अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) – कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने का राज

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किसान भाइयों, आप सभी का स्वागत है। आज हम एक ऐसी फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं जो न केवल आपकी जेब भरती है, बल्कि आपकी जमीन की सेहत भी सुधारती है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं अरहर (तुअर/Toor) की। अगर आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली दलहनी फसल की तलाश में हैं, तो अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

भारत में दालों की मांग हमेशा बनी रहती है, और अरहर इसमें सबसे प्रमुख है। अगर आप सोच रहे हैं कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) ताकि कम मेहनत में अच्छा उत्पादन मिल सके, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। चलिए जानते हैं कि आधुनिक और ऑर्गेनिक तरीकों तरीके से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) और अपना मुनाफा बढ़ाएं।

अरहर की फसल का महत्व (Importance of Pigeon Pea)

जब हम यह चर्चा करते हैं कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), तो पहले इसके महत्व को समझना जरुरी है। अरहर एक प्रमुख दलहनी फसल है, जिसमें 20–22% प्रोटीन पाया जाता है। अरहर, जिसे कई जगहों पर तुअर (Toor) भी कहा जाता है, प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत है। शाकाहारी भोजन में इसका विशेष स्थान है। किसानों के लिए यह फसल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वायुमंडल से नाइट्रोजन खींचकर जमीन में जमा करती है, जिससे खेत की उर्वरक शक्ति बढ़ती है।

यह सूखा सहन करने वाली फसल है, इसलिए कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए यह वरदान समान है। इसकी लकड़ियाँ ईंधन और टोकरी बनाने के काम भी आती हैं। बाजार में अरहर दाल की मांग हमेशा अधिक रहती है, जिससे किसानों को स्थायी आय मिलती है। सही तरीके से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), यह जानकर आप बंजर होती जमीन को भी उपजाऊ बना सकते हैं। यही कारण है कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) आज के समय में हर किसान जानना चाहता है।

अरहर (Pigeon Pea) का संक्षिप्त विवरण और उपयोगिता:

विवरणजानकारी
वैज्ञानिक नामCajanus cajan
कुल (Family)Leguminosae (Fabaceae)
प्रोटीन की मात्रा20% – 22%
मिट्टी का pH6.5 से 7.5
बुवाई का समयजून – जुलाई (खरीफ)
फसल की अवधि120 – 200 दिन (किस्म के अनुसार)
उपयोगविवरण
पोषणउच्च प्रोटीन, आयरन
मिट्टीनाइट्रोजन बढ़ाती है
बाजारसालभर मांग
आयकम लागत, अधिक लाभ
खेतीमिश्रित खेती के लिए उपयुक्त

जलवायु और मिट्टी (Climate & Soil for Pigeon Pea)

अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) इसके लिए गर्म और अर्ध-शुष्क जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। 20–35°C तापमान आदर्श होता है। अरहर के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास अच्छा हो, सबसे उपयुक्त रहती है। जलभराव वाली जमीन से बचना चाहिए क्योंकि इससे जड़ सड़न का खतरा बढ़ जाता है।

अरहर की उन्नत किस्में (Best Varieties of Arhar)

अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) इसका सीधा असर सही किस्म चुनने पर पड़ता है। भारत में प्रमुख किस्में हैं – UPAS-120, ICPL-87119 (आशा), मालवीय अरहर-6 और पंत अरहर-291। अरहर की किस्में तीन प्रकार की होती हैं: अगेती, मध्यम और पछेती। ये किस्में रोग प्रतिरोधक हैं और अधिक पैदावार देती हैं।

  • अगेती किस्में: पूसा अगेती, उपास-120, आईसीपीएल-87 (प्रगति)। ये किस्में 120-130 दिनों में तैयार हो जाती हैं।
  • मध्यम किस्में: आशा, मारुति, बहार। ये 160-180 दिन लेती हैं।
  • पछेती किस्में: पूसा-9, मालवीय विकास। ये 200 दिन से अधिक समय ले सकती हैं। अपने क्षेत्र और सिंचाई की सुविधा के अनुसार ही बीज चुनें। सही किस्म चुनकर ही आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) ताकि बंपर उत्पादन मिले।

खेत की तैयारी (Field Preparation)

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खेत की अच्छी तैयारी से पौधों की जड़ों का विकास तेजी से होता है। अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon PeaFarming) की प्रक्रिया में सबसे पहले गर्मियों में एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें। इससे मिट्टी में छिपे हानिकारक कीड़े और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। इसके बाद मानसून की पहली बारिश के बाद 2-3 बार कल्टीवेटर या देसी हल से जुताई करें। अंत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें ताकि पानी का ठहराव एक समान हो। खेत में जल निकासी की व्यवस्था करना अनिवार्य है। अगर खेत में पानी रुकेगा, तो फसल खराब हो जाएगी। इसलिए, अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) का यह चरण सबसे महत्वपूर्ण है।

बुवाई का समय और तरीका (Sowing Time and Method)

बुवाई का सही समय और तकनीक उत्पादन को सीधा प्रभावित करती है। अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) के लिए सबसे उपयुक्त समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक होता है (मानसून की शुरुआत)।

  • बीज दर: 12-15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है।
  • बीज उपचार: बुवाई से पहले बीजों को राइजोबियम कल्चर और फफूंदनाशक (जैसे थिरम) से उपचारित जरूर करें।
  • बुवाई की विधि: कतार से कतार की दूरी 60-75 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेमी रखें। मेड़ (Ridge) विधि से बुवाई करना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे बारिश का पानी पौधों की जड़ों में नहीं भरता। सही दूरी रखकर आप समझ पाएंगे कि वैज्ञानिक ढंग से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming)

खाद, सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण(Fertilizer, Irrigation and Weed Control)

अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) इसमें अधिक खाद की जरूरत नहीं होती। 20:40:20 NPK प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। 2–3 सिंचाई से अच्छी पैदावार मिल जाती है। फूल और दाना बनने के समय सिंचाई जरूर करें। अरहर वैसे तो बारानी (वर्षा आधारित) फसल है, लेकिन अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई महत्वपूर्ण है। बहुत से किसान पूछते हैं कि पानी के प्रबंधन के साथ अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming)? यदि बारिश न हो, तो फूल आने की अवस्था और फलियाँ बनते समय सिंचाई अवश्य करें। ये दो चरण बहुत नाजुक होते हैं।

खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। इससे जड़ों को हवा मिलती है। आप चाहें तो पेंडिमेथलीन जैसे खरपतवार नाशक का भी प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन हाथ से निराई करना ज्यादा बेहतर है। साफ खेत ही इस सवाल का जवाब है कि सफल अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming)

ऑर्गेनिक तरीके से अरहर की खेती (Organic Farming)

आजकल बाजार में ऑर्गेनिक दाल की मांग बहुत ज्यादा है और इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि ऑर्गेनिक तरीके से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), तो रासायनिक खादों का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।

  • खेत की तैयारी के समय 10-12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर डालें।
  • रासायनिक डीएपी की जगह प्रोम (PROM) खाद का इस्तेमाल करें।
  • कीट नियंत्रण के लिए नीम तेल, दशपर्णी अर्क या ब्रह्मास्त्र का छिड़काव करें।
  • जीवामृत का प्रयोग सिंचाई के साथ करें, जिससे मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ेगी। ऑर्गेनिक विधि से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), यह जानकर आप अपनी लागत कम और मुनाफ़ा दोगुना कर सकते हैं।

रोग और कीट नियंत्रण (Disease and Pest Management)

अरहर की फसल में ‘उकठा रोग’ (Wilt) और ‘फली छेदक’ (Pod Borer) कीट का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है।

  • उकठा रोग: इसमें पौधा अचानक सूख जाता है। इससे बचने के लिए फसल चक्र अपनाएं और ट्राइकोडर्मा विरिडी से बीज उपचारित करें।
  • फली छेदक: यह इल्ली फलियों में छेद करके दाने खा जाती है। इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट या नीम आधारित कीटनाशकों का छिड़काव करें। जब आप यह सीखते हैं कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), तो रोगों की पहचान और समय पर इलाज करना बेहद जरुरी हो जाता है, वरना पूरी मेहनत बेकार हो सकती है।

कटाई और थ्रेशिंग (Harvesting and Threshing)

जब फसल की पत्तियां झड़ जाएं और फलियाँ 80-90% सूखकर भूरी हो जाएं, तो समझ लें कटाई का समय आ गया है। अक्सर किसान भाई पूछते हैं कि सही समय पर कटाई करके अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) ताकि दाने न झड़ें? कटाई हंसिये या दरांती से जमीन की सतह से थोड़ा ऊपर करें। कटी हुई फसल को 3-4 दिन धूप में अच्छी तरह सुखाएं। इसके बाद थ्रेशर मशीन या बैलों की मदद से गहाई (Threshing) करके दाने अलग कर लें। दानों को भंडारण करने से पहले अच्छी तरह सुखा लें ताकि उनमें नमी 10% से कम रहे, जिससे घुन नहीं लगता। यह अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) का अंतिम और सुखद चरण है।

लागत और मुनाफा (Cost and Profit Analysis)

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खेती अंततः एक व्यवसाय है। अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming), यह जानने के बाद मुनाफे का गणित समझना भी जरुरी है। प्रति हेक्टेयर खेती में औसतन 25,000 से 30,000 रुपये तक की लागत आती है (बीज, खाद, जुताई, मजदूरी)। अगर मौसम साथ दे और वैज्ञानिक विधि अपनाई जाए, तो 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन मिल सकता है। बाजार में अरहर का भाव 6,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रहता है।

इस हिसाब से आप 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा, अंतरवर्तीय फसल (Intercropping) जैसे मूंग या उड़द लगाकर भी आप अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। संक्षेप में, अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) यह एक लाभकारी सौदा है।

सरकारी योजनाएँ और किसान क्रेडिट कार्ड (Government Schemes and KCC)

खेती में मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए किसान सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। ये योजनाएँ खेती की लागत को कम करने और पूंजी (Capital) की व्यवस्था करने में मदद करती हैं।

भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाने वाली कई योजनाएँ हैं, जो किसानों को सब्ज़ी और बागवानी (Horticulture) फसलों के लिए सब्सिडी (Subsidy) देती हैं।

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): इस योजना के तहत, आलू की खेती के लिए उन्नत बीज, प्लांटर मशीन, कोल्ड स्टोरेज बनाने और माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम लगाने पर सब्सिडी मिल सकती है।
  2. प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN): यह योजना सीधे किसानों के खाते में सालाना ₹6,000 की वित्तीय सहायता देती है, जिसका उपयोग किसान खेती के छोटे-मोटे ख़र्चों के लिए कर सकते हैं।

सबसे ज़रूरी है किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card – KCC)। केसीसी के ज़रिए किसान बहुत कम ब्याज दर पर (लगभग 4% प्रति वर्ष) खेती के लिए लोन (Loan) ले सकते हैं। इस पैसे का उपयोग आलू के बीज, खाद, कीटनाशक खरीदने या बुवाई के ख़र्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है। इससे किसान को तुरंत पैसा उधार लेने या अपनी बचत को ख़र्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। किसान को हमेशा अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या बागवानी विभाग से संपर्क करके नवीनतम योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जानकारी लेते रहना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

तो किसान भाइयों, आपने देखा कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea) यह कोई मुश्किल काम नहीं है। बस जरुरत है सही समय प्रबंधन और थोड़ी सी देखभाल की। मिट्टी की जांच से लेकर सही बीज और ऑर्गेनिक तरीकों का उपयोग करके आप न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि देश की दालों की जरुरत को भी पूरा कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि इस आर्टिकल “अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea)” से आपको काफी मदद मिलेगी। अगर आप इन तरीकों को अपनाएंगे, तो निश्चित रूप से सफलता आपके कदम चूमेगी।

FAQ: अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea Farming) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

एक एकड़ में अरहर की खेती से कितना उत्पादन होता है?

वैज्ञानिक तरीके से अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea) यह अपनाने पर एक एकड़ में लगभग 6 से 8 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

अरहर की खेती के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है?

शुरुआत में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट सबसे अच्छी होती है। रासायनिक खेती में DAP का प्रयोग होता है, लेकिन ऑर्गेनिक खेती में जीवामृत और रॉक फॉस्फेट का प्रयोग मिट्टी की सेहत के लिए उत्तम है।

अरहर की फसल कितने दिन में तैयार होती है?

यह किस्म पर निर्भर करता है। अगेती किस्में 120-130 दिन में, जबकि पछेती किस्में 180-200 दिन में तैयार होती हैं। जब आप तय करते हैं कि अरहर की खेती कैसे करें? (Pigeon Pea), तो किस्म का चयन अपनी जरूरत के हिसाब से करें।

अरहर का आज का मंडी भाव क्या है?

अरहर (तुअर) का मंडी भाव गुणवत्ता और राज्य के अनुसार बदलता रहता है, लेकिन औसतन यह ₹6,000 से ₹9,000 प्रति क्विंटल के बीच रहता है।

क्या अरहर के साथ दूसरी फसल उगा सकते हैं?

जी हाँ, अरहर के साथ मूंग, उड़द, सोयाबीन या ज्वार की अंतरवर्तीय खेती (Intercropping) आसानी से की जा सकती है, जिससे मुनाफा बढ़ता है।

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