। अगर आप धान-गेहूं की पारंपरिक खेती से कुछ अलग और फायदेमंद करने की सोच रहे हैं, तो यह लेख आपके हर सवाल का जवाब देगा।

मैं भी आपकी तरह ही खेती से जुड़ा हूँ, और मैंने यह ब्लॉग ख़ास तौर पर अपने किसान भाइयों के लिए तैयार किया है ताकि हर छोटी-बड़ी जानकारी आप तक सरल और अपनी भाषा में पहुँच सके। तो चलिए, आज इस “पीले सोने” यानि सोयाबीन (Soybean) को उगाने के बारे में पूरी जानकारी लेते हैं !

आखिर सोयाबीन (Soybean) की खेती ही क्यों? (Why Soybean Farming?)

इससे पहले कि हम खेती की बात करें, हर किसान को ये जानना चाहिए कि सोयाबीन (Soybean) में ऐसा क्या खास है जो हमें इसकी खेती करें ? सोयाबीन (Soybean) एक तेलवाली (oilseed) और प्रोटीन युक्त फसल है जो दुनिया भर में इसकी उच्च पोषण गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। इसमें 40% प्रोटीन और 20% तेल पाया जाता है। यह फसल खरीफ (Kharif) मौसम में उगाई जाती है और भारत के लाखों किसान इसे आय का बेहतर स्रोत मानते हैं।

  1. बंपर मुनाफा: बाजार में सोयाबीन (Soybean) की मांग हमेशा रहती है। इसका तेल, प्रोटीन से भरपूर बड़ी (Soya Chunks), पशुओं का चारा (Animal Feed) और यहाँ तक कि दूध (Soya Milk) भी बनता है।
  2. जमीन का डॉक्टर: यह एक दलहनी (Legume) फसल है, जो हवा से नाइट्रोजन (Nitrogen) खींचकर जमीन में जमा करती है। इससे खेत की ताकत (Fertility) बढ़ती है और आपकी अगली फसल में खाद का खर्च कम हो जाता है।
  3. कम पानी, कम टेंशन: धान जैसी फसलों के मुकाबले इसे बहुत कम पानी की जरूरत होती है, जो हमारे कम सिचाई वाले के कई इलाकों के लिए एक वरदान है।
  4. जल्दी तैयार: यह फसल 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे आप साल में दूसरी फसलें भी आसानी से ले सकते हैं।

सोयाबीन की खेती (Soybean Farming )

फसल की अच्छी पैदावार के लिए सही तैयारी का होना बहुत जरूरी है। आइए हर पहलू को बारीकी से समझते हैं।

खेत की तैयारी और जलवायु (Field Preparation and Climate)

अगर किसान भाई अच्छी फसल चाहते हैं तो बीज के लिए खेत को तैयार करना बहुत जरूरी है।

  • जलवायु (Climate): सोयाबीन (Soybean) की खेती के लिए गर्म और नमी वाली जलवायु (Warm and Humid Climate) सबसे अच्छी होती है।
  • मिट्टी (Soil): अच्छी जल निकासी (Water Drainage) वाली काली मिट्टी, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है। बस इस बात का खास ध्यान रखें कि खेत में पानी बिल्कुल न रुके, वरना फसल खराब हो सकती है।
  • जुताई (Ploughing): मॉनसून की पहली बारिश से पहले, गर्मी में एक बार गहरी जुताई (Deep Ploughing) जरूर करें। इससे जमीन के अंदर छिपे कीड़े-मकोड़े और पुरानी फसल के अवशेष नष्ट हो जाएंगे। बुवाई से पहले 2-3 बार कल्टीवेटर (Cultivator) चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें और पाटा (Plank) लगाकर खेत को समतल कर दें ताकि नमी बनी रहे।

सोयाबीन (Soybean) खेत की तैयारी

कार्यविवरणफायदा
गहरी जुताईगर्मी में (मई-जून)गर्मी से कीड़े-मकोड़े और रोग खत्म होते हैं, मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
रोटरी टिलर, कल्टीवेटर से जुताईबुवाई से 10-15 दिन पहलेमिट्टी को भुरभुरा और हवादार बनाता है। मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है।
पाटा लगानाआखिरी जुताई के बादखेत समतल होता है, नमी सुरक्षित रहती है, बुवाई आसान होती है।

सोयाबीन (Soybean) खेती की आवश्यकताएं:

आवश्यकताविवरण
तापमान (Temperature)25-30°C
वर्षा (Rainfall)600-1000 mm
मिट्टी (Soil)दोमट या काली मिट्टी (Black Soil)
pH मान6.0 – 7.5

सोयाबीन की उन्नत किस्में (Improved Soybean Varieties)

सोयाबीन के बीज के सही किस्म का चुनाव मतलब आधी जीत पक्की! भारतीय जलवायु के लिए कुछ जाँची-परखी और फायदेमंद किस्में नीचे दी गई हैं।

सोयाबीन (Soybean) की उन्नत किस्में:

सोयाबीन किस्म का नाम (Variety Name)पकने की अवधि (दिनों में)पैदावार (क्विंटल/एकड़)विशेषता (Features)
JS 20-3493-9510-12कई रोगों से लड़ने की क्षमता, दाना चमकदार।
JS 95-6080-858-10बहुत जल्दी पकने वाली, पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic) के प्रति सहनशील।
RVS 2001-490-9510-12दाना मोटा, फली चटकने (Pod Shattering) की समस्या कम।
NRC 37 (Ahilya 4)95-10010-11तेल की मात्रा (Oil Content) अधिक, अधिक पैदावार, रोग प्रतिरोधी।
MAUS 7195-100
8-10
सूखा सहनशील (drought tolerant)
NRC 8695-100
8-10
जैविक खेती के लिए उपयुक्त
ब्लैक सोयाबीन (Black Soybean)100-1108-9पोषक तत्वों से भरपूर, बाजार में स्पेशल मांग और अच्छा भाव।

किसान भाईयों के लिए सलाह: हमेशा अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या किसान सलाहकार से संपर्क करके अपने क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त किस्म की जानकारी लें।


सोयाबीन का बीज और बीज उपचार (Soybean Seed and Seed Treatment)

अच्छा और स्वस्थ बीज और उसका सही उपचार, फसल का सुरक्षा कवच है। बीज का चयन करते समय ध्यान देना चाहिए कि बीज प्रमाणित (certified), रोग मुक्त और अंकुरण दर (germination rate) 80% से अधिक हो।

  • बीज की मात्रा (Seed Rate): एक एकड़ खेत के लिए लगभग 25-30 किलो बीज काफी होता है। अगर दाना बड़ा है तो 35-40 किलो तक लग सकता है।
  • बीज उपचार (Seed Treatment): यह सबसे जरूरी कदम है, इसे कभी न छोड़ें।
    1. फफूंदनाशक से उपचार: बीज को बोने से पहले थायरम (Thiram) @ 2 ग्राम + कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) @ 1 ग्राम को प्रति किलो बीज के हिसाब से मिलाकर सूखा उपचार करें। यह बीज और छोटे पौधे को गलने से बचाता है।
    2. कल्चर से उपचार: इसके बाद, बीज को राइजोबियम कल्चर (Rhizobium Culture) और PSB कल्चर (Phosphate Solubilizing Bacteria) के 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। राइजोबियम जड़ों में गांठें बनाकर नाइट्रोजन की पूर्ति करता है और PSB जमीन में पड़ी फास्फोरस को पौधों के लिए उपलब्ध कराता है।

बीज उपचार की सरल विधि

उपचार का प्रकारदवा/कल्चर का नाममात्रा (प्रति किलो बीज)लाभ
फफूंदनाशक (Fungicide)थायरम + कार्बेन्डाजिम3 ग्रामजड़ सड़न और अन्य शुरुआती बीमारियों से बचाव।
जीवाणु कल्चर (Bio-culture)राइजोबियम + PSB5-10 ग्राम प्रत्येकपैदावार में 10-15% बढ़ोतरी, रासायनिक खाद की बचत।

जरूरी नोट: उपचार हमेशा छाया में करें और उपचारित बीज को 2-3 घंटे के अंदर बो दें।


सोयाबीन की बुवाई (Soybean Sowing)

बुवाई का सही समय और सही तरीका, दोनों ही पैदावार पर सीधा असर डालते हैं। सभी किसानों को दोनों बातों पे हमेशा ध्यान देना चाहिए।

  • बुवाई का सही समय: बिहार में सोयाबीन (Soybean) की बुवाई के लिए सबसे उत्तम समय जून के आखिरी सप्ताह से लेकर 15 जुलाई तक है। मॉनसून की अच्छी बारिश होने के बाद ही बुवाई करें।
  • बुवाई का तरीका:
    • विधि: बुवाई हमेशा लाइनों में करें। इसके लिए सीड ड्रिल (Seed Drill) या सीड प्लांटर (Seed Planter) मशीन का प्रयोग सबसे अच्छा है। इससे बीज और खाद दोनों एक साथ सही जगह पर गिरते हैं और समय और श्रम दोनों की बचत होती है।
  • दूरी (Spacing): कतार से कतार (Row to Row) की दूरी 45 सेंटीमीटर (लगभग 1.5 फीट) और पौधे से पौधे (seed to seed) की दूरी 4-5 सेंटीमीटर रखें।
    • गहराई (Depth): बीज को 3-4 सेंटीमीटर से ज्यादा गहरा न डालें, वरना अंकुरण (Germination) में दिक्कत होगी।

सोयाबीन (Soybean) बुवाई का मानक

पैरामीटरसही मापक्यों जरूरी है?
बुवाई का समय25 जून – 15 जुलाईसही समय पर अंकुरण और बढ़वार के लिए।
कतार से कतार दूरी45 सेमी.पौधों को धूप-हवा मिलती है, निराई-गुड़ाई आसान।
पौधे से पौधे दूरी4-5 सेमी.पौधों के बीच सही प्रतिस्पर्धा, अच्छी बढ़त।
बीज की गहराई3-4 सेमी.बीज का अंकुरण आसानी से और एक साथ होता है।
विधिसीधी पंक्ति मेंसीधी बुवाई (direct sowing)

फसल सुरक्षा और प्रबंधन (Crop Protection and Management)

सोयाबीन में रोग और उनका नियंत्रण (Soybean Diseases and Control)

सोयाबीन (Soybean) में बीमारी आने के बाद इलाज से बेहतर है कि पहले से ही रोकथाम का पूरा उपाय कर दी जाए।

सोयाबीन (Soybean) के प्रमुख रोग, लक्षण और उपचार

रोग का नामलक्षणजैविक उपचाररासायनिक उपचार
पीला मोजेक वायरस (Yellow Mosaic Virus)पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बनते हैं और धीरे-धीरे पूरी पत्ती पीली हो जाती है।रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर जला दें। नीम तेल (Neem Oil) का छिड़काव करें।यह वायरस सफेद मक्खी (Whitefly) से फैलता है। इसकी रोकथाम के लिए थियामेथोक्साम (Thiamethoxam) 25% WG @ 40 ग्राम प्रति एकड़ छिड़कें।
तना मक्खी (Stem Fly)पौधा अचानक मुरझाकर सूख जाता है। तने को चीरने पर अंदर सफेद इल्ली मिलती है।बीज उपचार करें। बुवाई के 15-20 दिन बाद नीम तेल का छिड़काव।बुवाई के 25-30 दिन बाद क्लोरएंट्रानिलिप्रोएल (Chlorantraniliprole) 18.5% SC @ 60 मिली प्रति एकड़ छिड़कें।
पत्ती धब्बा रोग (Leaf Spot)पत्तियों पर भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं।छाछ (Buttermilk) का छिड़काव करें। ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) का प्रयोग करें।कार्बेन्डाजिम 12% + मैन्कोजेब 63% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
इल्लियां (Caterpillars)ये पत्तियों और फलियों को खाकर नुकसान पहुंचाती हैं।नीम आधारित कीटनाशक या बीटी (Bacillus thuringiensis) पाउडर का छिड़काव करें।इमामेक्टिन बेंजोएट (Emamectin Benzoate) 5% SG @ 80-100 ग्राम प्रति एकड़ छिड़कें।
रूट रॉट (Root Rot)जड़ सड़ना और पौधा गिरनारोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर जला दें। नीम तेल (Neem Oil) का छिड़काव करें।ट्राइकोडर्मा और जल निकासी सुधारे

हमेशा अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या किसान सलाहकार से संपर्क करके अपने क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त जानकारी लें।


सोयाबीन की पैदावार (Soybean ki Paidawar / Soybean Yield)

सोयाबीन में औसतन पैदावार 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है लेकिन बहुत किसान आधुनिक तकनीक अपनाकर 30+ क्विंटल भी प्राप्त कर रहे हैं।

जैविक सोयाबीन खेती (Organic Soybean Farming)

अगर आप अपनी मिट्टी को स्वस्थ्य रखना चाहते हैं और फसल का प्रीमियम दाम पाना चाहते हैं तो जैविक खेती अपनाइए।यह स्वास्थ्य के लिए वभी अच्छा है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है।

  • खाद: रासायनिक खाद की जगह गोबर की खाद, केंचुआ खाद (Vermicompost), और हरी खाद (Green Manure) का इस्तेमाल करें।
  • कीटनाशक: रासायनिक जहर की जगह नीम तेल (Neem Oil), दशपर्णी अर्क, ब्रह्मास्त्र और मित्र कीटों (Friendly Insects) का सहारा लें।
  • फायदा: जैविक सोयाबीन (Soybean) का भाव सामान्य से 1.5 से 2 गुना तक ज्यादा मिलता है। इसकी मांग बड़े शहरों और विदेशों में बहुत है।

जैविक बनाम रासायनिक खेती

पहलूरासायनिक खेतीजैविक खेती
खादयूरिया, डीएपी, पोटाशगोबर की खाद, केंचुआ खाद, जीवामृत
कीटनाशकजहरीली रासायनिक दवाएंनीम तेल, दशपर्णी अर्क, मित्र कीट
मिट्टी पर असरमिट्टी कुछ सालों में बंजर हो जाती हैमिट्टी की उर्वरता और सेहत बढ़ती है
बाजार भावसामान्य1.5 से 2 गुना तक ज्यादा

पैदावार, कटाई और भाव (Yield, Harvesting, and Price)

सोयाबीन की पैदावार (Soybean Yield)

अगर हमारे किसान भाई बताई गई सभी बातों का ध्यान रखते है, तो आप एक एकड़ खेत से आसानी से 10 से 12 क्विंटल तक सोयाबीन (Soybean) की पैदावार ले सकते हैं। कुछ कंडीशन में 12 क्विंटल से अधिक भी पैदावार ले सकते हैं।

कटाई और गहाई (Harvesting and Threshing)

जब 95% पत्तियां झड़ जाएं और फलियां सूखकर खड़कने की आवाज करने लगें, तो समझ लें कि फसल कटाई के लिए तैयार है। कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन धूप में सुखाकर थ्रेशर (Thresher) पारंपरिक विधि से दाने अलग कर लें।

सोयाबीन का भाव (Soybean Price)

सोयाबीन (Soybean) का भाव बाजार की मांग के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है। आमतौर पर यह ₹4,500 से ₹6,500 प्रति क्विंटल के बीच रहता है। सरकार हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी घोषित करती है। नवीनतम MSP की जानकारी के लिए आप भारत सरकार के किसान पोर्टल पर जा सकते हैं। MSP (2024-25): ₹4892 प्रति क्विंटल (100 किलो) है।


भारत में सोयाबीन (Soybean) के प्रमुख उत्पादक राज्य

भारत सोयाबीन (Soybean) के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। आइये देखते हैं कौन से राज्य इसमें सबसे आगे हैं।

भारत में सोयाबीन उत्पादन (अनुमानित आंकड़े)

राज्य (State)उत्पादन (लाख मीट्रिक टन)देश में हिस्सेदारी (%)
मध्य प्रदेश~53~42%
महाराष्ट्र~49~40%
राजस्थान~10~8%
कर्नाटक~5~4%
तेलंगाना~3~2%
अन्य राज्य (बिहार सहित)~5~4%

सोयाबीन की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions on Soybean Farming – FAQs)

सोयाबीन की बुवाई का सबसे सही समय कौन सा है? (What is the best time for soybean sowing?)

सोयाबीन की बुवाई का सबसे सही समय कौन सा है? (What is the best time for soybean sowing?)

सोयाबीन की बुवाई के लिए सबसे उत्तम समय मॉनसून की पहली अच्छी बारिश के बाद का होता है। आमतौर पर, 15 जून से 15 जुलाई के बीच का समय बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। समय पर बुवाई करने से अच्छी पैदावार और कम रोग लगने की संभावना रहती है।

एक एकड़ खेत में कितना सोयाबीन का बीज लगता है? (How much soybean seed is required for one acre?)

सोयाबीन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

एक एकड़ खेत के लिए बीज की मात्रा सोयाबीन के दाने के आकार पर निर्भर करती है:
छोटे दाने वाली किस्में: 25-30 किलोग्राम प्रति एकड़।
मध्यम दाने वाली किस्में: 30-35 किलोग्राम प्रति एकड़।
बड़े दाने वाली किस्में: 35-40 किलोग्राम प्रति एकड़।
हमेशा प्रमाणित (certified) और अपनी जलवायु के अनुकूल बीज ही चुनें।

सोयाबीन की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है? (Which is the best variety of soybean?)

सोयाबीन की कई उन्नत किस्में हैं, लेकिन कुछ सबसे प्रचलित और फायदेमंद किस्में हैं:
JS 20-34: अधिक पैदावार और कई रोगों के प्रति सहनशील।
JS 95-60: बहुत जल्दी पकने वाली किस्म।
RVS 2001-4: दाना मोटा और फली चटकने की समस्या कम।
NRC 37: तेल की मात्रा अधिक।
अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सलाह लेकर किस्म का चुनाव करना सबसे अच्छा रहता है।

सोयाबीन की फसल में खरपतवार को कैसे कंट्रोल करें? (How to control weeds in soybean crop?)

खरपतवार नियंत्रण के दो मुख्य तरीके हैं:
निराई-गुड़ाई: बुवाई के 20-25 दिन और 40-45 दिन बाद, दो बार हाथ से निराई-गुड़ाई करना सबसे प्रभावी तरीका है।
रासायनिक नियंत्रण: अगर मजदूर न मिलें, तो बुवाई के 2-3 दिन के अंदर पेंडीमेथालिन (Pendimethalin) दवा का छिड़काव करें। अगर खड़ी फसल में खरपतवार उग आए हैं, तो इमेजेथापायर (Imazethapyr) जैसी दवाओं का इस्तेमाल कृषि विशेषज्ञ की सलाह से करें।

सोयाबीन की प्रति एकड़ पैदावार कितनी होती है? (What is the yield of soybean per acre?)

अगर आप उन्नत तरीकों और अच्छी किस्मों का उपयोग करते हैं, तो सोयाबीन की औसत पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है। अच्छी देखभाल और अनुकूल मौसम होने पर यह पैदावार 15 क्विंटल प्रति एकड़ तक भी पहुंच सकती है।

सोयाबीन की खेती में कितना मुनाफा होता है? (How much profit can be made from soybean farming?)

सोयाबीन की खेती में मुनाफा काफी अच्छा होता है।
कुल कमाई (10 क्विंटल @ ₹5000/क्विंटल): ₹50,000
कुल लागत (लगभग): ₹12,000 – ₹15,000 प्रति एकड़
शुद्ध मुनाफा: ₹35,000 से ₹38,000 प्रति एकड़ तक का शुद्ध लाभ हो सकता है।
**भाव और पैदावार के अनुसार यह आंकड़ा बदल सकता है।

सोयाबीन में पीला मोजेक रोग का क्या इलाज है? (What is the treatment for Yellow Mosaic disease in soybean?)

पीला मोजेक एक वायरस से होने वाली बीमारी है जिसे सफेद मक्खी फैलाती है। इसका कोई सीधा इलाज नहीं है, इसलिए रोकथाम ही उपाय है:
रोग प्रतिरोधी किस्में (disease-resistant varieties) लगाएं।
खेत में पीले और चिपचिपे ट्रैप (Yellow Sticky Traps) लगाएं।
सफेद मक्खी को नियंत्रित करने के लिए थियामेथोक्साम (Thiamethoxam) या इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) जैसी कीटनाशकों का छिड़काव करें।
रोगी पौधों को तुरंत उखाड़कर नष्ट कर दें।

सोयाबीन की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है? (In how many days does the soybean crop mature?)

सोयाबीन की फसल किस्म के आधार पर अलग-अलग समय लेती है।
जल्दी पकने वाली किस्में: 80-90 दिन
मध्यम अवधि की किस्में: 90-100 दिन
देर से पकने वाली किस्में: 100-110 दिन जब 95% पत्तियां झड़ जाएं और फलियां सूख जाएं, तो फसल कटाई के लिए तैयार समझें।

जैविक सोयाबीन खेती में कौन सी खाद का प्रयोग करें?

गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट और नीम की खली जैसे जैविक विकल्प बेहतर होते हैं।

सोयाबीन का MSP क्या है?

2024-25 के लिए ₹4892 प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।

क्या सोयाबीन की खेती में सिंचाई जरूरी है?

हाँ, विशेषकर सूखे इलाकों में 2-3 बार सिंचाई आवश्यक होती है।

भारत में सोयाबीन सबसे ज्यादा कहाँ होता है?

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं।

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